देश में ऑनलाइन फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जालसाज, पहले जहां भोले-भाले और कम पढ़े-लिखे लोगों को अपना शिकार बनाते थे, वहीं अब पढ़े-लिखे लाेग, शिक्षक, प्रोफेसर, अधिकारी और यहां तक कि जज भी उनके झांसे में फंस कर पैसे गंवा दे रहे हैं. कुछ बड़े बिजनेसमैन भी ऐसी ठगी का शिकार हो चुके हैं.
ताजा मामला मशहूर वर्धमान इंडस्ट्री के मालिक SP ओसवाल से जुड़ा है. ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर 7 करोड़ रुपये ऐंठ लिए. डिजिटल अरेस्ट में वीडियो कॉल पर व्यक्ति पर नजर रखी जाती है और उन्हें किसी से संपर्क करने की मनाही होती है. ठगों ने CBI और सुप्रीम कोर्ट का डर दिखाकर उनसे मोटी रकम ऐंठ ली.
हालांकि बाद में लुधियाना पुलिस ने मामले में एक्शन लिया और असम के गुवाहाटी से 2 आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ कर दिया. पुलिस ने पश्चिम बंगाल और दिल्ली से 7 आरोपियों को ट्रेस करने में भी सफलता हासिल की है. इस मामले में पुलिस ने ठगे गए 7 करोड़ रुपये में से 5.25 करोड़ रुपये की रिकवरी भी की है, जो अब तक की सबसे बड़ी रिकवरी बताई जा रही है.
NDTV इंडिया के एसोसिएट एडिटर मुकेश सिंह सेंगर ने इस पूरे मसले पर वर्धमान ग्रुप के मालिक SP ओसवाल से विस्तार से बातचीत की. यहां पढ़ें पूरी बातचीत.
SP ओसवाल- मुझे कॉल कर कहा गया कि आपके फोन दो घंटे में डिसकनेक्ट कर दिए जाएंगे. मुझसे 9 नंबर दबाने को कहा. मैंने 9 नंबर का बटन दबा दिया.
ठग- मैं मुंबई के कोलाबा CBI ऑफिस से बोल रहा हूं. आपके पास एक मोबाइल नंबर है. हम इसको डिसकनेक्ट कर रहे हैं. किसी ने ये नंबर आपके नाम से ले लिया होगा. केनरा बैंक में आपके नाम पर एक अकाउंट चल रहा है.
SP ओसवाल- मेरा कोई अकाउंट नहीं है. मेरे सारे अकाउंट लुधियाना में हैं.
ठग- ये अकाउंट आपके नाम पर है. पिछले कुछ महीने से ये रेगुलर चल रहा है. ये किसी नरेश गोयल से संबंधित है. ये अकाउंट आपके नाम पर है तो आप सस्पेक्ट हैं.
SP ओसवाल- ये मेरा अकाउंट नहीं है. मैंने कुछ किया नहीं है और मैं किसी नरेश गोयल को जानता नहीं हूं.
ठग- आधार कार्ड से आपका नाम लिया हुआ है.आपका आधार कार्ड उनके पास कैसे आया?
SP ओसवाल- मैं जेट एयरवेज में ट्रैवल करता हूं. हो सकता है मैने कभी आधार कार्ड आइडेंटिफिकेशन के लिए दिया होगा.
ठग- हम समझ सकते हैं. फिर भी आपको हमें क्लियर तो करना पड़ेगा. इसके लिए हमें जांच करनी पड़ेगी, क्यों कि आप पर शक है. तब तक आप हमारी डिजिटल कस्टडी में हैं. हम आपको प्रोटेक्ट करने की कोशिश करेंगे. आपको हमारे साथ कॉपरेट करना होगा.
SP ओसवाल- मुझे ये विश्वास हो गया कि ये मुझे प्रोटेक्ट करेंगे. बात शुरू हुई तो राहुल गुप्ता नाम का उनका सीनियर आ गया. उसने खुद को चीफ इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर बताया. उन्होंने प्रायोरिटी ऑफ इन्वेस्टिगेशन का लेटर लिखवाया. मैंने लेटर बनाकर दे दिया.
ठग- 1 घंटा लगेगा, हम सीनियर्स से परमिशन ले लेते हैं. आप बॉम्बे नहीं आ सकते तो आपकी जांच प्रायोरिटी पर करेंगे. फिर उन्होंने मेरा बयान लेना शुरू किया. बिजनेस से लेकर सबकुछ बताइए. प्रॉपर्टी को लेकर भी सवाल पूछे कि आपके पास क्या-क्या है.
SP ओसवाल- मुझे ऐसे तो याद नहीं है लेकिन मैं अपने मैनेजर से बात करके आपको बता दूंगा. मुझे लगा पुलिस वाले हैं तो झूठ तो बोलना नहीं है, मैने बता दिया कि 10-11 करोड़ बैंक अकाउंट में है. बाकी म्यूचुअल फंड में है और शेयर इनवेस्टमेंट्स हैं. उन्होंने वो सारी स्टेटमेंट रिकॉर्ड कर ली.
ठग- सुप्रीम कोर्ट के लिए एक एप्लिकेशन बना दी है. सुप्रीम कोर्ट से समय ले लिया है. सीजेआई चंद्रचूड़ आपकी पिटीशन 11 बजकर 5 मिनट पर सुनेंगे.
SP ओसवाल- विजय खन्ना नॉर्मल ड्रेस में थे. CBI का ऑफिस लग रहा था. पीछे CBI का लोगो लगा था. वे मेरे साथ स्काइप पर कनेक्ट थे. 24 घंटे स्काइप पर हमारी फोटो आती रही. उन्होंने 24 घंटे मुझे मॉनिटर किया. बाहर जाने के दौरान भी वो मुझे देखते रहते थे. अंडर नेशनल सीक्रेट एक्ट होने का हवाला देकर उन्होंने मुझे किसी को भी इस बारे में बताने से मना किया था.
ठगों ने दिखाया सुप्रीम कोर्ट का डर?
OP ओसवाल ने बताया कि ठगों ने उनसे अपनी स्क्रीन किसी के साथ न शेयर करने को कहा था. अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का सीन क्रिएट किया गया. ये ऐसे किया गया कि वास्तविक लगे.
ओसवाल ने बताया कि जालसाज सुनवाई के समय कपड़े चेंज करके बैठ गए. जज तो कहीं नजर नहीं आए. लेकिन राहुल गुप्ता उनको केस के बारे में बता रहा था. प्रॉपर्टी के बारे में भी बताया.
कथित तौर पर जज साहब की आवाज आई कि ठीक है, तब तक आप इनकी प्रॉपर्टी ट्रांसफर करवा लीजिए. अगर नहीं मानें तो गिरफ्तार कर लो. थोड़ी देर बाद ऑर्डर की कॉपी भी मुझे दे दी.
ऐसे ट्रांसफर करवाए पैसे
ओसवाल ने बताया, 'अमाउंट ट्रांसफर करने का प्रोसेस शुरू हुआ. मैंने अपने फाइनेंस मैनेजर को कमरे में बुलाया और उसको पैसे ट्रांसफर करने को लेकर बताया. उसने पूछा कि किसको करना है, तो मैंने नहीं बताया. मैंने उनसे कहा कि ये सारा अमाउंट एक बैंक में ले लो.
ठगों ने कहा कि 1 और 2 करोड़ की किस्तों में वह अमाउंट ट्रांसफर करवाएंगे. उन्होंने तीन बार रकम ट्रांसफर कर दी. उन्होंने कहा कि बाकी अगले दिन करेंगे.' इस तरह से उनसे बड़ी रकम ऐंठ ली गई और उनको पता तक नहीं चला.
गिरोह का भंडाफोड, बड़ी रकम रिकवर
लुधियाना पुलिस ने अंतर राज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ कर दो आरोपियों अतनु चौधरी और आनंद कुमार चौधरी को गुवाहाटी से गिरफ्तार कर लिया. साइबर क्राइम सेल की टीम ने इस गिरोह को 48 घंटे में ही पश्चिम बंगाल और दिल्ली से संबंधित 7 आरोपियों को ट्रेस करने में सफलता हासिल की है. उनके पास से 6 ATM और तीन मोबाइल फोन भी जब्त किए गए हैं. इसके अलावा 5.25 करोड़ रुपये रिकवर भी कर लिए गए हैं. इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के मुताबिक ये देश में अब तक की सबसे बड़ी रिकवरी है.