देश में अमीरों और गरीबों के बीच खाई काफी बढ़ गई है और 2000 के दशक की शुरुआत से ये लगातार बढ़ती जा रही है.
वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब (World Inequality Lab) के मुताबिक, 2022-23 में देश के कुल आय में टॉप 1% अमीर आबादी की हिस्सेदारी बढ़ कर 22% हो गई है. यानी देश की कुल आबादी अगर 100 रुपये कमाती है, तो इसमें 22 रुपये केवल 1% अमीर लोगों के पास है.
देश की कुल संपत्ति में इन 1% अमीर आबादी की हिस्सेदारी बढ़ कर 40.1% हो गई है. इस स्थिति को रिपोर्ट में 'बिलियनेयर राज का उदय' कहा गया है.
मशहूर फ्रांसीसी इकोनाॅमिस्ट थॉमस पिकेटी, हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के लुकास चैन्सल, पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अनमोल सोमनची और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के नितिन कुमार भारती ने 'आय और संपत्ति में असमानता 1922-2023 : बिलियनेयर राज का उदय' शीर्षक से ये रिपोर्ट तैयार की है.
भारत में अमेरिका से भी ज्यादा असमानता!
आर्थिक असमानता के मामले में भारत, अमेरिका, साउथ अफ्रीका और ब्राजील से भी आगे है. अन्य देशों की बात करें तो अमेरिका में टॉप 1% अमीर आबादी की आय में हिस्सेदारी 20.9% है. ब्राजील के मामले में ये आंकड़ा 19.7%, जबकि साउथ अफ्रीका में ये आंकड़ा 19.3% है. वहीं पड़ोसी देश चीन में टॉप 1% आबादी की आय में हिस्सेदारी 15.7% है.
NSSO की रिपोर्ट- देश में कम हुई गरीबी
फरवरी में जारी की गई NSSO की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में समृद्धि बढ़ी है और गांवों में भी लोगों का जीवनस्तर भी सुधरा है. इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए नीति आयोग के CEO BVR सुब्रमण्यम ने दावा किया था कि गरीबी 5% से नीचे आ गई है.
लेकिन इनइक्वलिटी लैब की रिपोर्ट बताती है कि 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद अमीर-गरीब के बीच असमानता की खाई, तेजी से बढ़ी है.
चीन हमसे आगे निकला लेकिन...
1975 तक भारत और चीन के लोगों की औसत आय लगभग बराबर थी. लेकिन वर्ष 2000 तक इस मामले में चीन, हमसे 35% आगे बढ़ गया. 21वीं सदी में चीन की रफ्तार और तेज हुई और अब चीन में प्रति व्यक्ति आय हमसे ढाई गुना ज्यादा हो गई है. हालांकि इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार देखें तो भारत चीन से कहीं तेज गति से आगे बढ़ रहा है.
रिपोर्ट में सुझाव
रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव से आर्थिक असमानता दूर की जा सकती है.