सोमवार से अब तक क्रूड ऑयल के भाव में 8% की तेजी आ चुकी है. ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच तेल की कीमतें करीब 77 डॉलर/बैरल के स्तर पर पहुंच गई हैं. बता दें इजरायल ने ईरान पर मिसाइल हमले किए थे, जिसके बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आने वाले दिनों में बड़े पलटवार की बात कही थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल, ईरान में रिफाइनरीज और पावर प्लांट्स जैसी इकोनॉमिक फैसिलिटीज को निशाना बना सकता है. इस तरह के हमले का ग्लोबल ऑयल सप्लाई पर गंभीर असर पड़ सकता है.
XM ऑस्ट्रेलिया के CEO पीटर मैक्गायर ने कहा कि इस तरह के हमले से ईरान की ऑयल सप्लाई प्रभावित हो सकती है. उन्होंने फारस की खाड़ी, खासतौर पर होर्मुज स्ट्रेट के आसपास शिपिंग बाधित होने की आशंका पर भी चिंता जताई.
ग्लोबल ऑयल सप्लाई में ईरान की अहमियत
Citi के मुताबिक OPEC डेटा से पता चलता है कि ईरान का क्रूड ऑयल प्रोडक्शन फिलहाल करीब 3.4 मिलियन बैरल/दिन है. इसके अलावा कंडेनसेट का प्रोडक्शन 0.7 मिलियन बैरल/दिन है. इनका निर्यात मुख्यत: एशिया में किया जाता है.
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के डेटा के मुताबिक 2024 में OPEC+ के कुल तेल उत्पादन में ईरान की हिस्सेदारी करीब 7.6% रहेगा. ईरान का मार्केट शेयर फिलहाल 3.2% है.
क्या अमेरिका हस्तक्षेप करेगा?
पूरे घटनाक्रम में एक अहम फैक्टर अमेरिका का हस्तक्षेप है. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संकेतों में बताया है कि इजरायल के साथ ईरान के ऑयल इंफ्रास्ट्रक्चर पर संभावित हमलों के लिए बातचीत जारी है. वंदना इनसाइट्स की CEO वंदना हरि का कहना है कि 'रणनीतिक तौर पर तो छोड़िए, इसकी बहुत कम संभावना है कि अमेरिका, इजरायल को सैद्धांतिक तौर पर भी ईरान के तेल संयंत्रों पर हमला करने के लिए समर्थन देगा. मिडिल ईस्ट में ऑलआउट वॉर रोकने के लिए अमेरिका के बस में जो होगा, वो करेगा.'
मैक्गायर का कहना है कि अगर अमेरिका हस्तक्षेप करता है, तो हमें चीन और रूस जैसे ईरान के सहयोगियों के भी तस्वीर में आने का ख्याल रखना होगा.
कितना असर होगा?
Citi के मुताबिक अगर इजरायल स्टोरेज फैसिलिटीज छोटे ऑयल इंफ्रा को निशाना बनाता है, तो नुकसान कम और तात्कालिक होगा. अनुमान के मुताबिक ये 3,00,000 से 4,50,000 बैरल/दिन हो सकता है. लेकिन इससे जियोपॉलिटिकल तनाव बढ़ सकता है.
लेकिन अगर ईरान के 90% से ज्यादा ऑयल को हैंडल करने वाली बड़ी एक्सपोर्ट फैसिलिटीज को निशाना बनाया जाता है, तो 1.5 मिलियन बैरल/दिन का नुकसान हो सकता है. सिटी के मुताबिक इस कदम की संभावना कम है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो इसका असर काफी ज्यादा हो सकता है और इससे ईरान होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने के लिए मजबूर हो सकता है.
होर्मुज स्ट्रेट की अहमियत
Citi के मुताबिक होर्मुज स्ट्रेट फारस की खाड़ी में एक अहम रास्ता है. ये फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और इस रास्ते से हर दिन 20 मिलियन बैरल/दिन की ऑयल सप्लाई होती है. ये दुनिया की पेट्रोलियम सप्लाई का 20% है. इस सप्लाई का 80% हिस्सा भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में जाता है. स्ट्रेट के बंद होने से ग्लोबल ऑयल मार्केट और इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है.
हालांकि ईरान का इस स्ट्रेट पर एक्सक्लूसिव कंट्रोल नहीं है. लेकिन ईरान की भौगोलिक स्थिति और इसकी मजबूत नौसेना की उपस्थिति ईरान को यहां बड़ा नियंत्रण उपलब्ध कराती है.
वैकल्पिक रास्ते
Citi के मुताबिक सऊदी अरब और UAE अपनी सप्लाई का अहम हिस्सा पाइपलाइंस के जरिए भेज सकते हैं. इससे शिपिंग बाधित होने की स्थिति में नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. इनकी तुलना में इराक, कुवैत, कतर और बहरीन के पास निर्यात के लिए वैकल्पिक रास्तों की कमी है.
क्या बाजार में पर्याप्त सप्लाई मौजूद है?
2022 में स्वैच्छिक कटौती के बाद OPEC 5.6 मिलियन बैरल/दिन का कम उत्पादन कर रहा है. OPEC ने दिसंबर में सप्लाई बढ़ाने की योजना बनाई है, जिससे तमाम तरह की बाधाओं के दौरान ग्लोबल ऑयल सप्लाई को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी.
इस बीच अमेरिका 13.4 मिलियन बैरल/दिन का तेल उत्पादन कर रहा है, जिसके 2024 के अंत में बढ़कर 13.49 बैरल/दिन पहुंचने का अनुमान है. ये जानकारी अमेरिकी सरकार के डेटा से मिली है.
हालांकि मैक्गायर का कहना है कि OPEC की बढ़ी हुई सप्लाई तभी प्रभावी साबित होगी, जब इसे बिना किसी बाधा के ट्रांसपोर्ट किया जा सके. इस दौरान अमेरिका के 'स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व' को भी ध्यान में रखना होगा, जिसे तुरंत बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी. पहले से ही तनाव में चल रही ग्लोबल सप्लाई पर इससे दबाव बढ़ेगा.
तेल की कीमतों पर कितना असर पड़ेगा?
Citi की कमोडिटीज टीम के मुताबिक ग्लोबल ऑयल बैलेंस और प्राइसेज में कितना असर पड़ेगा, ये इजरायल की प्रतिक्रिया और ईरान के तेल निर्यात पर असर के ऊपर निर्भर होगा.
Citi का मानना है कि हरमुज स्ट्रेट को अगर बंद किया जाता है तो इससे ऑयल मार्केट में जबरदस्त उथल-पुथल होगी और कीमतें पिछले स्तरों से भी ऊपर पहुंच जाएंगी. लेकिन इस तरह का उछाल तात्कालिक होगा, क्योंकि मार्केट समय के साथ वैकल्पिक रास्तों को तलाश लेगा.
हरि ने कहा, 'सबसे बुरी स्थितियों के बारे में सोचें तो तमाम तरह की संभावनाएं हो सकती हैं, जो अलग-अलग डिग्री का सप्लाई शॉक दे सकती हैं. लेकिन अचानक एकतरफा प्रतिक्रिया देने के बजाए, इनके जोखिम का वास्तविकता के साथ मूल्याकंन जरूरी है.'
मैक्गायर के मुताबिक अगर आने वाले हफ्तों में तनाव से जुड़ी आशंकाएं सच होती हैं, तो कीमतों में तेजी से उछाल आ सकता है.
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