Bangladesh Crisis: बांग्लादेश संकट पर भारत की कड़ी नजर; संसद में विदेश मंत्री का जवाब, कहा- अल्पसंख्यकों की चिंता

शेख हसीना ने बहुत शॉर्ट नोटिस पर भारत आने की अनुमति मांगी. इसके बाद हमें बांग्लादेशी अथॉरिटीज से फ्लाइट क्लियरेंस की रिक्वेस्ट मिली, जिसके बाद 5 अगस्त की शाम को वे दिल्ली पहुंची: विदेश मंत्री

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बांग्लादेश की राजनीतिक उथल-पुथल के साथ-साथ वहां भारतीय नागरिकों के हितों और अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भारत नजर बनाए हुए है. राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस संबंध में विस्तार से अपनी बात रखी.

उन्होंने कहा, 'हम अपने हाई कमीशन के जरिए बांग्लादेश में रह रहे भारतीय समुदाय से लगातार संपर्क में हैं. बांग्लादेश में करीब 19,000 भारतीय हैं, जिनमें से 9,000 छात्र हैं. हाई कमीशन की सलाह पर इनमें से ज्यादातर छात्र जुलाई में ही भारत आ गए थे.'

वहीं अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर उठ रहे सवालों पर जयशंकर ने कहा, 'हम अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भी नजर बनाए हुए हैं. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि कुछ समूहों और संगठनों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कार्यक्रम चलाए हैं. हम इसका स्वागत करते हैं, लेकिन हम तब तक चिंतित ही रहेंगे, जब तक कि कानून व्यवस्था फिर से दुरुस्त नहीं हो जाती.'

शॉर्ट नोटिस पर हसीना ने मांगा एक्सेस

जयशंकर ने सदन को बताया कि '5 अगस्त को कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शनकारी बढ़ी संख्या में इकट्ठे हो गए. हमारी समझ है कि इसके बाद आर्मी के साथ बातचीत कर PM शेख हसीना ने पद छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने बहुत शॉर्ट नोटिस पर भारत आने की अनुमति मांगी. जिसके बाद शाम को वे दिल्ली पहुंची थीं.'

शेख हसीना ने दिया इस्तीफा

आरक्षण विरोधी आंदोलन के जबरदस्त ढंग से हिंसक होने के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया था. इस आंदोलन ने जुलाई में जोर पकड़ा था. आंदोलन करने वालों की सत्ताधारी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सुरक्षाकर्मियों से भी गंभीर हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें कई लोगों की जान गई.

4 अगस्त को हिंसा ने सबसे ज्यादा जोर पकड़ा, जब भीड़ ढाका के साथ-साथ देश के दूसरे हिस्सों में सरकारी इमारतों को बड़ी संख्या में निशाना बनाने लगी. इस दिन करीब 100 लोगों की मौत हुई. इस आंदोलन में कुल 300 से ज्यादा लोग मारे गए.

क्यों शुरू हुआ आंदोलन?

दरअसल ये आंदोलन 1971 की जंग में हिस्सा लेने वाले फ्रीडम फाइटर्स की अगली पीढ़ियों को मिल रहे आरक्षण के खिलाफ था. आरोप है कि इससे गलत ढंग से आवामी लीग के समर्थकों को फायदा मिलता था. ऊपर से 50 साल बाद भी इस व्यवस्था के लागू रहने से कई परिवारों की कई पीढ़ियों को लाभ मिलता रहा, जबकि आम प्रतिस्पर्धी मौका गंवाते रहे.

आंदोलन के बीच में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला भी आया, जिसमें कोटा सिस्टम पर नए सिरे से विचार करने की बात थी. लेकिन इसे महज आंदोलनकारियों को शांत करने की कोशिश के तौर पर देखा गया. टकराव बढ़ने के साथ आंदोलन में कोटा सिस्टम को पूरी तरह खत्म करने के अलावा शेख हसीना के इस्तीफे की मांग भी जोर पकड़ने लगी, जिसके बाद कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई.

हसीना के इस्तीफे के बाद 5 अगस्त को आर्मी चीफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सेना अब देश में अंतरिम सरकार का गठन करेगी.

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