एसेसमेंट ऑर्डर को अच्छे से चेक करें, कहीं टैक्स विभाग ने कोई गलती तो नहीं की

अगर आपने इनको ठीक से नहीं पढ़ा, तो बिना कोई गलती किए हुए ही आपको एक्स्ट्रा टैक्स भरना पड़ जाएगा. इसलिए ऐसी सिचुएशन को सही से हैंडल करना बहुत जरूरी है.

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इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) टैक्स रिटर्न में डिटेल्स को वेरिफाई करने के बाद टैक्सपेयर्स को एसेसमेंट ऑर्डर (Assessment Order) भेजता है . इस बात में कोई दोराय नहीं कि ये एसेसमेंट ऑर्डर कई बार टैक्सपेयर्स को परेशान करने वाले होते हैं, लेकिन एक बार टैक्स भरने वाले को ऊपर से नीचे तक सही से चेक कर लेना चाहिए कि कहीं इस एसेसमेंट में एडिशनल डिमांड में कोई गलती तो नहीं?

अगर आपने इनको ठीक से नहीं पढ़ा, तो बिना कोई गलती किए हुए ही आपको एक्स्ट्रा टैक्स भरना पड़ जाएगा. इसलिए ऐसी स्थिति से सही तरीके से निपटना बहुत जरूरी हो जाता है.

एसेसमेंट ऑर्डर (Assessment Order)

टैक्सपेयर के टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद इनकम टैक्स विभाग एसेसमेंट ऑर्डर इश्यू करता है. ये एसेसमेंट ऑर्डर अपने आप में बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके आधार पर ही टैक्स विभाग सभी तरह की कार्रवाई करता है.

एक बार एसेसमेंट ऑर्डर मिल जाता है, तो बाद टैक्सपेयर्स को अच्छी तरह से देखना चाहिए और अपने इनकम टैक्स रिटर्न के साथ मिलान करना चाहिए.

अगर आपको इसमें किसी तरह का अंतर नहीं देखने को मिलता है, तो इनकम टैक्स विभाग ने पूरी प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा किया है और आपको दिए गए ऑर्डर के मुताबिक ही टैक्स जमा करना होगा.

कई बार ऐसा होता है कि कुछ अतिरिक्त आय को जोड़ दिया जाता है या कुछ डिडक्शंस को नकार दिया जाता है. ऐसे मामलों में देखना चाहिए कि आपके द्वारा भरा गया रिटर्न प्रावधानों के मुताबिक है या फिर आपको इसके लिए चुनौती देनी होगी.

अज्ञात आइटम्स के साथ डील करना

कई बार टैक्सपेयर (taxpayer) और एसेसमेंट ऑफिसर के बीच में किसी आइटम की कैटेगरी के ऊपर विवाद हो जाता है. इस पर कई लेवल पर इनकम टैक्स विभाग में कई किस्म के चैलेंज उपलब्ध हैं.

कई बार ऐसी समस्या भी आती है कि एसेसमेंट ऑर्डर में कुछ ऐसी चीज को डील किया गया होता है, जिसे टैक्सपेयर ने क्लेम नहीं किया होता है या रिटर्न में इसका जिक्र नहीं किया होता है. उदाहरण के लिए, टैक्स विभाग (Tax Department) एसेसमेंट ऑर्डर में आपको इनकम टैक्स एक्ट में सेक्शन 80P के अंदर आने वाले डिडक्शन को मंजूरी नहीं दी. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से टैक्सपेयर ने 80P के अंदर किसी तरह की छूट की मांग ही नहीं की.

यहां तक कि ऐसे सेक्शन में केवल को-ऑपरेटिव सोसाइटी को छूट मिलती है, जिसे कोई भी इंडिविजुअल क्लेम ही नहीं कर सकता.

स्पष्टीकरण (Clarification)

अगर कोई ऐसी परिस्थिति आती है, जहां टैक्सपेयर को टैक्स अथॉरिटी से स्पष्टीकरण चाहिए होता है. ऐसे मौके पर, आप इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों की असल स्थिति का प्वाइंट आउट करते हुए शिकायत फाइल कर सकते हैं, ताकि आपके द्वारा फाइल की गई टैक्स डिटेल्स ठीक हों.

इससे आपको एक एज मिल जाएगा. अगर इनकम टैक्स विभाग आपको एसेसमेंट ऑर्डर भेजता है, तो आप इसके बाबत फाइल की गई अपनी शिकायत के बारे में सूचित कर एसेसमेंट ऑर्डर में सुधार करवा सकते हैं.

सिस्टम की दिक्कत

कई मामलों में, कई सारे टैक्सदाताओं को टैक्स सिस्टम में गड़बड़ी के चलते अपने आप ही एक ही प्रकार का नोटिस चला जाता है. ऐसी सूरत में, टैक्स विभाग अपने आप ही स्पष्टीकरण जारी कर देता है.

इसके साथ ही, जैसे ही सिस्टम ठीक होता है, तो टैक्सपेयर को अपने आप ही गलत नोटिस को लेकर जानकारी दी जाती है और आप इस नोटिस को इग्नोर कर सकते हैं. इससे स्पष्ट हो जाता है कि मामला पूरी तरह से क्लियर है और पूरी तरह सुलझा लिया गया है.

अर्णव पंड्या

(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)