आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (Income Tax Appellate Tribunal) की दिल्ली पीठ ने कहा है कि कृषि योग्य भूमि की बिक्री से आय, इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्सेशन से पूरी तरह मुक्त (Fully Exempt) है. यानी खेती की जमीन बेचने से होने वाली आमदनी पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता.
टैक्सपेयर्स के खिलाफ I-T डिपार्टमेंट की कार्रवाई के बाद सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में ये बात कही.
पूरा मामला क्या था, ये समझ लीजिए
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक टैक्सपेयर्स कमलेश कुमार राठी के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियान चलाया था और उसके खिलाफ असेसमेंट की कार्यवाही शुरू की थी. राठी ने प्रक्रियाओं के अनुसार अप्रैल 2016 में वर्ष 2013-14 और 2014-15 के लिए अपना टैक्स रिटर्न जमा किया था, जिसमें संबंधित आय 54.93 लाख रुपये और 79.20 लाख रुपये थी.
अपनी कृषि भूमि को बेचने से मिली रकम को शामिल करने के लिए, उन्होंने बाद में दिसंबर में दो असेसमेंट ईयर के लिए अपना संशोधित रिटर्न (Revised Returns) दाखिल किया, जिसके अनुसार, 2013-14 के लिए उनकी आय 1.36 करोड़ रुपये और 2014-15 के लिए 3.18 करोड़ रुपये बताई गई.
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अघोषित आय मान कर लगाया टैक्स
असेसिंग ऑफिसर ने सवाल किया कि जमीन की बिक्री पर कैश में प्राप्त अमाउंट को क्यों नहीं उनकी अघोषित आय और टैक्सेबल माना जाना चाहिए?
हालांकि, राठी ने तर्क दिया कि चूंकि यह कृषि भूमि थी, इसलिए बिक्री से प्राप्त धन को कृषि आय मानते हुए उस पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए.
अधिकारी ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और बिक्री से हासिल धन को अघोषित आय ठहराते हुए उस पर टैक्स चार्ज कर दिया.
अपीलीय आयुक्त और ITAT ने दी राहत
इसके बाद राठी ने अपीलीय आयुक्त के सामने अपील दायर की, जहां फैसला उनके पक्ष में आया. इसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITAT में अपील की. ITAT ने भी टैक्सपेयर राठी के पक्ष में फैसला दिया.
"एक बार बेची गई जमीन की प्रकृति और चरित्र कृषि भूमि के रूप में स्थापित हो जाने के बाद, ऐसी जमीन की बिक्री से होने वाली कोई भी इनकम, टैक्सेबल नहीं होगी. "- आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, दिल्ली
ITAT ने दोहराया कि कृषि भूमि की बिक्री से प्राप्त आय, (जो पूंजीगत संपत्ति नहीं है) को टैक्सेबल नहीं बनाया जा सकता है.
JSA पार्टनर कुमारमंगलम विजय ने BQ Prime को बताया कि जिस स्रोत से आय होती है, वो महत्वपूर्ण है. और एक बार ये कृषि भूमि के रूप में स्थापित हो जाने के बाद IT एक्ट के तहत इससे होने वाली आय पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता.