Income Tax: DIN-रहित असेसमेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई, जानिए क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा असेसमेंट 'अनियमितता' हो सकता है लेकिन 'अवैधता' नहीं.

Source: NDTV Profit

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें ये कहा गया था कि दस्तावेज पहचान संख्या (Document Identification Number-DIN) के बिना कोई भी असेसमेंट कानूनी रूप से अवैध है. इसे इनकम टैक्स असेसमेंट के मामले में एक बड़ी बात मानी जा सकती है.

DIN-रहित असेसमेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर कोई असेसमेंट DIN के बिना जारी किया जाता है और सिर्फ इस वजह से इसे अस्तित्वहीन माना जाता है, तो इससे एक खालीपन (vacuum ) पैदा हो जाएगा, जिसके नतीजे काफी गंभीर हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा असेसमेंट 'अनियमितता' हो सकता है लेकिन 'अवैधता' नहीं.

शार्दुल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर अमित सिंघानिया ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से एक नई बहस छिड़ सकती है, हालांकि ये एक अंतरिम आदेश है, अंतिम आदेश नहीं, इसलिए किसी को इसका जरूरत से ज्यादा मतलब नहीं निकालना चाहिए.

लक्ष्मीकुमारन और श्रीधरन के पार्टनर एस वासुदेवन के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला ठोस आधार पर था, क्योंकि CBDT की ओर से जारी सर्कुलर इनकम टैक्स अधिकारियों के लिए बाध्यकारी था, इसका पालन नही करने पर पूरी प्रक्रिया अवैध हो जाती. वासुदेवन ने कहा कि ये रोक दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के पहले के मूल्यों पर असर नहीं डालती है और टैक्सपेयर्स अब भी इस पर भरोसा कर सकते हैं.

क्या पूरा मामला?

रेवेन्यू डिपार्टमेंट (Revenue Department) के DIN रहित कम्यूनिकेशन के पीछे पूरा विवाद 2019 के एक सर्कुलर से जुड़ा हुआ है. इस सर्कुलर में साफ शब्दों में लिखा गया था था कि 1 अक्टूबर, 2019 को या उसके बाद इनकम टैक्स अथॉरिटी की तरफ से किसी भी व्यक्ति को असेसमेंट, अपील, ऑर्डर, वैधानिक, छूट, पूछताछ, जांच वगैरह से जुड़ा कोई संचार जारी नहीं किया जाएगा, जब तक कि कंप्यूटर जेनरेटेड DIN आवंटित नहीं किया जाता है. ऐसे संचार या कम्यूनिकेशन के लिए DIN देने का मकसद सिर्फ ऑडिट ट्रेल को बनाए रखना था.

सर्कुलर में कुछ परिस्थितियों को अपवाद के रूप में भी शामिल किया गया है. इनमें DIN जेनरेट करने में तकनीकी दिक्कत, PAN माइग्रेशन से जुड़े हुए मामले शामिल हैं. बावजूद इसके ये साफ तौर पर कहा गया था कि DIN जारी करने में किसी भी अनियमितता को अधिकारियों की ओर से तय समय के भीतर निपटाया जाना चाहिए. सीधे तौर पर समझें तो बिना DIN के कोई भी संचार कानूनी तौर पर अमान्य माना जाएगा.

दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

साल 2023 में, दिल्ली हाई कोर्ट के सामने DIN के बिना पास एक असेसमेंट ऑर्डर का मामला लाया गया. रेवेन्यू डिपार्टमेंट की ओर से कहा गया कि DIN अलॉट करने में नाकामी सिर्फ एक गलती थी. चूंकि यह एक गलती थी, विभाग ने तर्क दिया कि असेसमेंट की कार्यवाही को अमान्य नहीं किया जाना चाहिए और इस चूक को इनकम टैक्स एक्ट के तहत ठीक किया जा सकता है.

लेकिन हाई कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि सर्कुलर की शब्दावली ये साफ कहती है कि DIN के बिना किसी भी संचार का कानून में कोई महत्व नहीं हो सकता है.