क्या 5 साल की FD में महंगाई को मात देने का है दम, या डेट फंड हैं सही विकल्प

बड़ी संख्या में लोग अपनी अधिकांश जमा-पूंजी को बैंक या पोस्ट ऑफिस के FD में रखते हैं. इसकी बड़ी वजह ये है कि फिक्स्ड डिपॉजिट काफी सुरक्षित और फिक्स रिटर्न देने वाला निवेश माना जाता है.

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FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट को आम लोगों के बीच निवेश और बचत का सबसे पॉपुलर तरीका कहा जा सकता है. बड़ी संख्या में लोग अपनी अधिकांश जमा-पूंजी को बैंक या पोस्ट ऑफिस के FD में रखते हैं. इसकी बड़ी वजह ये है कि फिक्स्ड डिपॉजिट काफी सुरक्षित और फिक्स रिटर्न देने वाला निवेश माना जाता है. तमाम लोग अपनी करीब-करीब सारी बचत FD में ही रखते हैं. लेकिन क्या फिक्स्ड डिपॉजिट को वाकई इतना बेहतरीन इनवेस्टमेंट ऑप्शन कहा जा सकता है, जितना लोग अक्सर समझते हैं? खासतौर पर अगर FD के पोस्ट-इंफ्लेशन इंटरेस्ट यानी महंगाई को घटाने के बाद मिलने वाले रिटर्न पर गौर किया जाए, तो क्या नतीजा निकलेगा?

FD में निवेश का नफा-नुकसान

FD का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट पूंजी का सुरक्षित होना और गारंटीड रिटर्न मिलना माना जाता है. लेकिन यह सिर्फ तस्वीर का एक हिस्सा है. दूसरी सच्चाई यह भी है कि FD पर मिलने वाला ब्याज, आम तौर पर कई और एसेट क्लास के रिटर्न की तुलना में काफी कम रहता है. यहां तक कि काफी हद तक सुरक्षित और स्थिर रिटर्न देने वाले शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड भी FD के मुकाबले बेहतर रिटर्न देते हैं.

ये बात कुछ प्रमुख बैंकों के 5 साल के FD पर मिलने वाले ब्याज दर पर नजर डालने पर और साफ हो जाएगी. 5 साल के FD पर अधिकांश सरकारी बैंक करीब 6.50% सालाना की दर से ब्याज दे रहे हैं, जबकि प्राइवेट बैंक 7% के आसपास. पिछले 5 साल के दौरान देश में अधिकांश समय औसत सालाना महंगाई दर 5% या उससे ज्यादा ही रही है. अगर इस महंगाई दर को एडजस्ट करके देखेंगे तो FD का नेट रिटर्न और भी कम नजर आएगा.

डेट फंड पर बेहतर रिटर्न

5 साल के FD पर बैंकों की तरफ से मिल रहे ब्याज के मुकाबले डेट फंड की कई कैटेगरी में बेहतर रिटर्न मिल रहा है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक मीडियम ड्यूरेशन वाले टॉप 5 डेट फंड्स के डायरेक्ट प्लान का 5 साल का औसत सालाना रिटर्न 7.41% से लेकर 9.55% तक रहा है. ज्यादा सुरक्षित और स्थिर रिटर्न देने वाले शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड्स का 5 साल का औसत सालाना रिटर्न भी 7.46% से 8.25% के दरमियान रहा है, जो FD की तुलना में काफी बेहतर है.

डेट फंड में इनवेस्ट करने के लाभ

डेट फंड्स में इनवेस्ट करने का एक फायदा यह भी है कि इससे मिलने वाले रिटर्न रप आपको फौरन टैक्स नहीं देना पड़ता. निवेशक की टैक्स देनदारी तभी बनती है, जब वो फंड की यूनिट्स को रिडीम करके यानी बेचकर अपना मूलधन और उस पर मिला मुनाफा निकालते हैं. जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट पर जो भी ब्याज मिलता है, उस पर हर साल टैक्स भरना पड़ता है. डेट फंड का एक फायदा यह भी है कि इसमें लिक्विडिटी ज्यादा होती है यानी आप जरूरत पड़ने पर अपनी यूनिट्स बेचकर पैसे निकाल सकते हैं. एफडी की तरह ऐसा करने पर निवेशक को कोई पेनाल्टी नहीं देनी पड़ती.

इंटरेस्ट रेट में कटौती से फायदा भी हो सकता है

FD में पैसे रखे हों तो ब्याज दरें घटने से नुकसान होता है. लेकिन डेट फंड्स के लिए इंटरेस्ट रेट घटना कई बार फायदेमंद भी हो सकता है. एक्टिव इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी पर चलने वाले डेट फंड ब्याज दरें घटने या बढ़ने का अनुमान लगाकर अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर लेते हैं. उदाहरण के तौर पर इंटरेस्ट रेट घटने के आसार नजर आ रहे हों, तो लॉन्ग टर्म डेट फंड रुझान को पहले से भांपकर उसका फायदा उठा सकते हैं.

ऐसा इसलिए क्योंकि ब्याज दरें घटने पर उनके बॉन्ड प्राइस में इजाफा होता है. दूसरी तरफ, इंटरेस्ट बढ़ने पर शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड का परफॉर्मेंस अच्छा रहता है. हालांकि रेट में कटौती का सही अंदाजा लगाना आसान नहीं है. इसलिए नए निवेशकों को इस तरह के अनुमानों के आधार पर निवेश करने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.

आम निवेशकों के लिए क्या है सही

जिन निवेशकों को महंगाई को एडजस्ट करने के बाद अपने निवेश पर स्थिर लेकिन बेहतर रिटर्न चाहिए, उन्हें पूरे पैसे एफडी में रखने की जगह कुछ रकम डेट फंड में डालने पर भी विचार करना चाहिए. डेट फंड में पैसे लगाते वक्त अगर इंटरेस्ट रेट में उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचना है, तो ऐसे फंड्स में इनवेस्ट करना बेहतर रहता है, जो लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में ज्यादा पैसे न डालते हों. इस नजरिये से देखें तो शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड या कॉरपोरेट बॉन्ड फंड ज्यादा बेहतर हो सकते हैं.

शॉर्ट ड्यूरेशन फंड में निवेश करना कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में पैसे डालने की तुलना में बेहतर है, क्योंकि शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स के पोर्टफोलियो में सिर्फ एक से तीन साल वाले बॉन्ड ही रखे जाते हैं. वहीं, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में ऐसी कोई लिमिट नहीं है. यही वजह है कि शॉर्ट ड्यूरेशन फंड को तुलनात्मक रूप से ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. शॉर्ट ड्यूरेशन फंड के पोर्टफोलियो में कॉरपोरेट बॉन्ड और गवर्नमेंट बॉन्ड का बैलेंस होने की वजह से भी उसमें रिस्क कम रहता है.

इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी के तहत लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स में भी निवेश किया जा सकता है, लेकिन पूरे डेट पोर्टफोलियो में उनका रेशियो ज्यादा नहीं होना चाहिए, क्योंकि कॉरपोरेट बॉन्ड्स और शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड्स की तुलना में लॉन्ग ड्यूरेशन फंड कम स्थिर होते हैं.