100 में से 12 रुपये खा जा रहा मेडिकल खर्च, सस्‍ते हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्‍लान की है जरूरत: रिपोर्ट

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से इलाज का खर्च सीधे जेब से देना पड़ता है, जिससे आम लोगों की कमाई पर ज़ोर पड़ रहा है.

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बढ़ते प्रदूषण, बदलती जीवनशैली और खानपान के बीच खुद को स्‍वस्‍थ रखना बड़ा खर्चीला साबित हो रहा है. पॉलिसी बाजार की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च अब परिवारों के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती बनता जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय परिवारों की औसतन 12.2% आमदनी केवल मेडिकल खर्चों में चली जाती है.

ये खर्च घरेलू बजट में दूसरा सबसे बड़ा सेगमेंट बन चुका है. पहले नंबर पर अब भी हमारी बड़ी जरूरतें जैसे राशन, आना-जाना और स्कूल फीस वगैरह शामिल हैं, जिन पर आमदनी का औसतन 31% खर्च हो जाता है.

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस न होना बड़ी वजह

रिपोर्ट में बताया गया है कि हेल्‍थ इंश्‍योरेंस की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण इलाज का खर्च सीधे जेब से देना पड़ता है, जिससे आम लोगों की कमाई पर ज़ोर पड़ रहा है. हैरानी की बात ये है कि जहां लोग मेडिकल खर्च पर अपनी आमदनी का 12.2% खर्च कर रहे हैं, वहीं कार और बाइक इंश्योरेंस पर केवल 3% खर्च करते हैं.

महंगे प्रीमियम के चलते नहीं कराते बीमा

रिपोर्ट के अनुसार, हेल्‍थ इंश्‍योरेंस न लेने वालों में से 31% लोगों का कहना है कि इंश्‍योरेंस प्रीमियम बहुत महंगा है, जबकि 26% ने पैसे की कमी को इसकी वजह बताया. हालांकि, रिपोर्ट में एक सकारात्मक रुझान भी देखने को मिला.

बहुत से लोग शुरुआत में सस्ती पॉलिसी की तलाश करते हैं, लेकिन बाद में बेहतर सुविधाओं वाली पॉलिसी लेना पसंद करते हैं. इससे पता चलता है कि अब ग्राहक सिर्फ सस्ता बीमा नहीं, बल्कि बेहतर मूल्य और कवरेज देख रहे हैं.

जानकारी की कमी भी एक बड़ी बाधा

पैसों की तंगी के अलावा लोगों को इंश्‍योरेंस की सही समझ नहीं होना भी एक बड़ी वजह है.

  • करीब 20% लोगों ने कहा कि उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस की जानकारी नहीं.

  • 18% ने इंश्‍योरेंस लेने की प्रक्रिया को बहुत जटिल बताया.

  • 16% लोग पॉलिसीज के ज्यादा विकल्पों को लेकर कन्‍फ्यूज हो जाते हैं.

कम कवरेज और जागरूकता की कमी

रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि बहुत से लोग अपनी स्वास्थ्य जरूरतों को कम आंकते हैं. 5 लाख रुपये तक का इंश्‍योरेंस कवर बड़ी बीमारियों या इमरजेंसी में नाकाफी साबित होता है. रिपोर्ट के अनुसार,

  • करीब 48% पॉलिसीहोल्‍डर्स ने सिर्फ 5 लाख रुपये या उससे कम का इंश्‍योरेंस कवर लिया है.

  • इतना ही नहीं, 47.6% भारतीय अब भी टर्म इंश्योरेंस और उसके फायदों से अनजान हैं.

  • ये बात देश में वित्तीय जागरूकता और योजना की गंभीर कमी को दिखाती है.

सस्ती और आसान बीमा योजनाओं की जरूरत

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि भारतीय परिवारों को मोटे स्वास्थ्य खर्च से बचाने के लिए आसान, किफायती इंश्‍योरेंस प्‍लान्‍स की जरूरत है. साथ ही इंश्‍योरेंस पॉलिसी ऐसी बनाएं, जो लोगों को समझने में बहुत आसान हो. वहीं लोगों को जागरूक करने के लिए भी प्रयास करते रहने की सिफारिश की गई है, ताकि लोग समय रहते सही फैसले ले सकें.

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