आम निवेशकों के लिए क्यों सही है ETF और इंडेक्स फंड में निवेश, पिछले 5 और 10 साल में कितना मिला रिटर्न?

ETF और इंडेक्स फंड्स कम लागत पर डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का फायदा देते हैं, जिससे जोखिम कम हो जाता है.

इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) को निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रियता मिल रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है इनकी कम लागत और छोटी रकम के निवेश में भी डायवर्सिफिकेशन का फायदा. ये फंड्स उन निवेशकों के लिए सबसे बेहतर हैं जो लंबी अवधि में बाजार आधारित रिटर्न कमाना चाहते हैं और अलग-अलग शेयरों में निवेश के लिए जरूरी डिटेल रिसर्च नहीं कर सकते.

ETF और इंडेक्स फंड्स कम लागत पर डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का फायदा देते हैं, जिससे जोखिम कम हो जाता है. चूंकि ये फंड्स निफ्टी (Nifty 50), सेंसेक्स (Sensex) या ऐसे ही अन्य इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, निवेशकों को बाजार के प्रदर्शन के मुताबिक रिटर्न मिलता है, जो लंबी अवधि में अच्छा खासा मुनाफा दे सकता है.

आकर्षक हैं रिटर्न के आंकड़े

पिछले 5 साल में कई इंडेक्स फंड्स और ETF ने शानदार प्रदर्शन किया है. टॉप 10 इंडेक्स फंड्स और ETF के डायरेक्ट प्लान के पिछले 5 साल के रिटर्न के आंकड़े इसके गवाह हैं:

लंबी अवधि में भी ETF और इंडेक्स फंड्स ने अच्छे रिटर्न दिए हैं. पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले टॉप 10 इंडेक्स फंड्स और ETF के आंकड़े इसका सबूत हैं. सभी आंकड़े डायरेक्ट प्लान के हैं:

ETF और इंडेक्स फंड्स में निवेश के फायदे

  1. कम लागत: ETF और इंडेक्स फंड्स का सबसे बड़ा फायदा इनका कम एक्सपेंस रेश्यो है. चूंकि इन फंड्स को एक्टिव रूप से मैनेज नहीं किया जाता, इनकी लागत एक्टिव फंड्स की तुलना में बहुत कम होती है.

  2. बाजार के अनुसार रिटर्न: ये फंड्स बाजार के प्रदर्शन के अनुसार काम करते हैं, जिससे निवेशकों को पूरे मार्केट की ग्रोथ का फायदा मिलता है. यही वजह है कि इसे निवेशकों के लिए एक बैलेंस्ड और भरोसेमंद निवेश का विकल्प माना जाता है.

  3. डायवर्सिफिकेशन: इंडेक्स फंड्स और ETF कई तरह की कंपनियों में निवेश करते हैं, जिससे निवेश का जोखिम कम हो जाता है.

  4. लंबी अवधि के लिए बेहतर: चूंकि इन फंड्स का मकसद बाजार की लंबी अवधि के उछाल को कैप्चर करना है, ये निवेशकों को लॉन्ग-टर्म कंपाउंडिंग का फायदा देते हैं.

निवेश के समय इन बातों का रखें ध्यान

ETF और इंडेक्स फंड्स में निवेश करते समय कुछ खास बातों को ध्यान में रखना जरूरी है:

  • लॉन्ग-टर्म स्ट्रैटजी : चूंकि ये फंड्स बाजार की लंबी अवधि के उछाल पर आधारित होते हैं, निवेशकों को निवेश के लिए लॉन्ग-टर्म रणनीति अपनानी चाहिए.

  • मिनिमम ट्रैकिंग एरर: इंडेक्स फंड्स में ट्रैकिंग एरर कम होना चाहिए, ताकि फंड का प्रदर्शन उसके बेंचमार्क इंडेक्स के ज्यादा से ज्यादा करीब हो.

  • एक्सपेंस रेश्यो: कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड्स में निवेश करना निवेशकों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है.

किनके लिए बेहतर हैं इंडेक्स फंड और ETF?

ETF और इंडेक्स फंड्स आम निवेशकों के लिए एक सही विकल्प हैं. यह न सिर्फ कम लागत पर बाजार के पूरे प्रदर्शन को कैप्चर करने का मौका देते हैं, बल्कि इनमें लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर बेहतर रिटर्न भी मिलता है.

पिछले 5 और 10 साल के आंकड़े इस बात की सबूत हैं कि ये फंड्स निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प हैं. हालांकि निवेश का फैसला करने से पहले यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि म्यूचुअल फंड के पिछले रिटर्न को भविष्य में भी वैसे ही प्रदर्शन की गारंटी नहीं माना जा सकता. इसके अलावा इक्विटी में निवेश करने के कारण इंडेक्स फंड और ETF के साथ मार्केट रिस्क जुड़ा रहता है. इसलिए इनवेस्टमेंट से पहले अपनी रिस्क लेने की क्षमता को जरूर ध्यान में रखें.