IDFC Bank Row : अपने बोर्ड में 'नॉन-रिटायरिंग' डायरेक्टर का शामिल करना IDFC फर्स्ट बैंक के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है. बैंक इस मुद्दे पर किसी भी तरह की चिंता को दूर करने के लिए घरेलू संस्थागत निवेशकों से बातचीत कर रहा है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि घरेलू संस्थागत निवेशकों से बातचीत पहले ही शुरू हो चुकी है.
बोर्ड में सीट देने के खिलाफ की थी वोटिंग
दरअसल, बैंक के शेयरहोल्डर्स ने ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म वार्बर्ग पिंकस (Warburg Pincus) की कंपनी करंट सी इंवेस्टमेंट्स बीवी को बोर्ड में सीट देने के खिलाफ वोट किया था. बैंक के सिर्फ 64.10% शेयरहोल्डर्स ही इस प्रस्ताव के साथ थे. जबकि नियम के अनुसार किसी रिजॉल्यूशन को पास करने के लिए 75% वोट मिलना जरूरी है.
7,500 करोड़ रुपए का होना है निवेश
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि किसी बड़े निवेशक के खिलाफ शेयरहोल्डर्स ने वोटिंग की हो. ऐसा पिछली बार तब हुआ था, जब साल 2018 में हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन में निवेशकों ने बोर्ड में नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में दीपक पारेख की नियुक्ति के खिलाफ वोट किया था.
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि 10% से ज्यादा हिस्सेदारी वाले निवेशक को बैंक के बोर्ड में स्थान मिलना एक परंपरा रही है. 17 अप्रैल बैंक ने ऐलान किया था कि दो बड़े इनवेस्टर्स करंट सी इन्वेस्टमेंट्स और प्लैटिनम इनविक्टस बी 7,500 करोड़ रुपए का निवेश कर रहे हैं. जिसके लिए 60 रुपए/शेयर के कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर जारी किए जाएंगे. हालांकि इस वोटिंग के बाद ये डील फंस सकती है.
निवेश की बात करें तो करंट सी जहां 4,876 करोड़ रुपये निवेश करेगी, वहीं प्लेटिनम इनविक्टस बैंक में 2,624 करोड़ रुपये निवेश का प्लान है. इस डील के बाद करंट सी के पास बैंक में 9.48% हिस्सेदारी और प्लेटिनम इनविक्टस के पास बैंक में 5.10% हिस्सेदारी होगी.
बातचीत के बाद फिर होगी वोटिंग
बैंक की तरफ से जानकारी दी गई है कि एक बार जब शेयरहोल्डर्स से बातचीत हो जाएगी, उसके बाद फिर से वोटिंग कराई जाएगी. हालांकि इस बारे में कई खबर नहीं है किन इंवेस्टर्स को इसमें वोट देने के लिए बोला जाएगा.