International Women's Day Special: F&O में महिलाओं का लॉस कम, निवेश में रहता है लॉन्ग टर्म नजरिया: रिपोर्ट

International Women's Day: महिलाओं की रुचि निवेश में बढ़ रही है साथ ही उनका नजरिया भी लॉन्ग टर्म का है. वजह है उनका धैर्य. इक्विटी डेरिवेटिव्स में महिला ट्रेडर्स को पुरुषों की तुलना में कम नुकसान होता है.

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क्रिसिल (CRISIL) और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Association of Mutual Funds in India) यानी AMFI के एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि महिलाओं की म्यूचुअल फंड निवेश में हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2019 में महिलाओं के निवेश का AUM 8.8% था, जो मार्च 2024 तक बढ़कर 21.3% हो गया है. इसी अवधि में पुरुषों की AUM हिस्सेदारी 8.2% से बढ़कर 19.9% हुई. ये आंकड़े दिखाते हैं कि महिलाओं की रुचि निवेश में बढ़ रही है साथ ही उनका नजरिया भी लॉन्ग टर्म का है.

शॉर्ट टर्म निवेश करने वालों की संख्या घटी

लॉन्ग टर्म की बात इसलिए हम कर रहे हैं कि डेटा से पता चल रहा है कि एक साल से कम समय के लिए निवेश करने वाली महिलाओं की संख्या बीते समय में घटी है.

एक साल से कम के लिए निवेश करने वाली महिलाओं की संख्या 2019 में जो 40.5% थी, वो घटकर 2024 में 25.4% रह गई.

यानी महिलाओं का ध्यान लंबी अवधि के निवेश पर है और वे निवेश के मामले में धैर्य दिखा रही हैं.

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से बदला कैश फ्लो

महिलाओं के इस नजरिए का ग्रॉस इन्वेस्टमेंट फ्लो पर भी असर पड़ रहा है. बीते 5 साल में महिलाओं के निवेश में 56.5% की बढ़ोतरी हुई है और निवेश का डेटा  ₹3.13 लाख करोड़ तक पहुंच गया है.

वहीं इस डेटा को अगर पुरुषों से तुलना करें कि उनके निवेश में 41.7% की ही बढ़ोतरी हुई है. हालांकि पुरुषों ने ₹7.30 लाख करोड़ निवेश किए हैं.

'हमें फर्क नहीं पड़ता'

इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स का मानना है कि महिलाओं पर शेयर बाजार के रोजाना उतार-चढ़ाव का कम असर होता है. जिस वजह से उनका इन्वेस्टमेंट ज्यादा स्टेबल रहता है.

महिलाओं का पोर्टफोलियो पुरुषों से ज्यादा बढ़ा

यही सब वजह है कि महिलाओं का पोर्टफोलियो साइज बीते 5 साल में औसतन 24% बढ़ा है, जबकि पुरुषों की बात करें तो ये बढ़ोतरी सिर्फ 6% ही रही है.

महिलाओं के निवेश के बढ़ते आंकड़ों की एक वजह है उनकी वर्कफोर्स में बढ़ती हिस्सेदारी. जून 2024 में जारी PLFS यानी पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के मुताबिक, महिलाओं की कार्यबल भागीदारी 2017-18 में 23.3% थी, जो 2023-24 में बढ़कर 41.7% हो गई.

इसके अलावा एक फैक्ट ये भी है कि कुछ लोग अपना डीमैट खाता अपनी फैमिली की महिलाओं के नाम पर चलाते हैं. जिस वजह से भी महिलाओं के नाम पर निवेश बढ़ रहा है.

F&O में महिलाओं को कम नुकसान

महिलाओं के बारे में एक और तथ्य सामने आया है कि जो काफी रोचक है. तथ्य ये है कि इक्विटी डेरिवेटिव्स में महिला ट्रेडर्स को पुरुषों की तुलना में कम नुकसान होता है.

23 सितंबर को जारी हुई SEBI की एक रिपोर्ट में पता चला है कि डेरिवेटिव्स यानी फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेड करने वाली महिलाओं की रिस्क मैनेजमेंट की क्षमता पुरुषों की तुलना में ज्यादा है इसलिए उनको नुकसान भी कम होता है. हालांकि बीते 2 साल में  F&O में महिलाओं की भागीदारी भी घटी है.

FY22 में ये 14.9% थी, जो FY24 में घटकर 13.7% रह गई. इसके बावजूद, महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में कम नुकसान उठाया है. नुकसान के बीच कितना अंतर है ये भी समझ लीजिए- FY24 में महिला ट्रेडर्स को औसतन ₹75,973 का नुकसान हुआ, जबकि पुरुषों को ₹88,804 का. वहीं घाटा उठाने वाली महिला ट्रेडर्स की संख्या पुरुषों की तुलना में कम रही. FY24 में जहां 91.9% पुरुष ट्रेडर्स को नुकसान हुआ, वहीं महिलाओं में ये आंकड़ा 86.3% रहा.

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