NPS vs PPF: रिटायरमेंट के लिए क्या है बेहतर, डिटेल समझकर चुनें सही विकल्प

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) उन इनवेस्टर्स के बीच काफी लोकप्रिय है, जो रिटायरमेंट के लिए निवेश करना चाहते हैं.

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पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) उन इनवेस्टर्स के बीच काफी लोकप्रिय है, जो रिटायरमेंट के लिए निवेश करना चाहते हैं. दोनों में से कौन सी स्कीम किसके लिए बेहतर है, ये तय करना हो, तो दोनों स्कीमों की तुलना करनी होगी. तुलना के लिए जरूरी है कि हम PPF और NPS की तमाम खूबियों को अच्छी तरह जान-समझ लें.

NPS की क्या है खासियत

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) सरकार की तरफ से पेश की गई ऐसी पेंशन स्कीम है, जो फिक्स्ड रिटर्न वाले एसेट्स के साथ ही साथ इक्विटी में भी इनवेस्ट करती है. यही वजह है कि इसमें निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलने की गुंजाइश रहती है. NPS के जरिए लॉन्ग टर्म निवेश शेयर मार्केट से ऊंचा रिटर्न दिला सकता है.

यही वजह है कि लंबी अवधि में रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने के लिहाज से यह एक बेहतर स्कीम मानी जाती है, जिसकी मदद से रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर अच्छी खासी रकम हासिल की जा सकती है. साथ ही NPS में निवेश करने पर इनकम टैक्स में बेनिफिट भी मिलता है.

खास बात यह है कि NPS को अर्थव्यवस्था के संगठित और गैर-संगठित, दोनों क्षेत्रों के वर्कर्स को पेंशन की सिक्योरिटी मुहैया कराने के लिए तैयार किया गया है. इसमें 18 से 70 साल तक के सभी लोग इनवेस्ट कर सकते हैं. यह स्कीम रिटायर होने के बाद आर्थिक सुरक्षा तो मुहैया कराती ही है, साथ ही इसके जरिए आप अपने इनवेस्टमेंट पर कैपिटल एप्रिसिएशन का फायदा भी ले सकते हैं.

निवेशकों को पेंशन दिलाने के लिए चलाई गई स्कीम होने के कारण इसमें लगाए गए पैसों का बड़ा हिस्सा आमतौर पर रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है. जबकि मैच्योरिटी के समय कॉर्पस का एक हिस्सा पेंशन के लिए एन्युइटी खरीदने में लगाना जरूरी होता है. स्कीम में जमा पैसों को मैच्योरिटी से पहले निकालने की इजाजत कुछ खास परिस्थितियों और शर्तों के तहत ही मिलती है.

NPS में मिलती है सबसे ज्यादा टैक्स छूट

एनपीएस में एक फाइनेंशियल इयर के दौरान 1.5 लाख रुपये तक इनवेस्ट करने पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है. इसके अलावा यह इकलौती ऐसी स्कीम है, जिसमें 1.5 लाख रुपये के बाद भी साल में 50,000 रुपये तक के एक्स्ट्रा इनवेस्टमेंट पर भी सेक्शन 80CCD(1B) के तहत छूट मिलती है.

इस तरह से NPS में एक कारोबारी साल के दौरान कुल मिलाकर 2 लाख रुपये तक इनवेस्ट करने पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. ऐसी छूट किसी और स्कीम में नहीं मिलती है. यह सारी छूट एनपीएस के टियर 1 अकाउंट में किए गए इनवेस्टमेंट पर ही मिलती है.

PPF की क्या है खूबी

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी PPF भी सरकार की तरफ से पेश की कई स्कीम है. इसमें जमा किए गए पैसों पर सरकार की तरफ से घोषित ब्याज दर के हिसाब से फिक्स्ड और गारंटीड रिटर्न मिलता है. PPF की मैच्योरिटी 15 साल की है. इतने लंबे लॉक-इन पीरियड की वजह से पीपीएफ लंबे समय तक रेगुलर इनवेस्टमेंट के लिए अच्छी स्कीम है. पीपीएफ पर फिलहाल 7.1 प्रतिशत की सालाना दर से ब्याज मिल रहा है. गारंटीड रिटर्न देने के कारण इसे उन लोगों के लिए अच्छा इनवेस्टमेंट ऑप्शन माना जाता है, जो अपने निवेश पर जरा भी रिस्क नहीं लेना चाहते.

PPF अकाउंट को एक्टिव रखने के लिए उसमें हर साल मिनिमम 500 रुपये जमा करना जरूरी है. एक साल के दौरान पीपीएफ खाते में ज्यादा से ज्यादा 12 बार तक पैसे जमा किए जा सकते हैं. यह अकाउंट 15 साल में मैच्योर होता है, लेकिन इसमें लगातार 5 साल तक पैसे जमा करने के बाद बच्चों की पढ़ाई, शादी और मेडिकल इमरजेंसी जैसे कुछ खास उद्देश्यों के लिए पैसे निकालने की छूट है. पीपीएफ खाते में एक कारोबारी साल के दौरान मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये तक डिपॉजिट किए जा सकते हैं, जिस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ मिलता है.

NPS और PPF में आपके लिए क्या है बेहतर आपके लिए NPS और PPF में क्या बेहतर है, यह समझने के लिए दोनों योजनाओं की खास बातों पर गौर करना होगा. रिस्क-फ्री गारंटीड रिटर्न PPF की सबसे बड़ी खूबी है, लेकिन इस पर मिलने वाला इंटरेस्ट बहुत आकर्षक नहीं है. इसके बावजूद लगातार लंबे समय तक रेगुलर इनवेस्ट करने पर इसके जरिए आप एक बड़ा रिटायरमेंट फंड तैयार कर सकते हैं.

इसके मुकाबले NPS में लगाए पैसों पर आपको PPF की तरह फिक्स और गारंटीड रिटर्न नहीं मिलता है. लेकिन इसके कॉर्पस का एक हिस्सा मार्केट बेस्ड होने की वजह से आप इसमें किए गए इनवेस्टमेंट पर ज्यादा ऊंचा मुनाफा कमाने की उम्मीद कर सकते हैं. साथ ही शेयर बाजार में इनवेस्ट करने वाले दूसरे फंड्स की तुलना में NPS का एक्सपेंस रेशियो भी काफी कम रहता है, जिससे इसका नेट रिटर्न अच्छा रहता है. NPS की एक बड़ी खूबी यह भी है कि इसमें आपको हर साल 2 लाख रुपये तक जमा करने पर टैक्स छूट मिलती है, जबकि पीपीएफ में यह छूट सिर्फ 1.5 लाख रुपये पर मिलती है.

इस टैक्स छूट को मिलाकर देखें तो NPS का नेट रिटर्न और भी बेहतर नजर आएगा. लेकिन यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि शेयर बाजार में इनवेस्ट करने के कारण NPS में निवेश करना रिस्क फ्री नहीं है. मैच्योरिटी के समय आपके NPS टियर 1 खाते में जमा रकम का कम से कम 40 प्रतिशत हिस्सा पेंशन पाने के लिए एन्युइटी में इनवेस्ट करना पड़ता है. इसकी वजह से रिटायरमेंट के वक्त आपकी पूरी रकम एक मुश्त हाथ में नहीं आती, लेकिन एन्युइटी के जरिए रेगुलर इनकम मिलने लगती है, जो सैलरी बंद होने के बाद बड़ी राहत बन सकती है.

अपनी जरूरत के हिसाब से करें फैसला

NPS और PPD - दोनों ही अच्छी स्कीम हैं, जो रिटायरमेंट के बाद आपकी जिंदगी को आर्थिक तौर पर बेहतर और सुरक्षित बनाने में सक्षम हैं. इनमें से किस स्कीम में निवेश करना आपके लिए ठीक रहेगा, यह फैसला आपको अपनी निजी जरूरतों, जोखिम उठाने की तैयारी और निवेश के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए करना होगा.

पूरी तरह रिस्क फ्री इनवेस्टमेंट और रिटर्न चाहने वालों के लिए PPF अच्छी स्कीम है, लेकिन बाजार में निवेश करके अपनी पूंजी पर ज्यादा ग्रोथ हासिल करनी है, वो भी ज्यादा टैक्स छूट के साथ, तो NPS में पैसे लगाए जा सकते हैं. लंबी अवधि में इंफ्लेशन यानी महंगाई दर को मात देने में भी NPS ज्यादा कारगर साबित हो सकती है. सभी बातों पर गौर करें तो दोनों ही स्कीम की अपनी-अपनी खूबियां और सीमाएं हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए आप अपने लिए सही स्कीम सेलेक्ट कर सकते हैं. लेकिन किसी भी स्कीम का चुनाव करें, उसका पूरा लाभ तभी मिलेगा, जब लंबे समय तक रेगुलर इनवेस्टमेंट करेंगे.

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