बढ़ती महंगाई के बीच कैसे बैठाएं घर के बजट का हिसाब-किताब

पिछले कुछ वक्त में खाने की चीजों के दामों ने आग पकड़ी है, ऐसे में पूरा बजट बिगड़ने में देर नहीं लगेगी. कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनके जरिए ऐसी परिस्थितियों से संभला जा सकता है

Source: BQ Prime

घर का बजट किसी भी परिवार के लिए ओवरऑल फाइनेंशियल प्लानिंग का एक बेहद अहम हिस्सा है. जिस तरह से बजट मैनेज किया जाता है, वो एक बड़े अंतराल में आपकी सेविंग्स और किए गए इन्वेस्टमेंट को प्रभावित करता है.

इसका एक बड़ा हिस्सा होता है खाने की चीजें. पिछले कुछ वक्त में खाने पीने की चीजों के दाम तेजी से बढ़े हैं, ऐसे में परिवारों पर काफी दबाव है. कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनके जरिए ऐसी परिस्थितियों से निपटा जा सकता है, जहां पर दामों में हुई बढ़ोतरी जल्दी खत्म होने वाली नहीं है.

दाम में उछाल

अपनी प्रकृति के अनुसार, खाने की चीजों के दाम बढ़ते-घटते रहते हैं और बहुत कम वक्त में इनके दाम बढ़ना पहले भी होता रहा है. आलू, प्याज, टमाटर, दालें और छोटे आइटम, जैसे नींबू, अदरक, पुदीना में आमतौर पर इसमें ऐसा उछाल पहले भी दिखता रहा है. बजट पर इसके पहले किया गया वो काम जरूरी हिस्सा है, जिस दौरान कीमतें ऊंची रहती हैं.

अगर दाम में बढ़ोतरी बहुत कम वक्त के लिए है, तो आपके लिए इसको मैनेज करना बड़ी चुनौती नहीं होगी, और आप अपने फंड्स का सही प्रबंधन करके इससे निपट सकते हैं. हालांकि, अगर कीमतों में लंबे वक्त तक बढ़ोतरी कायम रहती है और उसकी खपत बहुत ज्यादा है तो आपको अपने बजट में इसके लिए कुछ पैसा निकाल सकते हैं.

कीमतें बढ़ने की सीमा

मूल्य वृद्धि की व्यापक प्रकृति का भी प्रभाव पड़ सकता है जब ओवरऑल बजट पर फिर से विचार करने की आवश्यकता होती है. अगर कीमतों में बढ़ोतरी कुछ चीजों के लिए सीमित है तो किसी के लिए चिंता की बात नहीं है और ये कम समय के लिए ही रहती है. अगर दामों में बढ़ोतरी सभी सब्जियों और गेहूं के साथ चावल तक है, तो समस्या आपके लिए बढ़ जाती है. इसका कारण ये है कि ये आपके खाने के ओवरऑल बजट को प्रभावित करता है, वहीं आपको इसके लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ सकती है. इस तरह की स्थिति को बजट में बनाए गए बफर या इमरजेंसी फंड्स के माध्यम से लगातार पूरा नहीं किया जा सकता है.

पैसे का री-अलोकेशन

जिस तरह से स्थिति को संभालना होगा, वो यह सुनिश्चित करेगा कि आपको पूरे बजट पर दोबारा काम किया जाए. आपको इस तरह मैनेजमेंट करना होगा कि पैसे को दूसरे अकाउंट्स से निकालकर यहां पर लगाया जाए.

पैसे को दोबारा व्यवस्थित करने की यह प्रक्रिया हर परिवार के लिए अलग-अलग होगी क्योंकि उन्हें यह देखना होगा कि वे कहां खर्चों में कटौती कर सकते हैं और यहां अधिक धन आवंटित कर सकते हैं. भोजन पर खर्च किए जाने वाले बजट की लिमिट भी जरूरी होगी क्योंकि अगर प्रतिशत के संदर्भ में कम राशि का उपयोग किया जाता है तो यह पुनः आवंटन करना आसान होता है.

खर्च में कटौती

इस पूरी प्रक्रिया को करने का तरीका है कि अन्य खर्चों में कटौती की जाए. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव एंटरटेनमेंट, बाहर खाने और शॉपिंग में खर्च पर कटौती करनी होगी. ये सबसे जरूरी हिस्सा है, जहां पर खर्च किए जाने वाले पैसे को दूसरी जरूरी जगहों पर लगाया जाए. कई जगहों पर इस तरह के बड़े खर्च को रोका जा सकता है. ये हमारे आने वाले कुछ वक्त के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां पर इसका इस्तेमाल खाने की चीजों पर किया जा सके.

लेखक अर्णव पंड्या Moneyeduschool के फाउंडर हैं.