भारत की आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती, लेकिन ग्रोथ अनुमान में बदलाव नहीं

मौजूदा समय में जारी त्योहारी सीजन, सरकार के कैपिटल खर्च बढ़ने की उम्मीद और ग्रामीण डिमांड में रिकवरी से वित्त वर्ष के आखिरी छह महीनों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है.

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भारत में जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के संकेत देखने को मिल रहे हैं. अप्रैल-जून तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ गिरकर 6.7% पर पहुंच गई थी. इससे पिछली तिमाही में ये 7.8% रही थी. मौजूदा समय में जारी त्योहारी सीजन, सरकार के कैपिटल खर्च बढ़ने की उम्मीद और ग्रामीण डिमांड में रिकवरी से वित्त वर्ष के आखिरी छह महीनों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

मैन्युफैक्चरिंग PMI गिरकर 2024 में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. जबकि सर्विसेज PMI घटकर सितंबर में 10 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. इसमें कम निर्यात ऑर्डर्स ने असर किया है. इसके बावजूद दोनों इंडेक्स 50 के आंकडे़ के पार बने हुए हैं, जो ग्रोथ का संकेत देता है.

आठ कोर इंडस्ट्रीज में अगस्त के दौरान 42 महीनों में पहली बार गिरावट देखी गई है. ज्यादा बेस और कुछ क्षेत्रों में जरूरत से ज्यादा बारिश की वजह से इसमें 1.8% की गिरावट आई है. ग्रॉस गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कलेक्शन की ग्रोथ सितंबर में 40 महीने के निचले स्तर 6.5% पर पहुंच गई है. रेवेन्यू 1.73 लाख करोड़ रुपये रहा है. नेट कलेक्शन रिफंड्स को शामिल करने के बाद 3.9% बढ़ा है. ये मौजूदा वित्त वर्ष में सबसे धीमी ग्रोथ दिखाता है.

एक्सपर्ट्स की क्या राय है?

UBS में चीफ इकोनॉमिस्ट तनवी गुप्ता जैन ने कहा कि UBS इंडिया कंपोजिट इकोनॉमिक इंडिकेटर में अगस्त के बाद सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं. अप्रैल-जून तिमाही में चुनावों और हीटवेव की वजह से सुस्ती की उम्मीद थी. इसके बाद सामान्य होने की उम्मीद थी. हालांकि सितंबर तिमाही में कोई बड़ी रिकवरी नहीं आई है. ग्रोथ घटी है और मोमेंटम में गिरावट का ट्रे़ंड देखा जा रहा है.

इसमें कुछ कमजोरी बारिश और चुनाव जैसे अस्थायी फैक्टर्स की वजह से देखने को मिल रही है. इसके अलावा कुछ अन्य वजहें भी हैं. इनमें घटती शहरी डिमांड, ज्यादा रियल इंट्रस्ट रेंट्स, सख्त क्रेडिट पॉलिसी और घटती वैश्विक मांग शामिल हैं.

नोमुरा के रिसर्च नोट के मुताबिक सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और अच्छी मॉनसून स्थितियां मौजूदा वित्त वर्ष के आखिरी छह महीनों के लिए सकारात्मक संकेत हैं. हालांकि कृषि क्षेत्र में घटती खाद्य कीमतों की वजह से व्यापार में मुश्किलें आ रही हैं.

सरकारी कैपिटल खर्च के कम स्तर को लेकर चिंताएं बरकरार हैं. जैन ने खपत में गिरावट के संकेतों का जिक्र किया. दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून ने पावर डिमांड और तेल की खपत को प्रभावित किया है. ये देखना होगा कि क्या ये बारिश की वजह से अस्थायी असर है या कुछ सेक्टर्स में जारी मोडरेशन का संकेत है.

RBI गवर्नर ने दी उम्मीद

इन चुनौतियों के बावजूद RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि खपत और निवेश के ड्राइवर्स स्थिर हैं. सामान्य से अधिक बारिश की वजह से कृषि से सप्लाई और खपत बढ़ेगी. ग्रामीण डिमांड में रिवाइवल के साथ शहरी मांद भी स्थिर है. इसे सर्विसेज सेक्टर से समर्थन मिला है.

इन वजहों से भारतीय रिजर्व बैंक ने FY24-25 के लिए GDP ग्रोथ के अनुमान को 7.2% पर बरकरार रखा है. दूसरी तिमाही के लिए अनुमान 7% और तीसरी और चौथी तिमाही के लिए 7.4% है.

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