केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान नए इनकम टैक्स एक्ट के आने का ऐलान कर दिया है और इस ऐलान के बाद से इस बिल के आने का इंतजार हो रहा है. NDTV Profit को सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि नए इनकम टैक्स बिल का मसौदा (Draft) 6 फरवरी को जारी हो सकता है.
नए इनकम टैक्स बिल का उद्देश्य इनकम टैक्स एक्ट में व्यापक सुधार लाना है. मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट में करीब 6 लाख शब्द शामिल हैं, जिनमें से 3 लाख शब्द कम किए जा सकते हैं. यानी स्पष्ट है कि नया बिल ज्यादा सरल और संक्षिप्त होगा.
जानकार लोगों के अनुसार, ड्राफ्ट बिल में टैक्स के दायरे को बढ़ाने के निर्देश दिए जाने की संभावना है, क्योंकि बजट में छूट सीमा को मौजूदा 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये किए जाने के बाद टैक्स-बेस में कमी आई है.
मामले से परिचित एक सूत्र ने कहा, 'चूंकि टैक्स पिरामिड के निचले हिस्से में शीर्ष की तुलना में कहीं ज्यादा टैक्सपेयर्स हैं, इसलिए इस एडजस्टमेंट(नए टैक्स रिजीम के तहत स्लैब और स्ट्रक्चर में बदलाव) से राजस्व में कमी आ सकती है.
इस सूत्र ने बताया कि बिल में ज्यादा टैक्सपेयर्स को फॉर्मल सिस्टमें में लाने और ओवरऑल टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने के तरीके सुझाए जा सकते हैं.
सरल, संक्षिप्त और सुस्पष्ट
ड्राफ्ट बिल का उद्देश्य लगभग 3 लाख शब्दों की कटौती करके मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट की जटिलता को काफी हद तक कम करना यानी इसे सरल बनाना है. सूत्र ने बताया कि ऐसा करके सरकार कानून को अधिक स्पष्ट और संक्षिप्त बनाने की उम्मीद कर रही है, जिससे बेहतर अनुपालन सुनिश्चित होगा. साथ ही ये स्पष्ट भी होगा. ड्राफ्ट बिल, समीक्षा और सिफारिशों के लिए स्थाई समिति को भेजा जाएगा.
हितधारकों (Stakeholders) से सुझाव आमंत्रित करने के लिए इसे सार्वजनिक भी किया जा सकता है. एक अन्य सूत्र ने कहा, 'इसका उद्देश्य विधेयक को अंतिम रूप देने और इसे कानून बनाने से पहले सभी सुझावों पर विचार करना है.' उन्होंने कहा कि विधेयक के क्रियान्वयन में ज्यादा समय लग सकता है.
CBDT के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने बजट के बाद NDTV Profit को दिए साक्षात्कार में बताया कि बिल में बजट में प्रस्तावित डायरेक्ट टैक्सेस में किए गए सभी बदलाव शामिल होंगे.
व्यापार सुगमता (Ease Of Doing Business)
केंद्रीय बजट में कंप्लायंस को आसान बनाने के लिए कई उपायों का प्रस्ताव किया गया है. उदाहरण के लिए, इसमें TDS और TCS दरों को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव है.
इसमें LRS यानी लिबरलाइज्ड रिमिटेंस स्कीम के तहत पैसे विदेश भेजने पर TCS की सीमा को बढ़ाना शामिल है, जिसे वर्तमान में 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है.
इसके अलावा, एजुकेशनल खर्चों के लिए भेजे गए पैसों पर TCS लागू नहीं हो सकता है. अन्य संभावित प्रावधानों की बात करें तो टैक्सपेयर्स को ओरिजिनल टैक्स स्टेटमें किसी भी चूक या गलती को सुधारने के लिए अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने का विकल्प दिया जाए.
यहां तक कि सीनियर सिटिजन्स के लिए इंटरेस्ट से होने वाली आय पर TDS भी पहले के 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है.
नए बिल की रूपरेखा
इस बिल से मौजूदा एक्ट की अनावश्यक धाराओं को खत्म किए जाने की उम्मीद है, जो पुरानी या अप्रासंगिक हो गई हैं. इसके अतिरिक्त, लिटिगेशन यानी मुकदमेबाजी के मैनेजमेंट में सुधार करने, टैक्स-संबंधी विवादों के लंबित मामलों को कम करने और त्वरित समाधान को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा.
जुलाई 2024 के पूरक बजट में वित्त मंत्री ने डायरेक्ट टैक्स की व्यापक समीक्षा का वादा किया गया था. डायरेक्ट टैक्स लॉ की समीक्षा के लिए नियुक्त आंतरिक समिति ने 6 महीने में ये काम पूरा कर लिया.
सूत्रों ने कहा कि टैक्स कानूनों का आसान संस्करण पिछले निवेशों से आए कुल आय के आकलन को प्रभावित नहीं करेगा, भले ही उन प्रावधानों के तहत कोई नया निवेश न किया जा सके.
हालांकि, इसमें व्यापक अपवाद हो सकते हैं, जिनमें से पहला पिछले निवेशों से वर्तमान या बाद के वर्षों में हुई आय से संबंधित है. अन्य दो मुकदमे, नोटिस और तलाशी से संबंधित हैं.
जानकार अधिकारियों के अनुसार, लंबित टैक्स एसेसमेंट प्रोसीजर में कुल आय के निर्धारण पर प्रभाव डालने वाले किसी भी प्रावधान को खत्म नहीं किया जाएगा. ये माना जाएगा कि टैक्स एसेसमेंट ईयर 2012-13 से संबंधित कार्यवाही अभी भी नियमित रूप से लंबित हो सकती है.
जिन अन्य प्रावधानों को समीक्षा से बाहर रखा जाएगा, वे टैक्स एसेसमेंट ईयर 2014-15 या उसके बाद के वर्ष में कार्यवाही को प्रभावित करने वाले प्रावधान होंगे.
नए इनकम टैक्स बिल का उद्देश्य टैक्स-कोड की भाषा को सरल बनाना है, ताकि टैक्सपेयर्स और प्रोफेशनल्स के लिए इसे समझना आसान हो सके.