आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ऑनलाइन होना हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है. किराने का सामान मंगाने से लेकर कपड़े खरीदने, सोशल मीडिया पर अपडेट देने या बिल भरने तक, लोग जिंदगी के हर पहलू में डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका ऑनलाइन किया जाने वाला कोई भी काम यानी डिजिटल फुटप्रिंट, आपकी टैक्स प्लानिंग में भी अहम रोल निभा सकता है? नए इनकम टैक्स बिल, 2025 के आने के बाद ये और भी जरूरी हो गया है.
नया इनकम टैक्स बिल, 2025 क्या कहता है?
1961 के इनकम टैक्स एक्ट को रिप्लेस करने वाले इस बिल में डिजिटल दुनिया को काफी अहमियत दी गई है. बिल के मुताबिक, टैक्स अथॉरिटी को आपके कंप्यूटर सिस्टम या 'वर्चुअल डिजिटल स्पेस' को एक्सेस करने का अधिकार होगा, जिसमें वो जरूरत पड़ने पर एक्सेस कोड को 'ओवरराइड' भी कर सकते हैं.
थिंक टैंक PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, इस बिल में डिजिटल फुटप्रिंट को 'कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के जरिए बनाए गए और अनुभव किए गए माहौल (Realm)' के रूप में परिभाषित किया गया है. इसमें ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट, और वे वेबसाइट्स शामिल हैं जिसपर आपके किसी भी तरह के एसेट ओनरशिप की डीटेल्स स्टोर हुई हो.
10 मार्च को एक सीनियर इनकम टैक्स अधिकारी ने PTI को बताया कि ये बिल आम टैक्सपेयर्स की ऑनलाइन प्राइवेसी का उल्लंघन नहीं करेगा, भले ही टैक्स रिटर्न की जांच की जा रही हो. ये नया बिल अगर संसद में पास हो जाता है, तो 1 अप्रैल, 2026 से लागू हो जाएगा.
डिजिटल फुटप्रिंट क्या है?
डिजिटल फुटप्रिंट (Digital Footprint) वो सारा डेटा है जो आप इंटरनेट पर छोड़ते हैं, जैसे आपके शेयर किए पोस्ट, वेबसाइट्स जो आप विजिट करते हैं और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स.
ये दो तरह के होते हैं:
एक्टिव डिजिटल फुटप्रिंट: जब आप जानबूझकर जानकारी शेयर करते हैं. जैसे सोशल मीडिया पोस्ट, वेबसाइट पर लॉगिन करना, या ब्राउजर पर कुकीज एक्सेप्ट करना.
पैसिव डिजिटल फुटप्रिंट: जब आपकी जानकारी बिना आपको पता चले इकट्ठा की जाती है. जैसे सोशल मीडिया साइट्स आपके लाइक्स और कमेंट्स के आधार पर आपको टारगेटेड कंटेंट या विज्ञापन दिखाती हैं.
डिजिटल फुटप्रिंट ट्रैक करना क्यों जरूरी है?
नए इनकम टैक्स बिल के तहत आपकी सारी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स की जांच हो सकती है, ऐसे में डिजिटल फुटप्रिंट पर नजर रखना टैक्स प्लानिंग के लिए जरूरी है. इसके अलावा भी अपने डिजिटल फुटप्रिंट पर आपको नजर रखनी चाहिए जिसके ये कारण हो सकते हैं.
प्राइवेसी और सिक्योरिटी: आपका डेटा साइबर अपराधियों के लिए खतरा बन सकता है. मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, अनावश्यक कुकीज को बंद करना और HTTPS वाली सुरक्षित वेबसाइट्स का इस्तेमाल आपके डेटा को सुरक्षित रखता है.
प्रतिष्ठा (Reputation) का असर: आपके ऑनलाइन डेटा से नौकरी देने वाले आपकी छवि बनाते हैं. गलत या ऐसे कंटेंट जो उचित ना हों, वो आपकी छवि खराब कर सकते हैं.
फाइनेंशियल फ्रॉड से बचाव: ऑनलाइन लोन लेते या निवेश के विकल्प तलाशते समय सावधानी बरतना जरूरी है ताकि फ्रॉड से बचा जा सके.
टैक्स प्लानिंग: आपका डिजिटल फुटप्रिंट आपकी सारी ऑनलाइन फाइनेंशियल गतिविधियों को दिखाता है. इसे ट्रैक करने से आप अपनी आय, खर्च और निवेश का सही हिसाब रख सकते हैं, जो टैक्स रिटर्न भरते समय मदद करता है.
कैसे रखें डिजिटल फुटप्रिंट पर नजर?
सोशल मीडिया पर पोस्ट्स की प्राइवेसी सेटिंग्स को कंट्रोल करें.
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म यूज करें.
अनावश्यक कुकीज और डेटा शेयरिंग को बंद करें.
मजबूत पासवर्ड और मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें.