आज प्रीमियर एनर्जीज ( Premier Energies Ltd.) और वारी एनर्जीज (Waaree Energies Ltd.) के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी जा रही है. दोनों ही कंपनियों के शेयर 10% से ज्यादा टूट गए. इन दोनों ही शेयरों में गिरावट की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का नया टैक्स बिल है.
ट्रंप के टैक्स बिल से सोलर शेयरों पर दबाव
अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने राष्ट्रपति ट्रंप के नए टैक्स बिल को 'वन बिग, ब्यूटीफुल बिल' नाम दिया है. 215-214 के मामूली अंतर से पारित हुए इस बिल का ग्लोबल क्लीन एनर्जी खास तौर पर सोलर एनर्जी पर गहरा असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है.
इस बिल में क्लीन एनर्जी सेक्टर को दिए जा रहे तमाम इनसेंटिव्स को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें इन्वेस्टमेंट एंड प्रोडक्शन टैक्स क्रेडिट्स शामिल हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में सोलर और रीन्युएबल एनर्जी के विकास को आधार देते हैं. इस बिल को अब सीनेट में भेजा जाएगा, अगर ये वहां से भी पास हो जाता है तो ये यूटिलिटी स्केल और रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन के लिए सपोर्ट को काफी हद तक कम कर सकता है.
इस बिल का असर अमेरिका की सोलर एनर्जी कंपनियों के शेयरों पर दिखा है, अमेरिका की सबसे बड़ी रूफटॉप सोलर कंपनी SunRun और विंड और सोलर प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाली कंपनी सबसे दिग्गज कंपनी NextEra Energy के शेयर 37% तक टूट गए. भारत में वारी एनर्जीज का शेयर आज इंट्राडे में 11.11% गिरकर 2,664 रुपये तक लुढ़क गया, जबकि प्रीमियर एनर्जीज के शेयर 5.34% गिरकर 1,025.60 रुपये प्रति शेयर पर आ गया.
नए बिल में वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने या इलेक्ट्रिक हेवी-ड्यूटी वाहनों की खरीद के लिए दिए जाने वाले अनुदान को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है. नए विधेयक के तहत सोलर रूफटॉप सिस्टम स्थापित करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए 30% टैक्स क्रेडिट को भी खत्म कर दिया जाएगा
क्यों टूटे वारी और प्रीमियर एनर्जी के शेयर
अमेरिका के पास हुए इस बिल से भारत की सोलर कंपनियों के शेयर क्यों टूट गए. इसको समझ लेते हैं. वारी एनर्जीज के लिए ये बिल एक बड़ी रुकावट बन सकता है, क्योंकि कंपनी अपनी ऑर्डर बुक का 57% हिस्सा अमेरिका से हासिल करती है. जिससे अमेरिका में जो भी पॉलिसी बदलाव होते हैं, उसका इस कंपनी के कामकाज पर असर पड़ना तया है. हालांकि 2031 तक 45 गुना मैन्युफैक्चरिंग टैक्स क्रेडिट का विस्तार वारी के पहले से प्लान अमेरिकी ऑपरेशंस के लिए कुछ राहत जरूर देता है, लेकिन कुल एक्सपोर्ट के मौकों पर चुनौतियां भी जरूर पैदा हो सकती हैं
जबकि प्रीमियर एनर्जीज पर असर बहुत थोड़े समय के लिए हो सकता है. अभी इसका केवल 3% रेवेन्यू एक्सपोर्ट से आता है. हालांकि अमेरिका में 1.2 GW सोलर मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगाने की इसकी योजना अब जोखिम में पड़ सकती है, क्योंकि पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता बढ़ जाएगी.