स्टील-सीमेंट कंपनियों के कार्टेल से रोड प्रोजेक्ट्स को होता है नुकसान: गडकरी

गडकरी ने कहा कि भारत में किसी प्रोडक्ट की लागत में लॉजिस्टिक्स का खर्च 14-16% आता है, जबकि चीन में ये आंकड़ा महज 8 से 10% है.

Source: Twitter/Nitin Gadkari

केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने स्टील और सीमेंट सेक्टर के बड़े प्लेयर्स कीमतों पर नियंत्रण के लिए आपस में कार्टेलाइजेशन यानी गुटबंदी करते हैं.

CRISIL इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर कॉन्क्लेव में गडकरी ने कहा, 'स्टील और सीमेंट इंडस्ट्री में बड़े प्लेयर्स को जब भी मौका मिलता है, वे कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आपस में कार्टेल बना लेते हैं और रेट बढ़ा देते हैं.'

लॉजिस्टिक्स पर खर्च को कम करना टार्गेट

लॉजिस्टिक्स कॉस्ट पर गड़करी ने कहा कि भारत में आज किसी भी प्रोडक्ट को बनाने में लॉजिस्टिक्स कॉस्ट 14-16% बैठती है, जबकि चीन में ये आंकड़ा महज 8 से 10% है.

गडकरी ने कहा, 'हमारा मिशन लॉजिस्टिक्स खर्च को 2024 के अंत तक सिंगल डिजिट में लाने का है.'

ठेके लेने के लिए नियम किए ढीले

गडकरी ने कहा कि पहले सिर्फ 50 बड़े कॉन्ट्रैक्टर्स ही रोड कंस्ट्रक्शन का ठेका लेने के लिए उपलब्ध रहते थे. मुझे लगा कि ये सही नहीं है. इसलिए मैंने टेक्निकल और फाइनेंशियल नियमों को लिबरल कर दिया, आज हमारे पास 600 बड़े रोड कॉन्ट्रैक्टर्स हैं.'

हालांकि गडकरी ने आगे कहा कि 'इनमें से कुछ कॉन्ट्रैक्टर्स हाइवे कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट से 30-40% कम कीमत कोट करते हैं. हमें क्वालिटी और लागत में संतुलन बनाए रखना होगा. ये हमारे सामने बड़ी चुनौती है.'

DPR में सामने आ रहीं दिक्कत

गडकरी ने आगे कहा कि NHAI को DPR (Detailed Project Report) बनाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि संबंधित कंपनियां नई तकनीक को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं. जबकि सरकार नई तकनीक के उपयोग को प्रोत्साहन दे रही है.

उन्होंने कहा, 'DPR बनाने के दौरान ये कंपनियां नई तकनीक के साथ-साथ नए इनोवेशन, नई रिसर्च को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं. यहां तक कि DPR का स्टैंडर्ड भी इतना कम है कि हर कहीं और काम करने का स्कोप बचा रहता है.'

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