सरकार इन्सॉल्वेंसी कानून (IBC) में संशोधन करने पर काम कर रही है. ये जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है.
संशोधन करने का उद्देश्य इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाना, समाधान प्रक्रिया को तेज करना और लेनदारों के हितों की रक्षा करना है. इन संशोधनों से कंपनी और व्यक्तियों दोनों के लिए इन्सॉल्वेंसी की समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी.
द इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) स्ट्रेस्ड एसेट्स के मार्केट से जुड़े और टाइम-बाउंड रेसोलुशन का प्रावधान करती है और फ्रेमवर्क के तहत लेंडर्स की कमिटी (CoC) एक प्रमुख एलिमेंट है.
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, इन्सॉल्वेंसी इकोसिस्टम को और बेहतर बनाने के साथ-साथ सॉल्यूशन टाइमलाइन को कम करने के हिस्से के रूप में IBC में संशोधन करने पर काम कर रहा है.
सीनियर अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि मंत्रालय IBC में संशोधन पर काम कर रहा है और अगले पार्लियामेंट सेशन में पेश किए जाने की संभावना है.
मंत्रालय ने IBC में 6 संशोधन किए
मंत्रालय ने IBC में छह संशोधन किए हैं और कोड की शुरुआत से लेकर अब तक विनियमों में कम से कम 122 संशोधन किए हैं.
कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रेज्योलुशन प्रक्रिया (CIRP) के माध्यम से कुल 1,119 मामलों का समाधान किया गया है, जिससे 31 दिसंबर, 2024 तक कोड के तहत क्रेडिटर्स को लगभग 3.58 लाख करोड़ रुपये की वसूली मिली है.
अन्य प्रावधानों के अलावा, IBC के सेक्शन 31 (4) में संशोधन की संभावना है, जिसके तहत बिडर्स को CoC को सॉल्यूशन प्लान प्रस्तुत करने से पहले कंंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) से अप्रूवल लेना होगा.