NDTV के सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में 18 मई को मुख्यमंत्री शपथ ले सकते हैं. इसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी शामिल हो सकती हैं. हालांकि अभी कर्नाटक के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं हुआ है. NDTV के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सोमवार तक मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर सकती है. मल्लिकार्जुन खड़गे दिल्ली में कर्नाटक का मुख्यमंत्री चुनने के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिलेंगे.
दरअसल, कांग्रेस की जीत के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है. कर्नाटक का ताज किसके सिर सजेगा, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया गद्दी पर बैठेंगे या पार्टी के संकटमोचक बनकर उभरे प्रदेश अध्यक्ष DK शिवकुमार 'कर्नाटक की कमान' संभालेंगे.
दरअसल, सिद्धारमैया राहुल गांधी की पसंद बताए जाते हैं तो वहीं, प्रियंका गांधी की पसंद DK शिवकुमार हैं. अब ऐसे में ये लड़ाई भी दिलचस्प हो सकती है.
सिद्धारमैया पर बनेगी सहमति?
सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक पांच सालों के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं. वो मैसूरु जिले के सिद्धारमनहुंडी से आते हैं. अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों वाले अहिंदा (अल्पसांख्य, हिंदुलिदा और दलित) समूह के बीच सिद्धारमैया जननेता के रूप में जाने जाते हैं.
सिद्धारमैया गांधी परिवार के ज्यादा करीब माने जाते हैं. और गांधी परिवार अपने करीबियों को मौका देने के लिए जाना जाता है. 2018 में जब सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने कैम्पेनिंग का जिम्मा उठाया था, लेकिन उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा. कांग्रेस पार्टी तब 122 सीटों से 80 सीटों पर सिमट गई थी और उसे JDS के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी.
इसके अलावा सिद्धारमैया के खिलाफ भी कुछ और बातें जाती हैं. 76 साल के कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री पर कुरुबा समुदाय को जरूरत से ज्यादा महत्व देने का आरोप लगता रहा है. इससे लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय के लोग के समुदाय के लोगों को दिक्कत हो सकती है. उन्होंने टीपू सुल्तान की तारीफ में भी बात कही थी. और उन्होंने बहुत से PFI और SDPI कार्यकर्ताओं को भी रिहा करने का फैसला लिया था, जो आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे.
DK शिवकुमार की मजबूत दावेदारी
DK शिवकुमार की मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी भी काफी मजबूत है. कांग्रेस पार्टी के वफादार लोगों में इनकी गिनती होती है. अपने क्षेत्र में एक मजबूत जनाधार रखते हैं. मौजूदा समय में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमिटी (KPCC) के अध्यक्ष हैं. एचडी कुमारस्वामी और सिद्धारमैया की सरकारों में वे मंत्री भी रह चुके हैं. कनकपुरा विधानसभा सीट से वे 8वीं बार जीतकर आए हैं. वे कांग्रेस पार्टी के लिए राज्य में संकटमोचक हैं.
इन सब प्लस प्वाइंट्स के साथ कुछ निगेटिव भी उनके साथ जुड़े हैं. ADR के मुताबिक, पार्टी राज्य में फंड जुटाने के लिए उन पर निर्भर है. उनके खिलाफ CBI, ED और इनकम टैक्स विभाग ने कई मामले दर्ज किए हैं. मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप में उन्होंने तिहाड़ जेल में करीब 104 दिन बिताए थे.
DK शिवकुमार को अक्सर गांधी परिवार के लोगों के साथ देखा जाता है. शिवकुमार सबसे पहले सुर्खियों में साल 2017 में आए, जब सोनिया के पूर्व सलाहकार अहमद पटेल राज्यसभा चुनाव में कड़ी टक्कर का सामना कर रहे थे. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि विधायकों को BJP की पहुंच से दूर रखा जा सके.
सिद्धारमैया या DK शिवकुमार, दोनों में से कोई एक दूसरे से हल्का या कमतर नहीं. ये फैसला करना कांग्रेस के लिए भी कड़ा इम्तिहान जैसा होगा कि कर्नाटक की कमान किसको सौंपी जाए.