18वें लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. 26 अप्रैल से 1 जून तक 7 चरणों में वोटिंग होगी और नतीजे 4 जून को आएंगे. चुनाव भले ही एक-सवा महीने में पूरे हो जाएं, लेकिन चुनाव की तैयारी साल भर पहले से शुरू हो गई थी.
मतदान और सुरक्षा से जुड़े करीब 1.5 करोड़ कर्मचारी चुनाव को शांत ढंग से पूरा करवाने के लिए काम करेंगे. ये शांति काल में होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा मोबलाइजेशन है.
कुछ खास तथ्य:
लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में इस बार 97 करोड़ मतदाताओं के पास देश की बागडोर सौंपने की जिम्मेदारी होगी.
543 लोकसभा सीटों में 10.5 लाख पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे.
कुल 55 लाख EVM का इस चुनाव में इस्तेमाल किया जाएगा.
करीब 4 लाख गाड़ियां ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल की जाएंगी.
पिछले साल जून से ही शुरू हो गई थी तैयारियां
पिछले साल जून में, चुनाव आयोग ने चरणबद्ध तरीके से पेपर ट्रेल मशीन और EVM मशीनों के 'फर्स्ट लेवल चेक' का काम पूरा कर लिया था. फर्स्ट लेवल चेकिंग (FLC) में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और पेपर मशीन को BEL और ECIL के इंजीनियर चेक करते हैं. ठीक काम नहीं करने वाली मशीनों को वापस भेज दिया गया.
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'मॉक पोल्स' यानी चुनाव का प्रैक्टिस टेस्ट कराया गया, जिससे चुनाव में हिस्सेदारी करने वाली पार्टियां EVM और दूसरी मशीनों को लेकर संतुष्ट हो सकें. चुनाव आयोग ने इससे जुड़ा एक कैलेंडर जारी किया, जिसमें प्रदेशों के मुख्य चुनाव अफसरों के लिए निर्देश दिए गए हैं. मॉक पोल्स के तहत राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में 2 पोलिंग मशीन से वोटिंग कराई गई.
प्रदेशों के मुख्य चुनाव आयुक्तों के साथ कई सेशन आयोजित किए गए, जहां पर इलेक्शन मैनेजमेंट से जुड़ी सावधानियां समझी गईं. इसमें वोटर जागरूकता, फर्जी काम को रोकना, वोटिंग के लिए उचित माहौल के होने जैसी चीजों पर फैसले किए गए.
वोटिंग कराने के लिए पूरे देश में बड़े इंफ्रा की भी जरूरत पड़ेगी, इसके लिए पोल पैनल ने अधिकारियों से बातचीत शुरू की.
रेलवे और गृह मंत्रालय के साथ कोर्डिनेशन
चुनाव आयोग ने रेलवे और गृह मंत्रालय के कई सीनियर अधिकारियों के साथ मीटिंग की है. इलेक्शन मैनेजमेंट के साथ सुरक्षाबलों को लगाया गया है, जो ट्रेन, नाव और हैलीकॉप्टर के ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर चुनावी मुहिम को पूरा कराएंगे.
जमीनी स्तर पर काम करने वालों के लिए रहने की अच्छी जगह और बढ़िया खाने का इंतजाम किया गया है. इसके अलावा आयोग ने चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही भी मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड से मंगाई है.
5 साल में एक बार होने वाले चुनाव में पार्टियां तो अपने वादे और दावे लेकर जनता के बीच जा रही हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने भी सही तरह से चुनाव पूरे कराने का जिम्मा उठाया है.