'मैं फिर आऊंगा'...और इस तरह BJP के 'हीरो' बनकर उभरे देवेंद्र फडणवीस! किन चुनावी चालों से दिलाई कामयाबी?

देवेंद्र फडणवीस, एक बार फिर उसी भूमिका में वापस आए हैं. PM मोदी के नेतृत्‍व में अपनी पॉलिटिकल स्‍ट्रैटेजी के साथ उन्‍होंने BJP को शानदार सफलता दिलाई है.

'मेरा पानी उतरता देख, किनारे पर घर मत बसा लेना/ मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा'. 2019 चुनाव से पहले विधानसभा के आखिरी सत्र में देवेंद्र फडणवीस के भाषण की ये लाइनें, एक बार फिर से वायरल हैं. देवेंद्र फडणवीस ने चुनावी नतीजों के बीच बंपर सफलता की क्रोनोलॉजी समझाते हुए जो वीडियो पोस्‍ट की है, उसमें भी पार्श्‍व में यही लाइनें गूंज रही हैं.

आज जबकि BJP ने महाराष्‍ट्र में शानदार प्रदर्शन किया है और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है तो देवेंद्र फडणवीस के विरोधियों के कान में ये लाइनें भले ही चुभ रही होंगी. लेकिन उन्‍होंने जो कहा, वो कर दिखाया.

2019 विधानसभा चुनाव से पहले आखिरी विधान सत्र में देवेंद्र फडणवीस ने अपनी स्‍पीच में कहा था- मैं वापस आऊंगा, इसी भूमिका में आऊंगा. और देखिए कि वे पूरी मजबूती के साथ वापस आए हैं. उनकी स्‍पीच का पूरा अंश कुछ यूं था-

'मैं वापस आऊंगा! इसी संकल्प के साथ मैं फिर आऊंगा, नया महाराष्ट्र बनाने! मैं अपने महाराष्ट्र को सूखा मुक्त बनाने, शहरों की सूरत बदलने, गांवों को पानी देने, नवमहाराष्ट्र बनाने के लिए मैं फिर आऊंगा! युवा मित्रों को सशक्त बनाने के लिए... मैं फिर आऊंगा!'
'मैं फिर आऊंगा... इसी संकल्प के साथ, इसी भूमिका में मैं फिर आऊंगा.'
'इस स्थान पर हर व्यक्ति का समर्थन करते हुए, नए महाराष्ट्र के निर्माण के लिए, अपने महाराष्ट्र को नया आकार देने के लिए उसका हाथ थामकर... मैं फिर आऊंगा! मेरा पानी उतरता देख, मेरे विचार पर घर मत बसा लेना. मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा.'

देवेंद्र फडणवीस, एक बार फिर उसी भूमिका में वापस आए हैं. PM मोदी के नेतृत्‍व में अपनी पॉलिटिकल स्‍ट्रैटेजी के साथ उन्‍होंने BJP को शानदार सफलता दिलाई है.

नंबर 1 से नंबर 2 की भूमिका में आना पड़ा

2019 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. BJP और शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने गठबंधन तोड़ दिया और फड़णवीस को विपक्ष में बैठना पड़ा था. ढाई साल बाद बदले समीकरण में BJP एक बार फिर सत्ता में आई, लेकिन BJP को CM की कुर्सी शिवसेना की झोली में डालनी पड़ी.

फडणवीस ने यहां भी बड़ा दिल दिखाया, मुख्‍यमंत्री के दावेदार होने के बावजूद उन्‍होंने उप मुख्यमंत्री का पद स्‍वीकार किया. और अब तमाम विपरीत परिस्थितियों में जूझते हुए, लड़ते हुए, बाधाओं को पार करते हुए फडणवीस ने जोरदार वापसी की.

6 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में BJP को राज्य में सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली थी. उस कठिन परिस्थिति से पार पाते हुए फडणवीस ने सफलता हासिल की. राज्य में विधानसभा चुनाव में फडणवीस पार्ठी का प्रमुख चेहरा थे, जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय भी हैं. ऐसे में चुनावी नतीजों से स्पष्ट है कि फडणवीस के नेतृत्व में BJP ने वोटर्स का विश्वास जीतने में कामयाबी हासिल की.

आइए समझने की कोशिश करते हैं, देवेंद्र फडणवीस की इस सफलता का राज क्‍या है और उनकी कौन-सी रणनीतियां BJP के शानदार प्रदर्शन का कारण बनीं.

1). विकास का मंत्र

अपने भाषणों में, देवेंद्र फडणवीस ने महायुति सरकार के दौरान मुंबई और महाराष्ट्र में किए गए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट्स, मुंबई मेट्रो का विस्‍तार, प्रदेश में बढ़े विदेशी निवेश, मराठवाड़ा हाइड्रो पावर प्रोजेक्‍ट जैसे तमाम उपलब्धियों और उनसे लोगों को होने वाले फायदों के बारे में बताया. उनकी बातों का असर वोटर्स पर पड़ा. खासकर शहरी वोटर्स इन मुद्दों से खूब प्रभावित हुए.

2). लोकप्रिय चेहरा

देवेंद्र फडणवीस महाराष्‍ट्र में एक लोकप्रिय और भरोसेमंद चेहरा बन कर उभरे हैं. कई क्षेत्रों में उनकी लोकप्रियता इस कदर हावी है कि लोग उनके डिप्‍टी CM रहने के बावजूद उन्‍हें ही मुख्‍यमंऋी मानते रहे हैं. NDTV मराठी कॉन्‍क्‍लेव में जब इस पर बात छिड़ी तब उन्‍होंने हंसते हुए इसे समस्‍या नहीं बल्कि समाधान बताया था. हालांकि उन्‍होंने ये कह कर बात संभाली थी कि इसका ये मतलब नहीं कि वे ही मुख्‍यमंत्री बनेंगे.

3). आक्रामक हिंदुत्व

पूरे चुनाव प्रचार के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने आक्रामक हिंदुत्व के मुद्दे को प्रभावी ढंग से उठाया. उन्होंने वोटर्स से 'वोट जिहाद' का जवाब 'धार्मिक रण' से देने की अपील की. फड़णवीस के प्रचार से लोकसभा में निष्क्रिय रहे BJP के परंपरागत वोटर्स में उत्‍साह देखा गया. वहीं नए वोटर्स भी BJP की ओर आकर्षित हुए.

4). सहयोगियों से समन्वय

BJP ने सहयोगी दल शिवसेना और NCP के साथ मैदान में उतरी और जब सीट आवंटन की बात आई तो इस मुद्दे को सुलझाने में फडणवीस ने अहम भूमिका निभाई. महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे को लेकर अंत तक असमंजस की स्थिति बनी रही. चुनाव के दिन भी सुशील कुमार शिंदे जैसे वरिष्ठ नेताओं ने खुला रुख अपनाया, जबकि महायुति में ऐसी दिक्‍कतें नहीं आईं.

5). बड़ी बाधा पर काबू

मराठा आरक्षण आंदोलन को फडणवीस की राह में बड़ी बाधा माना जा रहा था. मनोज जरांगे के इस आंदोलन की मार लोकसभा चुनाव में भी पड़ी थी. लेकिन, विधानसभा चुनाव में जरांगे फैक्टर से पार पाने की BJP की रणनीति सफल रही. रणनीति बनाने में फड़णवीस सबसे आगे थे. BJP का 'एक हैं तो सेफ हैं' नारा भी निर्णायक साबित हुआ.

जीत के बाद क्‍या बोले फडणवीस? 

विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जनता ने प्रधानमंत्री मोदी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महायुति सरकार पर भरोसा जताया है. उन्‍होंने इसे जनता की जीत बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने हमें अभूतपूर्व जीत दी है, इससे पता चलता है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ हैं. PM मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' के अनुरूप, सभी वर्गों और समुदायों के लोगों ने एकजुट होकर हमें वोट दिया.

फडणवीस ने कहा कि अगले मुख्यमंत्री पर कोई विवाद नहीं होगा, तीनों दलों के नेता मिलकर फैसला करेंगे. उन्‍होंने कहा, 'पहले दिन से ही तय था कि चुनाव के बाद तीनों दलों के नेता एक साथ बैठकर इस पर फैसला करेंगे और ये फैसला सबको मंजूर होगा, इस पर कोई विवाद नहीं है.'

उन्‍होंने कहा, 'मैं चक्रव्यूह को तोड़ना जानता हूं. हमने महाविकास अघाडी के चक्रव्यूह को तोड़ा है.' फडणवीस ने कहा कि उनका इस चुनाव में बहुत छोटा सा सहयोग रहा है. सबने एकसाथ मिलकर ये चुनाव लड़ा है और ये एकता की जीत है.

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