NDTV Exclusive: मोदी 3.0 में मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस, सेमीकंडक्टर से लेकर पारंपरिक क्षेत्रों को भी डेवलप करने का प्लान- जयशंकर

NDTV Exclusive Interview में जयशंकर ने यूक्रेन, बांग्लादेश, मोदी कार्यकाल में विदेश नीति के रुख समेत कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की.

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NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस है, जहां बीते सालों में देश पिछड़ गया है.

टेक्नोलॉजी की अहमियत पर बोलते हुए जयशंकर ने कहा, 'जब तक हमारे पास टेक्नोलॉजी नहीं है, हम विकसित नहीं बन सकते.'

उन्होंने आगे कहा, 'हमारे पास मैन्युफैक्चरिंग की क्षमताएं नहीं होंगी, तो टेक्नोलॉजी कहां से आएगी. मतलब हमारा आधार मैन्युफैक्चरिंग है. इसलिए हमें मैन्युफैक्चरिंग को आगे बढ़ाना चाहिए.'

इस इंटरव्यू में जयशंकर ने यूक्रेन, बांग्लादेश, मोदी कार्यकाल में विदेश नीति के रुख समेत कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की.

नई टेक्नोलॉजी के साथ पारंपरिक मैन्युफैक्चरिंग को भी आगे बढ़ाना जरूरी: जयशंकर

नॉर्मल मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ न्यू इमर्जिंग टेक्नोलॉजी, जैसे सेमीकंडक्टर, AI, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी है, इन्हें आगे बढ़ाना चाहिए. लेकिन इनके साथ-साथ इंजीनियरिंग गुड्स और बाकी नॉर्मल मैन्युफैक्चरिंग को भी आगे ले जाना चाहिए: जयशंकर

विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि 'बीते कुछ वक्त में भारत मैन्युफैक्चरिंग में पीछे रह गया है. लेकिन अब इस दिशा में काम हो रहा है. देश में 12 इंडस्ट्रियल नोड्स की घोषणा की गई है. इसके लिए जरूरी स्किल्स को प्राथमिकता दी जा रही है. बजट में भी स्किल को प्राथमिकता दी गई है. इंफ्रा के साथ-साथ इंडस्ट्रियल गुड्स के निर्माण को तेज करने की कोशिश है. आज दुनिया में भारत के बारे में काफी उत्साह है.'

इंटरव्यू में विदेश मंत्री द्वारा कही गई बड़ी बातें:

  • बांग्लादेश की अपनी राजनीति है. वो (तख्तापलट) उनका आंतरिक विषय है. हमारा स्टैंड साफ है, जो भी वहां की मौजूदा सरकार होगी, हम उसके साथ रिश्ता मजबूत रखेंगे. हम उनसे रिश्ते स्थिर रखना चाहते हैं, हमारा सहयोग अच्छा है, लोगों के आपसी रिश्ते भी बढ़िया हैं.

  • ये यूक्रेन युद्ध का तीसरा साल है. प्रधानमंत्री जुलाई में रूस गए थे, इसके बाद वे यूक्रेन भी गए. रूस और यूक्रेन दोनों के साथ हमने रिश्ते बना रखे हैं, हम इस स्थिति में हैं कि दोनों देशों के साथ बैठकर बात कर सकें.

  • आने वाले दिनों में 'समिट ऑफ द फ्यूचर' और 'QUAD' समिट पर नजर रहेगी. समिट ऑफ द फ्यूचर विकासशील देशों की तरक्की का विश्लेषण है. पिछले कुछ अहम सम्मेलन में 2030 एजेंडा को पूरा करने में कई देश कोविड और अन्य कारणों से नाकाम रहे हैं. अब इसका समिट में विश्लेषण किया जाएगा. वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो बोलेंगे, वो दुनिया ध्यान से सुनेगी.

  • अगर आप भारत की पोजीशनिंग समझना चाहते हैं तो पहले 100 दिनों पर गौर फरमाइये. G7 देशों के साथ मुलाकात के लिए प्रधानमंत्री इटली गए. मैं SCO शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधि के तौर पर गया. यहां रूस, चीन, सेंट्रल एशिया, ईरान हैं. रूस-यूक्रेन दोनों के साथ हमने रिश्ते बना रखे हैं. कुछ दिनों में QUAD होने वाला है, प्रधानमंत्री आसियान भी गए. इस दौरान ग्लोबल साउथ समिट हुई. मतलब हम सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर फोकस हैं. हमारे सबके साथ अच्छे संबंध हैं और हमारी पोजीशनिंग काफी अच्छी है.

  • PM के तीसरे कार्यकाल में भारत में बहुत प्रगति होगी. बीते 10 साल में राष्ट्रीय विकास के लिए हमने कई संस्थान बनाए. आप रोड, रेलवे या किसी भी चीज के आंकड़े देखें, हमने काफी डेवलपमेंट किया है. अगले 5 साल में ये दोगुने होंगे. मैं कहूंगा कि आने वाले कार्यकाल को हम राष्ट्रीय विकास के हिसाब से डिफाइन करेंगे.

  • मैं ये भी कहूंगा कि लोकतांत्रिक देशों में मोदी सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं. लोग उनकी कद्र करते हैं. मुझे लगता है कि युद्ध से जूझ रही दुनिया में शांति स्थापित करने में PM मोदी का योगदान हो सकता है. पहले 100 दिन में इसकी झलक भी दिखाई दे रही है.

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