OpenAI ने पेश किया नया मॉडल o1; सोच-समझ कर देता है जवाब, मुश्किल से मुश्किल समस्‍या का हल चुटकी में!

कंपनी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि उसकी रीजनिंग कैपेबिलिटी इससे पहले डेवलप किए गए अन्य AI मॉडल्स से बेहतर है. कंपनी ने o1 का एक छोटा, सस्ता वर्जन 'o1-mini' भी जारी किया है.

ओपन AI (OpenAI) ने एक नया AI मॉडल o1 सीरीज को पेश किया है. इसकी मदद से जटिल समस्याओं का आसानी से समाधान किया जा सकेगा. ये इन मुश्किलों को एक इंसान के मुकाबले ज्यादा तेजी के साथ सॉल्‍व करेगा.

कंपनी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि उसकी रीजनिंग कैपेबिलिटी, इससे पहले डेवलप किए गए अन्य AI मॉडल्स से बेहतर है. कंपनी ने o1 का एक छोटा, सस्ता वर्जन भी जारी किया है जिसका नाम o1-mini है.

कैसे काम करता है o1?

कंपनी ने 12 सितंबर को पब्लिश किए गए एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि ये मॉडल्स जवाब देने से पहले अच्छे से समय लेकर सोचता है, जैसे आप और हम करते हैं. ओपन AI के मुताबिक o1 मॉडल में नई कैपेबिलिटीज दिखती हैं.

  • ट्रेनिंग के जरिए उन्हें अलग-अलग स्ट्रैटजी ट्राई करने और अपनी गलतियों को पहचानने में मदद मिलती है.

  • इसकी मदद से मुश्किल विज्ञान और गणित की प्रॉबल्म्स को सॉल्व किया जा सकेगा. इसमें कोडिंग भी की जा सकती है.

  • OpenAI ने ब्लॉग पोस्ट में बताया कि o1 मॉडल ने इंटरनेशनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड के क्वालिफाइंग एग्जाम में 83% स्कोर किया है.

इससे पिछले मॉडल GPT-4o ने सिर्फ 13% स्कोर किया था.

PhD छात्रों के मुकाबले बेहतर!

83% स्कोर के साथ o1 अमेरिका में मैथ ओलंपियाड क्वालिफायर AIME के टॉप 500 छात्रों में शामिल है. इस मॉडल की कोडिंग कैपेबिलिटी को देखने के लिए ओपन AI ने इसे ऑनलाइन प्रोग्रामिंग टेस्ट कोडफोर्सेज में टेस्ट किया. इसमें उसने 89 परर्सेंटाइल के साथ रैंक हासिल की.

ओपन AI का दावा है कि इस मॉडल का अगला अपडेट फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी में PhD छात्रों के समान ही परफॉर्म करेगा.

इसकी इंटेलिजेंस के लेवल को समझने के लिए उसने PhDs वाले लोगों से संपर्क किया और उन्हें फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी के बेहद मुश्किल सवाल पूछे गए.कंपनी के मुताबिक o1 ने इन लोगों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया. ये ऐसा करने वाला पहला मॉडल बन गया है.

Also Read: OpenAI और सैम ऑल्‍टमैन को राहत, एलन मस्‍क ने वापस लिया मुकदमा! क्‍या फिर भी जारी रहेगी जंग?