लिंक्डइन (LinkedIn) के को-फाउंडर रीड हॉफमैन का मानना है कि साल 2034 तक सुबह 9 से शाम 5 बजे वाली नौकरी, इतिहास बन सकती है और डायनैमिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संचालित वर्कफोर्स इसकी जगह ले लेगा.
उनका कहना है कि आने वाले तीन दशकों में, AI और ऑटोमेशन, संभवतः '9-5 हैम्स्टर व्हील' पर कब्जा कर लेंगे, जिससे हमारे काम करने और जीने का तरीका बदल जाएगा.
पिछले कुछ वर्षों में AI के विकास की गति चौंका देने वाली रही है, और ये एक ऐसी जर्नी है, जो काम के भविष्य को फिर से परिभाषित करने का माद्दा रखती है.
हॉफमैन ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट X पर पोस्ट किया, 'ये ह्यूमन एम्प्लिफिकेशन के लिए एक टूल होना चाहिए, न कि रिप्लेसमेंट.' एंटरप्रेन्योर और इन्वेस्टर नील तापरिया ने सोशल मीडिया पर हॉफमैन की वायरल क्लिप साझा की है.
हॉफमैन ने 1997 में सोशल मीडिया के उदय, शेयरिंग इकोनॉमी और AI क्रांति की भविष्यवाणी भी की थी. तब ChatGPT का दूर-दूर तक नाम-ओ-निशान तक नहीं था. उनकी भविष्यवाणी के करीब ढाई दशक बाद ChatGPT की एंट्री हुई.
AI का विकास कुछ हद तक भयावह होने के साथ-साथ, आश्चर्यजनक भी रहा है. ChatGPT के लॉन्च के बाद से दुनियाभर में हजारों नौकरियां खत्म हो गई हैं. बहुत-सी कंपनियां अपने कर्मियों को AI तकनीक में ट्रेनिंग दे रही हैं.
हालांकि जॉब वर्कर्स के लिए AI कितना बड़ा खतरा है, इस पर तमाम तरह के बहस और तर्क मौजूद हैं.
हॉफमैन ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान इस उभरते संकट के लिए सक्रिय समाधान की वकालत की थी. हालांकि उन्हें पूरा भरोसा नहीं है कि ऑटोमेशन, नौकरियों को पूरी तरह से खत्म कर देगा, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि ये कॉर्पोरेट ऑपरेशन के तरीके को बदल देगा.
उन्होंने कहा था, 'AI पहले से ही है और इसे रेस्टॉरेंट और हॉस्पिटैलिटी में शामिल किया जाना जारी रहेगा. लेकिन साथ मिलकर रोटी तोड़ने का अनुभव AI नहीं दे सकता, जो कि सबसे महत्वपूर्ण और मानवीय तत्व है, ये सबसे केंद्र में रहेगा.'