लार्सन एंड टर्बो (Larsen & Turbo) के CFO आर शंकर रमन के मुताबिक कम कंपटीशन के चलते कंपनी ने मैन्युफैक्चरिंग की जगह चिप डिजाइन में एंट्री का फैसला किया है.
BQ प्राइम के सजीत मंघाट के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'हमने फैबलैस स्पेस में काम करने का फैसला किया क्योंकि इसमें कंपीट करने के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में संसाधनों की जरूरत नहीं होती और इसमें काम करना कम जटिल भी है.'
फैबलैस चिप डिजाइनिंग में मैन्युफैक्चरिंग के बजाए रिसर्च और डिजाइन पर ज्यादा फोकस किया जाता है. ज्यादातर मैन्युफैक्चरिंग किसी दूसरी पार्टी को सौंप दी जाती है.
रमन ने कहा कि 'सेमीकंडक्टर की अहमियत बढ़ती जा रही है और मौजूदा 27 बिलियन डॉलर के स्तर से 2030 तक इसका वॉल्यूम दोगुना होने का अंदाजा है. L&T तीन साल में 40 नैनोमीटर सेमीकंडक्टर चिप्स को बनाने के लिए 100 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी.'
कंपनी ने बोर्ड ने मंगलवार को ही एक 100% सब्सिडियरी की स्थापना करने की अनुमति दी है, जो फैबलैस सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन और प्रोडक्ट में काम करेगी.
CFO शंकर रमन के मुताबिक, 'इसके जरिए हम वैल्यू चेन में एक कदम ऊपर चले जाएंगे और उन एरियाज पर नजर डालिए जहां पेटेंट करवाया जा सकता है. अगर आप सेमीकंडक्टर एरिया को एक मौके के तौर पर देखते हैं, तो ये बहुत दिलचस्प जगह नजर आती है.'
डोमेन एक्सपर्टाइज में भी काफी मौके मौजूद हैं, क्योंकि L&T फाइनेंशियल सर्विसेज चिप डिजाइनिंग में काफी बैकएंड काम करती रही है.
रमन ने बताया कि कंपनी 'मैच्योर मॉडल्स' की डिजाइनिंग करेगी, क्योंकि इसमें असफल होने का कम जोखिम है और इसके रिसर्च-डेवलपमेंट के लिए बहुत संसाधनों की भी जरूरत नहीं पड़ती. L&T अमेरिका के डिजाइन स्टूडियो में एनालॉग बेसिस पर 40 नैनोमीटर चिप्स डिजाइन करेगी.
उन्होंने आगे कहा, 'सभी बड़े ऑटोमोबाइल और इंडस्ट्रियल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग मार्केट में हमारे आउटपोस्ट होंगे. जापान, यूरोप और अमेरिका प्राइमरी मार्केट रहेंगे. इस क्षेत्र में आगे जाते हुए भारत भी हमारी दिलचस्पी वाला बाजार होगा.'