हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर SEBI की रिसर्च में कई छुपे हुए तथ्य सामने आ रहे हैं. अब इस पूरे घटनाक्रम का 'चाइनीज कनेक्शन' सामने आया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अदाणी एंटरप्राइजेज में शॉर्ट सेलिंग कर मुनाफा कमाने में हिंडनबर्ग की मदद करने वाली किंगडन फैमिली का 'चाइनीज कनेक्शन' है. ध्यान रहे हिंडनबर्ग और किंगडन ने साठगांठ कर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदाणी एंटरप्राइज को शॉर्ट सेल कर 180 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमाया है.
इस बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कैसे किंगडन का हिंडनबर्ग से पहले से करार था और कैसे इसने भारतीय बाजार में कोटक की मदद से निवेश किया.
लेकिन इसके पहले समझिए किंगडन फैमिली और उनसे जुड़ी रही कंपनियों का चाइनीज कनेक्शन. बता दें गौतम अदाणी पहले ही पूरे हिंडनबर्ग रिपोर्ट और उसके बाद कंपनी को हुए नुकसान को भारत को अस्थिर करने की साजिश करार देते रहे हैं.
हेज फंड किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट LLC के फाउंडर मार्क एलियट किंगडन बीते 5 दशक से इन्वेस्टमेंट की दुनिया में हैं. उनकी पत्नी और हेज फंड मैनेजर एनला चेंग चीनी मूल की अमेरिकी नागरिक हैं. ये एनला चेंग किंगडन फाउंडेशन के जरिए कई सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं.
अपनी लिंक्डइन प्रोफाइल में एनला चेंग खुद को जनवरी 2022 से Serica Initiative की फाउंडर और CEO बताती हैं.
सेरिका इनीशिएटिव पहले द चाइना प्रोजेक्ट की सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन थी. चेंग 2015 से 2022 के बीच इस द चाइना प्रोजेक्ट की भी फाउंडर और CEO थीं. पहले इसे SupChina नाम से जाना जाता था. SEBI की जांच के मुताबिक 2022 नवंबर में ही पहली बार हिंडनबर्ग ने अदाणी रिपोर्ट को किंगडन एंटिटीज के साथ शेयर किया था.
अक्टूबर, 2022 में चेंग और चाइना प्रोजेक्ट तब बड़ी मुश्किलों में फंस गए थे, जब इन पर चाइनीज कम्युनिस्टि पार्टी की तरफ से काम करने और उनके उद्देश्यों से सहानुभूति रखने के आरोप लगे. ये आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि चाइना प्रोजेक्ट के एक पूर्व कर्मचारी ने लगाए थे.
इकोनॉमिक टाइम्स ने रिपोर्टों के हवाले से बताया है कि इस सबंध में US डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और SEC में शिकायतें भी दर्ज की गई थीं. इतना ही नहीं, कुछ रिपब्लिकन सीनेटर्स ने इस मुद्दे को जोर-शोर से भी उठाया. इकोनॉमिक टाइम्स फिलहाल इन शिकायतों की मौजूदा स्थिति को पता लगाने में नाकामयाब रहा है.
दरअसल सेरिका फाउंडेशन भी कथित तौर पर मार्क और एनला चेंग फाउंडेशन की तरह कई सामाजिक कार्यों में शामिल है. फाउंडेशन के मुताबिक, इनमें अन्य के साथ-साथ प्रमुखत: शामिल हैं: 1) चीन और इससे जुड़ी चीजों से घृणा (Sinophobia) को खत्म करने के इस मुद्दे पर लोगों को जागरूक करना और सहानुभूति का माहौल पैदा करना. 2) अगली पीढ़ी के अमेरिकी-चाइनीज सोशल इनोवेशन और सामाजिक कार्यों को गति देना.
कोटक द्वारा बनाए गए FPI KIOF क्लास एफ फंड (Kingdon India Opportunities Fund) में किंगडन ऑफशोर मास्टर फंड ने निवेश (100% स्वामित्व) किया था, जिसके जरिए अदाणी ग्रुप के शेयर्स पर शॉर्ट पोजीशन ली गई थी.
किंगडन ऑफशोर मास्टर फंड के तीन फीडर फंड हैं, जिनके नाम किंगडन एसोसिएट्स (66% हिस्सेदारी), किंगडन ऑफशोर लिमिटेड (28%) और किंगडन फैमिली पार्टनरशिप (6%) हैं.
इन व्हीकल्स के जरिए KIOF क्लास एफ में मार्क किंगडन की 54.09% हिस्सेदारी है. जबकि उनके परिवार के पास 4.71% हिस्सेदारी है. मतलब कुल हिस्सेदारी 58.8% पहुंचती है. इतना ही इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजीज और एग्जीक्यूशन पर उनका 100% नियंत्रण है.
अब हम किंगडन ऑफशोर पर लौटते हैं. SEBI की रिपोर्ट में पता चला है किंगडन ऑफशोर में मार्क और एनला चेंग फाउंडेशन की 25% से भी ज्यादा हिस्सेदारी है.
मतलब इस पूरे प्रकरण में ऐसे लोग जुड़े हुए हैं, जिनके ऊपर अतीत में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए काम करने के आरोप लगे हैं. या फिर इनके करीबी लोग हैं. ऐसे में इनकार नहीं किया जा सकता कि आगे जांच में हिंडनबर्ग से जुड़े कुछ और स्याह पहलू सामने आ सकते हैं.