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भारत अब प्रोटेक्शनिज्म का भार नहीं उठा सकता, व्यापार में संतुलन जरूरी: उदय कोटक

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, 'नई दुनिया में बड़े करंट अकाउंट डेफिसिट (चालू खाता घाटा) चलाने के लिए सीमित विकल्प होंगे
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी05:45 PM IST, 20 Feb 2025NDTV Profit हिंदी
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कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने कहा है कि भारत को बदलते समय का फायदा उठाना चाहिए और घरेलू उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए, क्योंकि देश प्रोटेक्शनिज्म (संरक्षणवाद) का खर्च नहीं उठा सकता.

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, 'नई दुनिया में बड़े करंट अकाउंट डेफिसिट (चालू खाता घाटा) चलाने के लिए सीमित विकल्प होंगे. उन्होंने, भारत की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने, अत्यधिक संरक्षणवाद से बचने और GDP में विनिर्माण के हिस्से को बढ़ाने पर जोर दिया.' सितंबर 2023 में बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के पद से इस्तीफा देने के बाद, कोटक अब बोर्ड में गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में बने हुए हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि भारत का चालू खाता घाटा GDP का 1.2-1.3% है, जो 50 बिलियन डॉलर का है. भारत का अमेरिका के साथ लगभग 40 बिलियन डॉलर का ट्रेड सरप्‍लस है. रिपोर्ट के अनुसार, 'कोटक का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का भारत के साथ व्यापार घाटा सही करने का इरादा भारत के चालू खाता घाटे पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है. इसलिए, भारत को अपने व्यापार को संतुलित करने के लिए अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार ढांचे में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है.'

टैरिफ एक महत्‍वपूर्ण विषय

टैरिफ (आयात शुल्क) एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाएगा, क्योंकि भारत अमेरिकी सामानों पर लगभग 10% टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय सामानों पर 3% टैरिफ लगाता है. जब टैरिफ अन्य उत्पादक देशों को प्रभावित करेंगे, तो उनके पास दुनिया के बाकी हिस्सों को सस्ती दरों पर सामान बेचने के लिए अतिरिक्त क्षमता होगी. कोटक ने सवाल किया कि अगर अतिरिक्त उत्पादन वाले देशों से कोई सामान भारत की तुलना में 30-40% सस्ता होगा, तो भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए.

कंपटीशन को देना होगा बढ़ावा

उदय कोटक ने मैक्रो और माइक्रोइकॉनॉमिक नीतियों में क्रियान्वयन के महत्व पर भी जोर दिया. कोटक के अनुसार, भारत को धीरे-धीरे फिस्कल कंसोलिडेशन की ओर बढ़ना होगा और सूक्ष्म प्रबंधन और अत्यधिक नियमन से आगे बढ़कर विकास और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना होगा. रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत को हर समय मुक्त और निष्पक्ष बाजार सुनिश्चित करना चाहिए, और इसमें बहुत प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार लचीले हैं और विदेशी निवेशकों के लिए आने-जाने के लिए तैयार हैं.'

हाल ही में मिडिल क्‍लास को दिए गए टैक्स रिबेट के बारे में कोटक का मानना है कि इस कदम से डेपॉजिट लेने वाली इंडस्‍ट्री अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है. हालांकि, जहां लायबिलिटी पक्ष में सुधार दिख रहा है, वहीं एसेट पक्ष पर गोल्डिलॉक्स युग समाप्त हो गया, लगता है. माइक्रोफाइनेंस और अनसिक्योर्ड सेक्टर में इसके कुछ संकेत दिख रहे हैं.

रिपोर्ट में कोटक के हवाले से कहा गया है कि चुनौतीपूर्ण क्रेडिट चक्र में प्रवेश करने के बावजूद, वित्तीय क्षेत्र में संरक्षण के प्रयासों के बीच भी 'दुर्घटनाएं' (Accidents) हो सकती हैं.

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