RBI गर्वनर शक्तिकांता दास ने साइबर सिक्योरिटी को दुनिया भर में राष्ट्रीय और वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बताया. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि केंद्रीय बैंक इस दिशा में काम कर रहा है.
RBI गर्वनर ने कहा कि 'साइबर अटैक एक बड़ा खतरा है, जो तकनीकी विकास के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है. बैंकिंग सिस्टम में हमने ग्राहकों में साइबर अटैक के बारे में जागरूकता पैदा करने पर काम किया है.'
उन्होंने कहा, 'हम साइबर सिक्योरिटी को लेकर नियमित रूप से बैंकों और NBFCs के संपर्क में हैं. साइबर सिक्योरिटी की क्वालिटी में सुधार के लिए हम लगातार उनके साथ काम कर रहे हैं.'
शक्तिकांत दास ने कहा, 'जब कोविड शुरू हुआ, तो सबसे पहले उठाए गए कदमों में से एक कदम था- स्पष्ट सलाह जारी करना. ये वो समय था, जब IT सिस्टम पर अधिकतम हमलों का अंदेशा रहता था.'
उन्होंने कहा, 'साइबर अटैक दुनिया भर में वित्तीय और राष्ट्रीय स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है. अब बैंक, RBI, अन्य नियामक और सरकारी एजेंसियां समन्वित तरीके से काम कर रही हैं.
केंद्रीय बैंक, फर्जी लोन बांटने वालों के खिलाफ सख्ती की तैयारी में है. RBI गवर्नर ने कहा, 'हम डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को लेकर भी एक पब्लिक रिपॉजिटरी बना रहे हैं.'
दरअसल, डिजिटली लोन बांटने वाले लेंडिंग ऐप्स और फर्जी लोन ऐप्स पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक RBI पब्लिक रिपॉजिटरी सिस्टम बनाने की तैयारी में है, जो इन ऐप्स की मॉनिटरिंग करेगा. केंद्रीय बैंक ने बैंकों और NBFCs को डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (DLA) के आंकड़े तैयार करने का प्रस्ताव दिया है.
पब्लिक रिपॉजिटरी के जरिये डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स के बारे में सार्वजनिक तौर पर जानकारी दी जाएगी, ताकि फर्जी इकाइयों पर रोक लगाई जा सके.
मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में भी शक्तिकांता दास ने इसका जिक्र किया था. पॉलिसी मीटिंग के बाद RBI गवर्नर ने बताया था कि केंद्रीय बैंक ने देश में डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कई उपाय किए हैं. उन्होंने कहा था, 'अवैध डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (DLAs) के चलते होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए RBI ने अपनी विनियमित संस्थाओं (बैंकों और NBFCs) की ओर से उपलब्ध DLAs का एक पब्लिक रिपॉजिटरी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है.'