अमेरिका ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत की इंपोर्ट नीति और हाई टैरिफ को व्यापार के लिए बड़ी बाधा बताया है. ये रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब 2 अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ (reciprocal tariff) लागू होने जा रहा है.
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) की 2025 की 'नेशनल ट्रेड एस्टिमेट' रिपोर्ट में भारत को प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में शामिल करते हुए उसकी इंपोर्ट नीति और हाई टैरिफ पर सवाल उठाए गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का औसत मोस्ट-फेवर्ड-नेशन (MFN) टैरिफ रेट 17% है, जो दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक है.
गैर-कृषि उत्पादों पर औसत टैरिफ 13.55% और कृषि उत्पादों पर 39% है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई टैरिफ कृषि उत्पादों और प्रोसेस्ड फूड्स जैसे पोल्ट्री, आलू, साइट्रस फल, बादाम, पेकान, सेब, अंगूर, डिब्बाबंद आड़ू, चॉकलेट, बिस्किट, फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज और अन्य फास्ट फूड उत्पादों के व्यापार में बाधा डाल रहे हैं.
इसके अलावा, रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि भारत ने कई महत्वपूर्ण दवाओं और जीवनरक्षक औषधियों पर 20% से अधिक बेसिक कस्टम ड्यूटी लगा रखी है, जबकि ये दवाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल हैं.
अमेरिका ने भारत द्वारा हेडफोन, लाउडस्पीकर और स्मार्ट मीटर जैसे आयातित उत्पादों पर हाई टैरिफ लगाने की आलोचना की है. साथ ही, रिपोर्ट में कहा गया कि 2014 से भारत लगातार दूरसंचार उपकरणों पर हाई टैरिफ लगा रहा है, जो विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तहत किए गए समझौतों से अधिक है. इसमें नेटवर्क स्विच और अन्य टेलीकॉम उपकरणों को शामिल किया गया है, जिन पर भारत ने ड्यूटी-फ्री सुविधा समाप्त कर दी है.
अमेरिका ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि भारत बिना किसी पूर्व सूचना के टैरिफ दरों में बदलाव कर देता है, जिससे आयातकों और निर्यातकों को पूर्वानुमान लगाने में मुश्किल होती है.
अमेरिका ने भारत की नॉन-टैरिफ बाधाओं (Non-Tariff Barriers) पर भी सवाल उठाए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने कई उत्पादों को प्रतिबंधित कर रखा है, जिनमें पशु वसा से बने उत्पाद शामिल हैं. साथ ही, कुछ उत्पादों को आयात करने के लिए गैर-स्वचालित लाइसेंसिंग की आवश्यकता होती है, जिससे व्यापार मुश्किल हो जाता है.
उदाहरण के लिए, पशुधन से जुड़े कुछ उत्पादों के लिए नॉन-ऑटोमैटिक इंपोर्ट लाइसेंस जरूरी है. कुछ एग्री प्रॉडक्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स को केवल सरकारी एजेंसियों के माध्यम से ही आयात किया जा सकता है, जिसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ती है.
रिपोर्ट में ये भी आरोप लगाया गया कि भारत WTO के नियमों के तहत आवश्यक पारदर्शिता उपायों का पालन नहीं करता. अमेरिका ने कहा कि भारत आयात प्रतिबंधों की समयसीमा और मात्रा को WTO समितियों को सही तरीके से सूचित नहीं करता.
अमेरिका ने कहा कि भारत में डेयरी उत्पादों पर लगाए गए कड़े नियमों के कारण अमेरिकी डेयरी उत्पादों का भारतीय बाजार में प्रवेश मुश्किल हो रहा है. भारत में नियम है कि डेयरी उत्पाद उन्हीं जानवरों से प्राप्त होने चाहिए, जिन्हें पशु अवयवों वाला चारा न दिया गया हो. इस नियम के कारण अमेरिका के डेयरी उत्पादों को भारतीय बाज़ार में जगह नहीं मिल पा रही है.
इसके अलावा, रिपोर्ट में भारत की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना पर भी सवाल उठाए गए हैं. अमेरिका ने कहा कि भारत अपनी MSP नीति के तहत चावल और अन्य फसलों को बाजार दर से अधिक कीमत पर खरीदता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अनुचित प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होती है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक चावल निर्यात का 40% हिस्सा रखता है और MSP के कारण भारत को ये बढ़त मिल रही है. अमेरिका समेत कई देशों ने WTO में इस नीति पर आपत्ति जताई है और इसे अनुचित सब्सिडी करार दिया है.
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर पिछले कुछ वर्षों से मतभेद बने हुए हैं. दोनों देशों ने हाल ही में चार-दिवसीय व्यापार वार्ता पूरी की, जिसमें कई क्षेत्रों में सहयोग को लेकर चर्चा हुई.
हालांकि, ये रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका भारतीय बाजार तक अपने कृषि, डेयरी और औद्योगिक उत्पादों की भारतीय बाजार में पहुंच को लेकर असंतुष्ट है और इस मुद्दे को WTO जैसे वैश्विक मंचों पर उठाते रहने की संभावना भी बनी हुई है. गुरुवार, दो अप्रैल से लागू होने वाले पारस्परिक टैरिफ के बाद दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ने की आशंका है.