प्रवर्तन निदेशालय ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट और उसके बाद शेयर बाजार में आई गिरावट की शुरुआती जांच के बाद ये पाया है कि, टैक्स हेवन देशों की दर्जनों कंपनियां जिसमें फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स और फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (FPIs/ FIIs) शामिल हैं.
ये सभी अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में आई शॉर्ट सेलिंग के शीर्ष लाभार्थी (top beneficiaries) थे. इंडियन एक्सप्रेस की रितु सरीन ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया है.
शॉर्ट सेलर वो इंवेस्टर्स होते हैं जिन्हें इस बात पर भरोसा होता है कि शेयर की कीमतें गिरेंगी, वो बेचने के लिए शेयरों को उधार लेते हैं और फिर कम कीमत पर वापस खरीद लेते हैं, ऐसा करके वो मोटा मुनाफा कमाते हैं.
ED के मुताबिक - जिसने जुलाई में मार्केट रेगुलेटर SEBI के साथ अपने नतीजों को साझा किया था, इनमें से कुछ शॉर्ट सेलर्स ने कथित तौर पर 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आने से 2-3 दिन पहले ही पोजीशन ले ली थी और कुछ ऐसे भी थे, जो पहली बार शॉर्ट पोजीशन ले रहे थे.
घरेलू निवेशकों के अलावा SEBI के साथ रजिस्टर्ड FPIs/FIIs को भी डेरिवेटिव में ट्रेड करने की इजाजत होती है- ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स जो निवेशकों को इस बात की इजाजत देते हैं कि वो शॉर्ट पोजीशन लेकर बाजार के जोखिमों से बच सकते हैं.
SEBI रेगुलेटेड शॉर्ट सेलिंग की इजाजत देता है और ये मानता है कि अगर प्रतिबंध लगाया जाए तो ये एफिशिएंट प्राइस डिस्कवरी को खराब कर सकता है, प्रोमोटर्स को कीमतों में हेरफेर करने की बेरोकटोक आजादी देता है और इसके उलट हेरफेर करने वालों का पक्ष लेता है.
सूत्रों के अनुसार, 12 संस्थाओं में से तीन भारत-आधारित हैं (एक विदेशी बैंक की भारतीय शाखा है); चार मॉरीशस में और एक-एक फ्रांस, हांगकांग, केमैन द्वीप, आयरलैंड और लंदन में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी एफपीआई/एफआईआई ने आयकर अधिकारियों को अपनी स्वामित्व संरचना का खुलासा नहीं किया है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 12 एंटिटीज में से 3 भारत बेस्ड (एक विदेशी बैंक की भारतीय ब्रांच) है. 4 मॉरीशस में बेस्ड हैं और बाकी फ्रांस, हॉन्ग कॉन्ग, केमैन आयलैंड, आयरलैंड और लंदन में 1-1 हैं. इन सभी FPIs/ FIIs में से किसी ने भी इनकम टैक्स अथॉरिटीज को अपने ओनरशिप स्ट्रक्चर्स के बार में कोई जानकारी नहीं दी है.
उदाहरण के तौर पर, एक को जुलाई 2020 में शामिल किया गया था, और सितंबर 2021 तक उसकी कोई बिजनेस एक्टिविटी नहीं थी, और सितंबर 2021 से मार्च 2022 तक छह महीने की छोटी अवधि में, 31,000 करोड़ रुपये के कारोबार पर 1,100 करोड़ रुपये की इनकम का दावा किया गया.
एक और ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ग्रुप, जो भारत में एक बैंक के रूप में काम करता है, इसने केवल 122 करोड़ रुपये कमाए, लेकिन एक FII के रूप में बिना किसी इनकम टैक्स के 9,700 करोड़ रुपये की मोटी कमाई की.
केमैन आइलैंड्स FII की मूल कंपनी, जो दर्जनों 'शीर्ष लाभार्थियों' में से एक है, इसने इनसाइडर ट्रेडिंग का दोषी माना था और अमेरिका में 1.8 बिलियन डॉलर का जुर्माना भरा था. दरअसल, इस FPI ने 20 जनवरी को अदाणी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ली और 23 जनवरी को इसे और बढ़ा दिया. मॉरीशस स्थित एक अन्य फंड ने पहली बार 10 जनवरी को शॉर्ट पोजीशन ली थी.
आर्थिक खुफिया और जांच एजेंसी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद किसी भी रेगुलेटरी चूक की जांच के लिए मार्च में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित 6 सदस्यीय एक्सपर्ट पैनल को कथित इनसाइडर ट्रेडिंग पर अपने नतीजे सौंपे थे.
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट को मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अदाणी हिंडनबर्ग मामले (Adani Hindenburg case) में अपने जांच की स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है. SEBI ने बताया कि 24 मामलों की जांच में 22 की जांच पूरी की जा चुकी है और 2 के नतीजे आना अभी बाकी हैं. SEBI ने बताया कि उन्हें बाहरी एजेंसीज से 2 मामलों की जांच की जानकारी मिलने का इंतजार है. मार्केट रेगुलेटर ने ये भी कहा कि जांच के फाइनल नतीजों के बाद ही आगे के लिए उचित कदम उठाएंगे.