मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अदाणी हिंडनबर्ग मामले (Adani Hindenburg case) में अपने जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है. SEBI ने बताया कि 24 मामलों की जांच में 22 की जांच पूरी की जा चुकी है और 2 के नतीजे आना अभी बाकी हैं.
SEBI ने बताया कि उन्हें बाहरी एजेंसीज से 2 मामलों की जांच की जानकारी मिलने का इंतजार है. मार्केट रेगुलेटर ने ये भी कहा कि जांच के फाइनल नतीजों के बाद ही आगे के लिए उचित कदम उठाएंगे.
SEBI ने अपने हलफनामे में सभी 24 मामलों की जांच का ब्यौरा लिखा है. SEBI ने बताया कि मिनिमम शेयरहोल्डिंग मामले में जांच 1 अप्रैल 2016 से 30 सितंबर 2020 के दौरान हुई. इस जांच के दौरान 1,100 से ज्यादा ई-मेल भेजे गए, 30 पत्र लिखे गए, एक व्यक्ति को निजी तौर पर हाजिर होने के लिए समन किया गया, दस्तावेज प्रस्तुत करने के 100 समन किए गए.
इसके अलावा 50 बयान दर्ज किए गए हैं, 300 से ज्यादा दस्तावेजों के 12,000 से ज्यादा पन्नों की पड़ताल की गई. बाहरी एजेंसियों से 90 और देश की एजेंसियों और रेगुलेटर्स से करीब 15 बार संपर्क कर जांच में मदद ली गई.
इसके पहले 14 अगस्त को SEBI को इस मामले में फाइनल रिपोर्ट जमा करनी थी. 14 अगस्त को मार्केट रेगुलेटर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले की जांच काफी हद तक पूरी हो चुकी है, पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए उन्हें और 15 दिन का समय चाहिए. आपको बता दें कि अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी.
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने 10 जुलाई को इस मामले में एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट पर अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था. SEBI ने कहा था कि एक्सपर्ट कमिटी ने रिपोर्ट में तथ्यों और कानून की कुछ व्याख्याएं व्यक्त की हैं जिसका असर चल रही जांच पर पड़ता है.
मार्केट रेगुलेटर ने साफ किया था कि एक्सपर्ट कमिटी के सामने जो कुछ भी पेश किया गया वो पहली नजर में उस वक्त तक SEBI के पास उपलब्ध तथ्यों पर आधारित था, न कि जांच पूरी होने के बाद पाए गए तथ्यों पर कानून को लागू करने के आधार पर.
अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट दी थी. एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में ये साफ कहा था कि 'शेयरों के उतार चढ़ाव में रेगुलेटरी विफलता (Regulatory Failure) को जिम्मेदार मानना फिलहाल संभव नहीं है'.
SC कमिटी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि जांच में मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग मामले में उल्लंघन के और किसी रेगुलेटरी फेल्योर के सबूत नहीं मिले.
इसके साथ ही SC कमिटी ने अदाणी ग्रुप की सराहना भी की गई. रिपोर्ट में कहा गया कि अदाणी ग्रुप ने रिटेल निवेशकों को राहत देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए.