अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि इस मामले में जस्टिस सप्रे की कमिटी की रिपोर्ट आ गई है. हम वीकेंड के दौरान ये रिपोर्ट देखेंगे. 15 मई यानी सोमवार को SEBI के एक्सटेंशन की याचिका पर आदेश जारी किया जाएगा.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने SEBI की तरफ से मांगे गए 6 महीने के समय का ब्योरा दिया और कहा कि हम उतना ही समय मांग रहे हैं जितना वाकई जरूरी है. इस पर CJI ने कहा, हम ये नहीं कह रहे कि हम समय नहीं देंगे. 6 महीने नहीं लेकिन हम आपको 3 महीने का समय दे सकते हैं.
PILs पर दलील पेश करते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, SEBI को अब तक की जांच में मिली जानकारी कोर्ट को देनी चाहिए. हालांकि CJI ने इससे ये कहते हुए इनकार कर दिया कि 'इस वक्त जानकारी साझा करना उचित नहीं है. अगर SEBI अभी ही जांच की जानकारी देगा तो इससे जांच को नुकसान पहुंचेगा'. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ये कोई क्रिमिनल केस नहीं है कि इसकी केस डायरी मांगी जाए.
सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, SEBI के आवेदन में इस्तेमाल किया गया 'Suspicious' शब्द, हमने नहीं दिया बल्कि ये हिंडनबर्ग की तरफ से लगाया गया आरोप है.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को गलत शब्द के इस्तेमाल पर भी फटकार लगाई. याचिकाकर्ता ने 'Regulatory Failure' शब्द का इस्तेमाल किया था. जिस पर CJI ने कड़ा ऐतराज जताते हुए इस शब्द का इस्तेमाल न करने की हिदायत दी और कहा कि इससे पूरे बाजार को निगेटिव संदेश जाता है
अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में जस्टिस DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2 मार्च को अहम फैसला सुनाते हुए एक जांच कमिटी के गठन का आदेश दिया था. इस कमिटी में 6 सदस्य शामिल किए गए थे. इस कमिटी को अपनी जांच रिपोर्ट को दो महीने में तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को एक बंद लिफाफे में जमा कराने को कहा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी को ये आजादी भी दी थी कि वो दूसरे एक्सपर्ट्स से भी इस मामले में राय मशवरा ले सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने जो कमिटी बनाई थी उसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जज अभय मनोहर सप्रे कर रहे थे. इस कमेटी में जस्टिस सप्रे के अलावा, जस्टिस OP भट्ट (OP Bhat), जस्टिस जे पी देवधर (JP Devdhar ), के वी कामत (KV Kamath ), नंदन नीलेकणि (Nandan Nilekani) और सोमशेखर सुंदरेशन (Somasekharan Sundaresan) भी शामिल थे.
अदाणी-हिंडनबर्ग मामले पर बनी कमिटी की अध्यक्षता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अभय मनोहर सप्रे, गुवाहाटी और मणिपुर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के पद पर रह चुके हैं. कमिटी के दूसरे सदस्य OP भट्ट SBI के चेयरमैन रह चुके हैं और इसके साथ ही वो ONGC, HUL और टाटा स्टील में भी बड़े पदों पर रह चुके हैं.
बैंकिंग इंडस्ट्री के दिग्गज और ICICI बैंक के पूर्व चेयरमैन, KV कामत को भी कमिटी का सदस्य बनाया गया है. कामत, BRICS देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. इसके अलावा वो कई बड़ी कंपनियों के बोर्ड में शामिल रहे हैं. कमिटी के 6 सदस्यों में इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि भी शामिल रहे. वो UIDAI (आधार) के भी चेयरमैन रह चुके हैं.
कमिटी के सदस्य और जाने-माने वकील सोमशेखर सुंदरेशन, केंद्र सरकार, SEBI और RBI की अहम कमिटियों के सदस्य रह चुके हैं और भारत के वित्तीय कानूनों के निर्माण में जरूरी भूमिका निभा चुके हैं. इसके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस JP देवधर भी इस कमिटी के सदस्य थे.
2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को अदाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच करने और 2 महीने के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था. इसके बाद 29 अप्रैल को SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर जांच रिपोर्ट के लिए 6 महीने का समय मांगा. मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि जिस तरह के आरोप हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से लगाए गए हैं, उन ट्रांजैक्शंस की जांच पूरी करने में कम से कम 15 महीने का समय लगना चाहिए. हालांकि SEBI ने ये भी कहा कि वो हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि ये जांच 6 महीने के अंदर पूरी की जा सके.
इसके साथ ही SEBI ने साफ तौर पर कहा है कि सिर्फ हिंडनबर्ग के आरोप ही नहीं बल्कि हम ये भी जांच कर रहे हैं कि रिपोर्ट छपने के ठीक पहले और बाद मार्केट में किस तरह की एक्टिविटीज हुईं.