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Adani-Hindenburg Case: अदाणी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट ने दी क्लीन चिट, कहा- SEBI की जांच में कोई कमी नहीं, SIT को ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अदालत के पास जांच को CBI या किसी और को ट्रांसफर करने का अधिकार है, लेकिन ऐसे अधिकारों का इस्तेमाल केवल संयमित रूप से किया जा सकता है.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी11:10 AM IST, 03 Jan 2024NDTV Profit हिंदी
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Adani-Hindenburg Case: अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें उसने कहा कि OCCRP की रिपोर्ट के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता. ऐसा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच को SEBI से लेकर SIT को देने से इनकार कर दिया.

जांच को SIT को देने का कोई आधार नहीं: SC

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अदालत के पास जांच को CBI या किसी और को ट्रांसफर करने की शक्ति है, लेकिन ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल केवल संयमित रूप से किया जा सकता है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जांच को SEBI से लेकर SIT को देने का कोई आधार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अगर ये साबित करना है कि जांच एजेंसी ने भेदभाव के साथ काम किया है, तो इसके लिए ठोस सबूत पेश करने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि OCCRP की रिपोर्ट पर निर्भरता को खारिज किया जाता है, और बिना किसी वेरिफिकेशन के थर्ड पार्टी संगठन की रिपोर्ट पर निर्भरता को प्रमाण के रूप में मानकर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

सत्य की जीत हुई: गौतम अदाणी

अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा कि सच्चाई की जीत हुई है, सत्यमेव जयते. मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे.

सरकार मामले को देखे और फिर एक्शन ले

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की जांच एजेंसी के तौर पर SEBI को ये जांच करनी चाहिए कि क्या हिंडनबर्ग या दूसरी संस्थाओं के शॉर्ट सेलिंग पोजिशन लेने से भारतीय निवेशकों को जो नुकसान हुआ है, क्या उसमें किसी कानून का उल्लंघन हुआ है. अगर ऐसा है तो जरूरी कार्रवाई की जानी चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह करना या किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं है.

अदालत ने कहा कि निवेशकों की रक्षा के लिए तत्काल उपाय करने होंगे, कानून को सख्त करना होगा और उसमें सुधार करना होगा. ये सुनिश्चित करें कि फिर निवेशक इस तरह शिकार न हों. निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए SC कमिटी के सुझावों पर विचार करें.

सुप्रीम कोर्ट ने SEBI के विवेक पर फैसला छोड़ दिया है. कोर्ट का मानना है कि SEBI जांच को तार्किक परिणाम तक तक लेकर जाएगी. अब सुप्रीम कोर्ट में ये मामला खत्म हो चुका है, गेंद SEBI के पाले में है.
संदीप पारेख, फिनसेक लॉ एडवाइजर्स

कोर्ट ने कहा कि SEBI  के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में कोर्ट के दखल देने की अपनी सीमाएं हैं, इसलिए कोर्ट ने SEBI की जांच रिपोर्ट में दखल देने से इनकार कर दिया.

SEBI की जांच में कोई खामी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SEBI एक सक्षम अथॉरिटी है, उसकी जांच रिपोर्ट में कोई खामी नहीं है, मार्केट रेगुलेटर ने 24 में से 22 मामलों की जांच की है, बाकी बचे 2 मामलों की जांच रेगुलेटर को तीन महीने में पूरी करनी होगी.

कोर्ट ने कहा कि FPI और और LODR नियमों पर अपने संशोधनों को रद्द करने के लिए SEBI को निर्देश देने के लिए कोई वैध आधार नहीं उठाया गया. नियमों में कोई गड़बड़ी नहीं है.

पूरे मामले पर एक नजर?

जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अदाणी ग्रुप के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट में 4 जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. इन PILs में अदाणी ग्रुप के खिलाफ तरह-तरह की जांच के आदेश देने की अपील की गई थी.

इन याचिकाओं को सुनने के बाद ही 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मार्केट रेगुलेटर SEBI को आदेश दिया था कि वो अदाणी ग्रुप के डिस्क्लोजर और शेयरों के भाव में हेरफेर की जांच करे. कोर्ट ने साफ कहा था कि SEBI ये जांच करे कि अदाणी ग्रुप ने मौजूदा नियमों का उल्लंघन किया है कि नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को रिपोर्ट सौंपने के लिए दो महीने का वक्त दिया. अप्रैल में सेबी ने कोर्ट से जांच पूरी करने में 6 महीने का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने उसे सिर्फ 14 अगस्त तक का वक्त दिया. सेबी ने 14 अगस्त को फिर जांच पूरी करने के लिए 15 दिन का वक्त मांगा.

SEBI ने 25 अगस्त को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि उसने 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है, 2 मामलों में जांच विदेशी संस्थाओं से हो रही देरी के चलते पूरी नहीं हो पाई है.

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