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चीन सरकार ने ऑटो कंपनियों से कहा, EV टेक्नोलॉजी को देश से बाहर न जानें दें

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से ज्यादा ऑटो कंपनियों के साथ बैठक की थी, जिन्हें ये भी कहा गया था कि उन्हें भारत में ऑटो संबंधी निवेश नहीं करना चाहिए.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:41 PM IST, 12 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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चीन (China) ने अपनी कार कंपनियों को सलाह दी है कि देश में एडवांस्ड इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) टेक्नोलॉजी बनी रहनी चाहिए. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि चीन दुनियाभर में फैक्ट्रियां बना रहा है. चीन निर्यात पर टैरिफ से बचना चाहता है.

चीनी अपनी ऑटो ऑटो कंपनियों को अपने विदेशी प्लांट्स में नॉक डाउन किट्स का निर्यात करने को प्रोत्साहन दे रहा है. इसका मतलब है कि वाहन के मुख्य भागों को चीन में बनाया जाएगा और फिर दूसरे देशों में अंतिम असेंबली के लिए भेजा जाएगा.

चीनी कंपनियां दुनियाभर में लगा रहीं फैक्ट्रियां

BYD से लेकर चेरी ऑटोमोबाइल स्पेन से लेकर थाइलैंड और हंगरी में फैक्ट्री लगाने की योजना पर काम कर रही हैं. कंपनियां इनोवेटिव और किफायती EVs विदेशी बाजार के साथ दुनियाभर में एंट्री कर रहे हैं.

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से ज्यादा ऑटो कंपनियों के साथ बैठक की थी, जिन्हें ये भी कहा गया था कि उन्हें भारत की ऑटो इंडस्ट्री में निवेश नहीं करना चाहिए.

इसके अलावा जो कार कंपनियां तुर्किये में निवेश करना चाहती हैं, उन्हें पहले उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सूचना देनी होगी जो तुर्किये में चीन के EV उद्योग और स्थानीय चीनी एंबेसी को देखता है.

चीन का देश में ही प्रोडक्शन पर जोर

वाणिज्य मंत्रालय या MOFCOM के प्रतिनिधियों ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. चीन ने ये निर्देश ऐसे समय में दिया है जब ज्यादातर बड़ी चीनी चार कंपनियां देश में ही मैन्युफैक्चरिंग करने पर फोकस कर रही हैं, जिससे चीन में बने EVs पर टैरिफ से बचा जा सके. MOFCOM की गाइडलाइंस में मांग की गई है कि चीन में ही उत्पादन हो.

इससे ऑटो कंपनियों की दुनियाभर में बिजनेस का विस्तार करने की योजनाओं को नुकसान पहुंच सकता है. कंपनी प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए नए ग्राहकों को खोज कर रही है.

यूरोपीय बाजारों को लगेगा झटका

इससे यूरोपीय बाजारों को भी झटका लग सकता है जो इस उम्मीद में चीनी कार कंपनियों को लुभा रही हैं कि उनकी मौजूदगी से नौकरियां पैदा हों और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले. उदाहरण के तौर पर BYD तुर्किये में फैक्ट्री शुरू करने की योजना बना रही है. इसकी 1,50,000 कारों की सालाना क्षमता होगी और 5,000 लोगों तक को नौकरी मिलेगी.

बैठक के दौरान MOFCOM ने जिक्र किया कि जो देश चीनी ऑटो कंपनियों को फैक्ट्री लाने के लिए आकर्षित कर रहे हैं वो आम तौर पर वो हैं जो चीनी वाहनों के खिलाफ ट्रेड बैरियर पर विचार कर रहे हैं. लोगों के मुताबिक मैन्युफैक्चर्रस को ट्रेंड्स को बिना समझे फॉलो नहीं करना चाहिए या विदेशी सरकरों से निवेश की ऐसी मांगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए.

तुर्किये के राजनेताओं ने जुलाई में कहा था कि BYD ने देश के पश्चिम में 1 बिलियन डॉलर का प्लांट शुरू करने पर सहमति जताई है. किसी नई फैक्ट्री से यूरोपीयन यूनियन में BYD के एक्सेस में सुधार आने की उम्मीद है. तुर्किये ने जून में चीन से वाहनों के आयात पर 40% टैरिफ पेश किया था.

BYD ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. इस बीच भारत और चीन के बीच तनाव बरकरार हैं. 2020 में दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर टकराव हुआ था. चीनी सरकार के स्वामित्व वाली SAIC मोटर कॉर्प जो MG मोटर इंडिया का नियंत्रण करती है, उसके खिलाफ 2022 में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जांच की गई थी. पिछले साल SAIC ने भारतीय MG ऑपरेशन में अपनी हिस्सेदारी घटाई थी.

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