ADVERTISEMENT

टेस्ला के लिए खुला भारत का रास्ता! सरकार ने नई EV-पॉलिसी का किया ऐलान

ऑटो कंपनियों को 3 साल के भीतर प्‍लांट लगाकर इलेक्ट्रिक व्हीकल का उत्पादन शुरू करना होगा. साथ ही 5 साल के अंदर डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) को 50% तक पहुंचाना होगा,
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी02:47 PM IST, 15 Mar 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

लंबे समय से भारत में आने का रास्ता तलाश रही एलन मस्क की कंपनी टेस्ला के लिए भारत ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं. सरकार की तरफ से आज नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.

नई EV पॉलिसी में क्या है?

नई EV पॉलिसी में सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों के लिए, जो कि भारत में आकर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाना चाहती हैं, कुछ नियम शर्तें तय की है और कुछ शर्तों में रियायत भी दी है.

नोटिफिकेशन के मुताबिक जो भी कंपनी भारत में आकर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाना चाहती है, उसे 4,150 करोड़ रुपये का न्यूनतम निवेश करना होगा, अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं रखी गई है. साथ ही ऑटो कंपनियों को 3 साल के भीतर प्‍लांट लगाकर इलेक्ट्रिक व्हीकल का उत्पादन शुरू करना होगा.

कंपनियों को 5 साल के अंदर डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) को 50% तक पहुंचाना होगा, यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में लोकल सोर्सिंग को बढ़ाना होगा. तीसरे साल में लोकल सोर्सिंग को 25% और 5 साल में 50% करना होगा.

नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी का ऐलान

  • देश को इलेक्ट्रिक कारों का 'मैन्युफैक्चरिंग हब' बनाना है उद्देश्‍य

  • न्यूनतम निवेश 4,150 करोड़ रुपये, अधिकतम की कोई सीमा नहीं

  • OEMs को 3 साल के भीतर प्‍लांट लगाकर शुरू करना होगा प्रोडक्‍शन

  • 5 साल के अंदर डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) को 50% तक पहुंचाना होगा

  • OEMs को कम ड्यूटी पर कारों के सीमित इंपोर्ट की इजाजत दी जाएगी

केंद्र सरकार अपनी इस योजना के जरिए भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल के डेस्टिनेशन के रूप में बढ़ावा देना चाहती है, ताकि देश में नई और एडवांस्ड तकनीक वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बनाए जा सकें.

टेस्ला भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारें बेचना चाहती है, लेकिन बात पॉलिसी को लेकर अटकी हुई है. उम्मीद की जा रही है कि इस नई पॉलिसी से टेस्ला के लिए भारत आकर प्लांट लगाना अब आसान होगा. क्योंकि सरकार अपनी पॉलिसी में बदलाव करते हुए 35,000 डॉलर CIF (कॉस्ट, इंश्योरेंस और फ्रेट) वैल्यू वाली CKD (Completely Knockdown) यूनिट, मोटे तौर पर समझें कि पूरी बनी बनाई कार, जिसे इंपोर्ट करने पर 15% की कस्टम ड्यूटी देनी होगी, जो कि पहले 100% थी. यानी टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों को लाकर बेचने का रास्ता खुलेगा.

टेस्ला के लिए खुलेंगे भारत के दरवाजे

  • अधिकतम 35,000 डॉलर CIF वैल्यू वाली CKD यूनिट पर 15% की ड्यूटी लगेगी

  • 1 साल में सिर्फ 800 यूनिट इलेक्ट्रिक गाड़ियां को इंपोर्ट किया जा सकेगा

  • 5 साल में सिर्फ 40,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियों को ही इंपोर्ट किया जा सकेगा

हालांकि इसमें भी कुछ शर्तें हैं. पहली शर्त तो यही है कि ये स्कीम सिर्फ 5 साल के लिए है. दूसरी शर्त ये कि कंपनी एक साल में सिर्फ 800 यूनिट को ही भारत में लाकर बेच सकती है. यानी 5 साल में कुल 40,000 यूनिट्स ही बेची जा सकती हैं. इंपोर्ट की गई कुल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर जितनी भी ड्यूटी को छोड़ा गया है, उसकी भी एक सीमा होगी, वो कुल निवेश या फिर 6484 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, वो लागू होगा.

यानी अगर टेस्ला भारत में अपनी गाड़ियां बेचना चाहता है, तो उसकी इजाजत उसे होगी, लेकिन शर्त ये है कि उसे भारत में अपना प्लांट भी लगाना होगा और DVA की शर्तों का पालन भी करना होगा. तभी उसे अपनी कारों को भारत लाकर बेचने पर ड्यूटी में छूट मिलेगी.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT