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ग्लोबल ग्रोथ इंजन के रूप में चीन की जगह लेना भारत के लिए फिलहाल मुमकिन नहीं: HSBC

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, अगर चीन में ग्रोथ नहीं भी हो और भारत में इन्वेस्टमेंट औसत से तीन गुना हो जाए, तो भी भारत को चीन के बराबर पहुंचने में करीब 18 साल लगेंगे.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:39 PM IST, 13 Oct 2023NDTV Profit हिंदी
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आज के दौर की हकीकत ये है कि भारत की अर्थव्यस्था तेजी से उभर रही है. लेकिन अच्छी ग्रोथ के बावजूद भारत ग्लोबल डेवलपमेंट ग्रोथ का इंजन बनने की होड़ में चीन से बहुत पीछे है. HSBC के मुताबिक, अभी के हालात में ये मुमकिन नहीं है कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के इंजन के रूप में चीन को जल्दी रिप्लेस कर पायेगा.

चीन से अभी बहुत पीछे है भारत

अर्थशास्त्री फ्रेडरिक न्यूमैन और जस्टिन फेंग ने HSBC की रिपोर्ट में लिखा है कि भारत अर्थव्यवस्था के मामले में चीन से अभी बहुत पीछे है. भारत की अर्थव्यवस्था अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही है. वहीं, चीन की अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी है कि किसी भी दूसरे देश के लिए उससे आगे निकलना बहुत मुश्किल है. चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तेजी से बढ़ रही है.

IMF के पूर्वानुमानों के आधार पर HSBC को उम्मीद है कि निकट भविष्य में दोनों अर्थव्यवस्थाओं (भारत और चीन) के बीच अंतर और बढ़ता रहेगा. 2028 तक ये अंतर 17.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा. दोनों अर्थव्यवस्थाओं का अंतर यूरोपीय संघ (EU) की मौजूदा अर्थव्यवस्था की साइज के बराबर है. पिछले साल भारत और चीन के बीच का अंतर 15 ट्रिलियन डॉलर था.

भारत 5 साल में चीन से आगे निकल सकता है ?

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए HSBC का नजरिया Barclays की तुलना में बिलकुल विपरीत है. Barclays का मानना है कि अगर सालाना ग्रोथ 8% रही, तो भारत अगले पांच सालों में ग्लोबल डेवलपमेंट ग्रोथ का इंजन बनने की होड़ में चीन से आगे निकल सकता है.

चीन के बराबर पहुंचने में लगेंगे 18 साल

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, अगर चीन में ग्रोथ नहीं भी हो और भारत में इन्वेस्टमेंट औसत से तीन गुना हो जाए, तो भी भारत को चीन के बराबर पहुंचने में करीब 18 साल लगेंगे.

HSBC की रिपोर्ट में चीन और भारत के बीच इन्वेस्टमेंट और कंजम्प्शन के ट्रेंड में बड़े अंतर को दिखाया गया है. इस समय में दुनिया के इन्वेस्टमेंट में चीन की हिस्सेदारी लगभग 30% है, जबकि भारत की हिस्सेदारी 5% से भी कम है. वहीं, ग्लोबल कंजम्प्शन में चीन की हिस्सेदारी 14% है, जबकि भारत की 4% से कम है.

पूरी दुनिया को मिलेगा भारतीय अर्थव्यवस्था का लाभ

हालांकि, इसके बावजूद भी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ से कमोडिटी, खपत और कैपिटल गुड्स की मांग बढ़ेगी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा. उन्होंने बताया कि भारत की भविष्य में ग्लोबल ट्रेड में एक बड़ा प्लेयर बनने की संभावना है. भारत सर्विस के निर्यात में उसी तरह की भूमिका निभाएगा जैसे चीन गुड्स सप्लाई के निर्यात में निभाता है.

IMF के मुताबिक 2023 और 2024 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.3% की रेट से बढ़ेगी, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था उसी दौरान 5% और 4.2% की रेट से बढ़ने की संभावना है.

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