प्राइवेट सेक्टर के प्रमुख बैंक, इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) ने आशंका जताई है कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग डिस्क्रिपन्सी यानी खातों में अंतर से 2.35% नेटवर्थ का बुरा असर पड़ सकता है. बता दें , एक्सटर्नल एजेंसी इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग डिस्क्रिपन्सी पर अंतरिक निष्कर्षों की समीक्षा कर रही है. हालांकि, अंतिम रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है.
ये खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक के सितंबर 2023 के बॉन्ड निवेश कैटेगराइजेशन और वैल्यूएशन संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुरूप है. बैंक ने एक्सचेंजों को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि बाहरी एजेंसी की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके आधार पर बैंक अपने वित्तीय विवरणों में किसी भी परिणामी प्रभाव पर उचित रूप से विचार करेगा.
मैनेजमेंट ने एनालिस्ट कॉल में कहा कि बैंक के मुताबिक लगभग 2,100 करोड़ रुपये का प्रभाव होगा. हालांकि, ये कहना मुश्किल है कि एक्सटर्नल वेलिडेशन द्वारा अनुमानित प्रभाव बिल्कुल वैसा ही होगा जैसा बैंक ने पाया है और ये रेंज बाउंड होना चाहिए.
मैनेजमेंट ने कहा, RBI विनियमित संस्थाओं में विषयगत समीक्षा करना जारी रखता है. अभी ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे हमें चिंता हो. दिसंबर में समाप्त तिमाही के लिए निजी क्षेत्र के बैंक की कुल संपत्ति 65,102 करोड़ रुपये थी, जो एक साल पहले के 58,841 करोड़ रुपये से कम थी. दिसंबर के अंत में कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो 16.46% था.
बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियों पर, मैनेजमेंट ने कहा कि इसमें कोई क्लाइंट ट्रेड शामिल नहीं है और ये पूरी तरह से बैंक उधार में शामिल है. ये डेरिवेटिव ट्रेड पांच से सात साल पहले हुए थे और तब सामने आए जब बैंक ने RBI फ्रेमवर्क के बाद पोर्टफोलियो की समीक्षा की.
मैनेजमेंट ने कहा कि RBI के दिशा-निर्देशों के कारण हम अब इस तरह का कोई लेनदेन नहीं कर रहे हैं. हमने पहले ही ये बात कह दी थी क्योंकि ये केवल एक आंतरिक अनुमान है. बैंक ने इस मामले में RBI को भी शामिल किया है.
दिसंबर में समाप्त तिमाही के लिए, बैंक की MFI बुक 32,564 करोड़ रुपये थी, जो इसकी कुल लोन एसेट्स का 9% थी. कुल एडवांस राशि सालाना आधार पर 12% बढ़कर 3.66 लाख करोड़ रुपये हो गई है.