देश में e-commerce को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ONDC नाम से एक कॉमन प्लेटफॉर्म तैयार किया है. सरकार चाहती है कि तमाम छोटी-बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां इस सरकारी ई-मार्केटप्लेस (www.ondc.org) पर आएं, न कि इसके लिए अलग से कोई ऐप बनाएं.
पिछले दिनों दिल्ली में 'Enabling Bharat 2.0' कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने बिना नाम लिए उन कुछेक कंपनियों को निशाने पर लिया था, जिन्होंने इसको लेकर अलग ऐप डेवलप किए हैं.
इस मुद्दे पर BQ Prime हिंदी ने NCDEX E-Markets के CEO और MD मृगांक परांजपे (Mrugank Paranjape) से बातचीत की. उन्होंने सरकार के इस विजन का समर्थन किया और ई-कॉमर्स सेक्टर को टैक्स में कुछ राहत दिए जाने की जरूरत बताई.
मृगांक परांजपे ने ONDC के बैकड्रॉप में सरकार के दो बड़े फैसलों को 'क्रांति' बताया. पहला- आधार (Aadhaar) और दूसरा- UPI ऐप. दोनों में फ्रेमवर्क ये था कि API सरकार बनाए और एप्लिकेशंस लोग खुद बनाएं.
उन्होंने कहा कि ONDC के पीछे भी सरकार की यही सोच रही होगी कि API बने, लोग उसमें जुड़ सकें और ई-कॉमर्स के तहत कमर्शियल एक्टिविटी हो पाए.
इसलिए सरकार का जो कहना है कि ONDC पर मौजूदा ऐप ही जुड़े, अलग से ऐप न बने, ये बिल्कुल सही है. पूरा इकोसिस्टम जुड़ जाएगा तो ई-मार्केट तेजी से ग्रो करेगा.
ई-कॉमर्स बढ़ाने के लिए सरकार को टैक्स स्ट्रक्चर्स को भी देखना चाहिए. आज की तारीख में TCS और TDS दोनों ई-कॉमर्स पर ज्यादा लागू होते हैं, रेगुलर कॉमर्स पर कम लागू होते हैं. इसके चलते कई लोग प्राइस डिस्कवरी, ई-कॉमर्स में करते हैं, लेकिन ट्रांजैक्शन ई-कॉमर्स के बाहर करते हैं.
उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194 के तहत आने वाले TCS और TDS को सरकार कम कर दे तो ई-कॉमर्स तेजी से ग्रोथ करेगा.
30-35 वर्षों से हम लोग सुनते आ रहे हैं कि ई-कॉमर्स से मिडिल मैन बर्बाद हो जाएगा, लेकिन ऐसा आज तक नहीं हुआ. बल्कि पिछले 30 साल में प्रोडक्ट पर मार्जिन एकदम कम हुआ है. साथ ही प्राइस डिस्कवरी में पूरी पारदर्शिता आई है.
ONDC एक तरह का सरकारी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस है, जहां बड़े दुकानदारों की तरह छोटे से छोटे किराना व्यापारी भी रजिस्ट्रेशन कराकर अपना सामान बेच सकते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर खुदरा और थोक खरीदारों को किसी भी रजिस्टर्ड वेंडर से सामान खरीदने की सुविधा मिलती है.
ONDC एक तरह की ओपन रजिस्ट्री होगी. किसी रिटेलर को ऑनलाइन सामान बेचने के लिए अलग-अलग ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर नहीं कराना होगा. इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने के लिए दुकानदारों को कोई शुल्क नहीं देना होगा.
इस प्लेटफॉर्म के जरिए लोग साबुन-तेल की खरीदारी से लेकर, रेल टिकट-हवाई टिकट बुकिंग, फूड ऑर्डर और डिलीवरी, होटल बुकिंग वगैरह कर पाएंगे.
यहां एक ही मंच पर ग्राहक, सभी ई-कॉमर्स साइट्स से एक साथ शॉपिंग कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, कोई ग्राहक ONDC पर पेटीएम से Login करेगा तो उसे केवल पेटीएम के सेलर्स के प्रोडक्ट नहीं बल्कि, अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, मीशो जैसे सेलर्स के भी प्रोडक्ट दिखेंगे और वे उनसे खरीदारी कर सकेंगे.