Startup Funding By Government: आपने TV, YouTube या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शार्क टैंक शो तो देखा ही होगा, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए एंटरप्रेन्योर्स (Entrepreneurs) अपने आइडिया और प्रोडक्ट लेकर आते हैं. पसंद आने पर शो के जज, जिन्होंने बतौर एंटरप्रेन्योर एक लंबा सफर तय किया और आज बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक हैं, वो फंडिंग करते हैं. बदले में वो एंटरप्रेन्योर से शेयर या इक्विटी लेते हैं.
ये तो एक तरह का सौदा हुआ. अगर फंड की मदद फ्री में की जाए तो एंटरप्रेन्योर्स के लिए कितना अच्छा होगा न!
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सहयोग से देश की कई इंस्टीट्यूशंस (Institutions) ऐसा ही करती हैं. ये न केवल एंटरप्रेन्योर्स को सपोर्ट करती हैं और स्टार्टअप खड़ा करने के लिए फंड (Startup Fund) मुहैया कराती हैं, बल्कि उन्हें बाजार में स्थापित कराती हैं. बदले में कोई शेयर, इक्विटी या हिस्सेदारी भी नहीं लेतीं.
ये सब होता है, सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture) की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, रफ्तार (RKVY-Raftaar) के तहत. रफ्तार यानी Remunerative Approaches For Agriculture And Allied Sector Rejuvenation स्कीम के तहत देश के 24 संस्थान ऐसे एंटरप्रेन्योर्स या स्टार्टअप्स को फंड मुहैया करा के स्थापित करते हैं, जो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से किसानों के काम आते हों. (पूरी लिस्ट आप स्टोरी में सबसे नीचे देख सकते हैं.)
इन इंस्टीट्यूशंस में देश के कई 21 एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, दो IITs और एकमात्र IIM शामिल हैं. ये संस्थान एंटरप्रेन्योर्स को तैयार करते हैं, उनका बिजनेस प्लान डेवलप कराते हैं, फंड मुहैया कराते हैं और फिर बाजार में प्रोडक्ट उतारने से लेकर उनकी ब्रैंडिंग और मार्केटिंग तक में मदद करते हैं.
एग्री स्टार्टअप्स को 5 से 25 लाख रुपये के बीच फंडिंग की जाती है. अकेले IIM काशीपुर से 4 से 5 करोड़ रुपये की फंडिंग की जा चुकी है. इसके अलावा बाकी सेंटर्स भी अपना योगदान दे रहे हैं जिससे एंटरप्रेन्योर्स को बड़े पैमाने पर फायदा मिल रहा है.
इतना जानने के बाद सबसे अहम सवाल कि ये सब होता कैसे है? इस योजना का लाभ कैसे उठाया जाए? अपने स्टार्टअप के लिए सरकार से कैसे फंड हासिल किया जाए? ये सब जानने के लिए BQ Prime हिंदी पहुंचा इन्हीं 24 संस्थानों में से एक के पास. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, काशीपुर.
देश के 19 IIM में से ये इकलौता IIM है, जो एंटरप्रेन्योर्स के लिए ऐसा सेंटर चलाता है. इस सेंटर का नाम है - FIED यानी Center For Innovation And Entrepreneurship Development. ये सेंटर देश भर के एंटरप्रेन्योर्स की ट्रेनिंग से लेकर फंडिंग और बाजार में प्रोडक्ट लॉन्च करने से लेकर उसकी मार्केटिंग तक, मदद करता है. इस सेंटर को स्थापित हुए 6 साल से ज्यादा हो चुके हैं और अब तक ये 100 से ज्यादा स्टार्टअप्स को इन्क्यूबेट कर चुका है और 50 से ज्यादा स्टार्टअप्स को एक्चुअल फंड मुहैया करा चुका है.
ये सब होता कैसे है, पूरी प्रक्रिया के बारे में स्टेप-बाय-स्टेप (Step-By-Step) समझने के लिए हमने बात की, IIM काशीपुर में FIED के समन्वयक सह प्रभारी प्रोफेसर सफल बत्रा से. तो चलिए शुरू करते हैं.
सबसे पहले किसी भी स्टार्टअप या एंटरप्रेन्योर्स, जिनके पास कृषि या तकनीक से जुड़े इनोवेटिव आइडिया हों, उन्हें FIED की वेबसाइट (www.fied.in) पर ऑनलाइन अप्लाई करना होगा.
प्रोफेसर बत्रा ने बताया कि आवेदन के लिए विंडो ओपन है और आखिरी तारीख 30 जून 2023 है.
प्रोफेसर बत्रा ने बताया कि FIED के पास ऑर्गेनिक फूड और जैविक खेती के टूल्स से लेकर ड्रोन, ट्रैक्टर और ट्रक तक के आइडियाज आते हैं. आवेदनों की स्क्रीनिंग के दौरान FIED का पैनल ये देखता है कि किनके आइडिया ज्यादा इनोवेटिव हैं, किसमें कितना पोटेंशियल है, इस आधार पर कुछ स्टार्टअप्स का चयन कर उन्हें कॉल किया जाता है.
प्रोफेसर बत्रा ने बताया कि स्क्रीनिंग के बाद शॉर्टलिस्टेड स्टार्टअप्स को इंटरव्यू के लिए IIM काशीपुर बुलाया जाता है. उनका आइडिया और प्रेजेंटेशन देखा जाता है. चयनित एंटरप्रेन्योर्स के लिए यहां प्रॉपर 2 महीने की कॉम्प्रिहेंसिव ट्रेनिंग कराई जाती है, ताकि जिनके पास पोटेंशियल आइडिया हो, लेकिन बिजनेस प्लान करना न आता हो, उनकी मदद हो सके. इसके बाद फाइनल प्रेजेंटेशन कराया जाता है.
ट्रेनिंग के बाद चयनित 20 से 25 एंटरप्रेन्योर्स का फाइनल इंटरव्यू लिया जाता है. इसमें IIM काशीपुर के एक्सपर्ट्स के अलावा बड़े-बड़े उद्योगपति और एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री के रिप्रेजेंटेटिव होते हैं. उस समय IIM काशीपुर, सेलेक्टर्स न होकर एक मेंटोर की भूमिका में होता है. पैनल को आइडिया पसंद आता है तो RKVY-Raftaar स्कीम के तहत एंटरप्रेन्योर्स को फंड मुहैया कराया जाता है.
प्रोफेसर बत्रा ने बताया कि उनके लिए हर चयनित स्टार्टअप नायाब हीरा होता है. IIM काशीपुर, फंडिंग के साथ एक साल का इनक्यूबेशन भी देता है. FIED की ओर से अगले एक साल तक डिजिटल मार्केटिंग से लेकर प्रोडक्ट की प्राइसिंग और कमर्शियलाइजेशन तक एक-एक फैसला लेने में सहयोग किया जाता है.
अब उन 24 संस्थानों के बारे में जान लीजिए, जहां RKVY-Raftaar स्कीम के तहत एग्री एंटरप्रेन्योर्स के लिए सेंटर स्थापित हैं.
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, हिसार, हरियाणा
CSK एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पालमपुर, हिमाचल
JLN एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जबलपुर, मध्यप्रदेश
ICAR-IVRI, इज्जतनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश
इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, रायपुर, छत्तीसगढ़
शेर-ए-कश्मीर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जम्मू
केरल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, थ्रिसुर, केरल
ICAR-इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद, तेलंगाना
तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर, तमिलनाडु
ANG रांगा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, गुंटूर, आंध्र प्रदेश
नेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट, कटक, ओडिशा
SKN एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जोबनेर, राजस्थान
बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, भागलपुर, बिहार
आणंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, आणंद, गुजरात
ICAR-CIRCOT, मुंबई, महाराष्ट्र
Dr PD कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र
NIVEDI, बेंगलुरु, कर्नाटक
कॉलेज ऑफ फिशरीज, लेंबुचेरा, त्रिपुरा
DVMCVSAH, आईजोल, मिजोरम
कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, अरुणाचल प्रदेश
IIM काशीपुर, उत्तराखंड
IIT-BHU, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
IIT-खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
इन तमाम संस्थानों में कृषि मंत्रालय की RKVY-Raftaar स्कीम के तहत एंटरप्रेन्योर्स की मदद की जाती है.
गूगल की तरह Qmamu नाम से इंडियन सर्च इंजन बनाने वाले एंटरप्रेन्योर निशिथ धनानी, Adraas की फाउंडर नित्या बंसल, Bivestors के फाउंडर कुणाल शाह और निकेत मेहता ने IIM, काशीपुर के FIED के जरिये 10-10 लाख रुपये की फंडिंग हासिल की है. विजग, लूपवर्म समेत ऐसे कई नाम हैं, जिन्होंने करोड़ों में फंड जुटाया.
अगर आपके पास कोई इनोवेटिव आइडिया है तो देर किस बात की. अपनी सुविधा के अनुसार, इन संस्थानों में आवेदन करें और अपने स्टार्टअप्स को एक नई ऊंचाई दें.