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ब्राइटकॉम ग्रुप पर SEBI का कड़ा एक्‍शन! CEO, CFO को कंपनी बोर्ड से हटाया, शंकर शर्मा समेत 22 के शेयर बेचने पर पाबंदी

SEBI ने दिग्‍गज निवेशक शंकर शर्मा और 21 अन्य संस्थाओं को शेयरों की बिक्री करने से रोक दिया है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:45 AM IST, 23 Aug 2023NDTV Profit हिंदी
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मार्केट रेगुलेटर सेबी (The Securities and Exchange Board of India) ने धोखाधड़ी और कंपनी के फाइनेंशियल स्‍टेटमेंट्स को कथित गलत तरीके से पेश करने के आरोप में ब्राइटकॉम ग्रुप (Brightcom Group Ltd) के चेयरमैन और CEO सुरेश कुमार रेड्डी और इसके CFO नारायण राजू को कंपनी बोर्ड से प्रतिबंधित कर दिया है.

मंगलवार को जारी किए गए एक अंतरिम आदेश के अनुसार, उन्हें अगली सूचना तक कंपनी के शेयरों को बेचने से भी रोक दिया गया है. SEBI ने दिग्‍गज निवेशक शंकर शर्मा और 21 अन्य संस्थाओं को भी शेयरों की बिक्री करने से रोक दिया है.

इस बात की आशंका है कि यदि रेड्डी और राजू को उनके पद पर बने रहने की अनुमति दी गई, तो वे रिकॉर्ड में और अधिक हेराफेरी और फर्जीवाड़ा कर सकते हैं. साथ ही सेबी को गुमराह करके इस मामले की सच्चाई उजागर करने और सेबी की जांच को पटरी से उतारने के लिए हर संभव प्रयास कर सकते हैं.
SEBI Order

शंकर शर्मा का जवाब

BQ Prime के सवालों के ईमेल के जवाब में शंकर शर्मा ने कहा, "हमें कंपनी से कल मिलान किया गया रेमिटेंस हासिल हुआ है, जो हमारे रिकॉर्ड से मेल खाता है, और आज रात ही सेबी को आवश्यक जानकारी सौंप दी गई है.'

शंकर शर्मा ने कहा कि हमने अपने 1.5 करोड़ (शेयरों) के लिए रुपये की कीमत पर कुल 56.65 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. 37.7 (सेबी फॉर्मूला मूल्य), जो हमारी ओर से दी गई सटीक राशि है," शर्मा ने कहा, "हमने HDFC बैंक और इक्विटास बैंक में BCG के बैंक खातों को भेज दिया है.'

ब्राइटकॉम ने कहा- आंतरिक टीम का गठन किया

ब्राइटकॉम ग्रुप ने आज एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि उसने सेबी के आदेश के विवरण और निहितार्थ की समीक्षा करने के लिए एक आंतरिक टीम का गठन किया है और स्थिति को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आगे के कदमों पर विचार विमर्श कर रहे हैं. कंपनी ने कहा कि वो कानूनी विशेषज्ञों के साथ परामर्श कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी प्रतिक्रियाएं कंपनी और शेयरधारकों के सर्वोत्तम हित में हों.'

पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

ब्राइटकॉम ग्रुप के मामले में यह सेबी का तीसरा आदेश है. इससे पहले, सेबी ने कंपनी के फाइनेंशियल स्‍टेटमेंट में हेरफेर से जुड़ी धोखाधड़ी के लिए रेड्डी सहित ब्राइटकॉम ग्रुप के डायरेक्‍टर्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन के लिए कंपनी के साथ-साथ रेड्डी को भी दंडित किया था.

मार्केट रेगुलेटर के अनुसार, ये अधिकारी शेयरों के आवंटन के माध्यम से कंपनी द्वारा प्राप्त होने वाले फंड की राउंड-ट्रिपिंग में शामिल थे. आदेश जारी करने से पहले सेबी ने जांच की.

करोड़ों की हेराफेरी के आरोप

सेबी के मुताबिक, ब्राइटकॉम ग्रुप ने FY21 और FY22 के बीच प्रेफेरेंशियल बेसिस पर शेयर और वारंट जारी करके 867.8 करोड़ रुपये जुटाए. 22 शेयरहोल्‍डर्स को जारी किए गए शेयरों से, कंपनी को 245.2 करोड़ रुपये मिलने की बजाय केवल 52.51 करोड़ रुपये हासिल हुए. सेबी ने आरोप लगाया है कि फंड या तो कंपनी को प्राप्त नहीं हुआ या कई वाहक संस्थाओं (Conduit Entities) के माध्यम से शेयरहोल्‍डर्स को वापस कर दिए गए.

सेबी के नियमों और प्रावधानों का उल्‍लंघन

कंपनी ने फर्जी बैंक स्टेटमेंट के जरिये मामले को छिपाने की भी कोशिश की. प्रेफेरेंशियल शेयरों के इश्‍यू के लिए अपने खुद के फंड को दरकिनार करके और इसे कवर करके, ब्राइटकॉम ग्रुप ने कंपनी अधिनियम के कई प्रावधानों, सेबी के नियमों और प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

सेबी का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू है. सेबी के पास 21 दिन के भीतर जवाब दाखिल किया जा सकता है.

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