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Zee Vs SEBI: मार्केट रेगुलेटर ने जल्दबाजी में दिया आदेश, SAT के सामने बोले पुनीत गोयनका के वकील

इस मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:31 PM IST, 19 Jun 2023NDTV Profit हिंदी
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आज सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के सामने Zee और SEBI मामले की सुनवाई के दौरान पुनीत गोयनका (Punit Goenka) के वकील जनक द्वारकादास ने कहा कि SEBI ने अंतरिम आदेश जारी करने में जल्दबाजी की है.

SAT के सामने द्वारकादास ने दलील दी कि 200 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी की जांच 9 मई से 7 जून 2023 के दौरान हुई है. केवल दो दिन में 12 जून को कथित हेराफेरी मामले में आदेश जारी कर दिया गया. द्वारकादास ने कहा कि अगर हमें मौका दिया जाता तो हम बताते कि ट्रांजैक्शन में फर्जी एंट्री नहीं है.

'बैंक स्टेटमेंट पर SEBI ने दिया ऑर्डर'

गोयनका के वकील का कहना है कि SEBI ने बस मान लिया कि सातों संबंधित कंपनियों के साथ ट्रांजैक्शंस किए गए हालांकि इसका कोई आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि SEBI केवल संबंधित संस्थाओं के बैंक स्टेटमेंट पर भरोसा करके निष्कर्ष पर पहुंचा है. ZEE और संबंधित कंपनियों के बीच लेन-देन दिखाने के लिए बैंक स्टेटमेंट को छोड़कर अंतरिम आदेश में सभी मैटेरियल बोगस है और सिर्फ बुक एंट्री के तौर पर दर्ज है. संबंधित कंपनियों से जी के कारोबारी रिश्ते साल 2018 से थे.

इस मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी.

SEBI ने लगाए थे गंभीर आरोप

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने आरोप लगाया था कि सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra) और पुनीत गोयनका ने पब्लिक फंड को निजी कंपनियों में डायवर्ट किया. SAT ने मार्केट रेगुलेटर को 15 जून को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया था.

SEBI ने अपने जवाब में कहा था कि 'इस खास मामले में, हमें एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जहां एक प्रमुख लिस्टेड कंपनी के चेयरमैन एमेरिटस और मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO कई स्कीम्स और लेनदेन में शामिल हैं, जिसके कारण पब्लिक फंड्स की महत्वपूर्ण राशि का डायवर्जन लिस्टेड कंपनियों निजी संस्थाओं को हुआ है जो इन व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित और स्वामित्व वाली हैं'

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अपने पुराने अंतरिम आदेश में एस्सेल समूह के चेयरमैन एमेरिटस सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के CEO पुनीत गोयनका को लिस्टेड कंपनियों में डायरेक्टर या प्रमुख प्रबंधकीय पदों पर रहने से प्रतिबंधित कर दिया था.

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