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SEBI SME लिस्टिंग प्रोसेस पर जल्द जारी करेगा कंसल्टेशन पेपर

SEBI के होल टाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने कहा, SMEs का रोजगार में 62% और GDP में 30% योगदान है. SME प्लेटफॉर्म वैकल्पिक फंडिंग मुहैया कराता है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी10:03 PM IST, 02 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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SEBI के होल टाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने सोमवार को कहा कि मार्केट रेगुलेटर जल्द ही स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज की लिस्टिंग प्रक्रिया पर कंसल्टेशन पेपर जारी करेगा.

भाटिया ने ऑफ-कैमरा बातचीत में कहा कि ये कंसल्टेशन पेपर एक्सचेंजों, मर्चेंट बैंकरों और SME लिस्टिंग में शामिल सभी स्टेकहोल्डर्स से जुड़े रेगुलेटरी नियमों में सुधार करेगा.

SEBI के होल टाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने कहा, SMEs का रोजगार में 62% और GDP में 30% योगदान है. SME प्लेटफॉर्म वैकल्पिक फंडिंग मुहैया कराता है.

अश्विनी भाटिया ने बताया कि SME प्लेटफॉर्म 2012 से चल रहा है और SMEs के IPO और उसमें निवेशकों की भागीदारी काफी बढ़ी है. SME प्लेटफॉर्म पर IPO लिस्टिंग 5 साल में 4 गुनी हो गई है, साथ ही इनके IPOs से 5 साल में 12 गुना फंड ज्यादा जुटाया गया है. कई कंपनियों का प्रदर्शन इतना अच्छा रहा है कि SME प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग के बाद वो मेन बोर्ड में ट्रांसफर हो गए हैं.

अश्विनी भाटिया ने बताया कि BSE और NSE के SME प्लेटफॉर्म पर अब तक 600 कंपनियों की लिस्टिंग हो चुकी है. दिलचस्प बात ये है कि करीब 2 लाख कंपनियां लिस्टिंग के लिए तैयार दिख रही है.

हालांकि भाटिया ने भी बताया कि अभी SMEs के IPO और लिस्टिंग में काफी खामियां है. उनके मुताबिक चार्टर्ड एकाउंटेट, मर्चेंट बैंकर्स और एक्सचेंज की तरफ से खातों का पर्याप्त जांच का नहीं होना एक बड़ी बाधा है. कंपनियों के बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए वैल्युएशन लंबी अवधि में नुकसानदेह हो सकते हैं.

उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेट, मर्चेंट बैंकर्स जैसे इंटरमीडियरीज से शॉर्टकट तरीके नहीं अपनाने और सही से ड्यू डिलिजेंस करने की सलाह दी है.

हम आपको बता दें कि रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के IPO में मिले सब्सक्रिप्शन के बाद SEBI चौकन्ना हो गया है. इस IPO में कंपनी ने 12 करोड़ जुटाने की अर्जी दी थी, मगर सब्सक्रिप्शन मिला 5022 करोड़ रुपये का, यानी करीब 418 गुना ज्यादा. ऐसे सब्सक्रिप्शन के बाद कंपनियों में जोरदार लिस्टिंग और शेयरों में तेज उछाल की संभावना बन जाती है, जो कई बार कंपनी के फंडामेंटल्स से मेल नहीं खाती है.

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