गुरुवार को स्विगी ने अपने IPO के लिए SEBI में अपडेटेड DRHP फाइल किया. कंपनी को इससे पहले कॉन्फिडेंशियल फाइलिंग रूट से लिस्टिंग की अनुमति मिली थी.
स्विगी को ये फायदा है कि बाजार में पहले से ही उसके सेगमेंट की एक और कंपनी 'जोमैटो' लिस्ट है, जिसके चलते निवेशकों को अपने बिजनेस और उसके विस्तार के बारे में बताने में ज्यादा ऊर्जा नहीं लगानी होगी. लेकिन अब स्विगी की हर पैमाने पर जोमैटो से तुलना होगी, क्योंकि दोनों का फूड डिलीवरी, Eating Out और क्विक कॉमर्स का धंधा एक जैसा है.
अब स्विगी की FY24 की मीट्रिक्स की तुलना जोमैटो से की जा सकती है. चलिए नजर डालते हैं.
FY24 में स्विगी के ऑपरेटिंग रेवेन्यू में 36% का जबरदस्त उछाल आया और ये 11,247.3 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. जबकि इसकी तुलना में FY24 में जोमैटो का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 12,961 करोड़ रुपये रहा.
अगर मुनाफे की बात करें तो यहां जोमैटो काफी आगे है. कंपनी को FY24 में 351 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ. जबकि स्विगी को कॉस्ट कटिंग के लिए कड़ी मेहनत कर रही है और FY24 में घाटा 44% कम भी हुआ, लेकिन इसके बावजूद घाटा 2,256 करोड़ रुपये रहा.
स्विगी देश का दूसरा सबसे बड़ा फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म है. ये मंथली ट्रांजैक्टिंग यूजर्स के आंकड़ों से भी पता चलता है. यहां मंथली ट्रांजैक्टिंग यूजर (MTU) का मतलब उस यूजर से होता है, जो एक महीने में कम से कम एक बार ऐप से ऑर्डर करता है.
स्विगी के पास 1.42 करोड़ MTUs हैं. इसकी तुलना में जोमैटो के पास 1.84 करोड़ MTUs हैं. स्विगी और जोमैटो का एवरेज ऑर्डर वैल्यू 428 रुपये पर एक समान है. यहां ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि स्विगी की इंस्टामार्ट के लिए यूनिफाइड ऐप है. जबकि ब्लिंकिट और जोमैटो की अलग-अलग ऐप हैं.
दोनों के ऑपरेशंस में फूड डिलीवरी मुख्य है. दोनों प्लेटफॉर्म पर एवरेज ऑर्डर वैल्यू लगभग बराबर है. लेकिन जोमैटो ज्यादा रेस्त्रां कवर करता है. जोमैटो, ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू और टोटल ऑर्डर में भी स्विगी से आगे है.
डाइनआउट के अधिग्रहण के बाद स्विगी ईटिंग आउट के बिजनेस में आई है. लेकिन अब भी जोमैटो का डाइनिंग आउट सेगमेंट आगे है, जहां 1+1 प्रोमोशंस और डिस्काउंट से काफी पुश मिल रहा है.
क्विक कॉमर्स में दोनों कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है. जोमैटो ने जल्द अपने डार्क स्टोर दोगुने करने का ऐलान भी किया है, इसलिए भविष्य में कंपनी के ज्यादा मार्केट शेयर पर कब्जे की संभावना है. अब गेंद स्विगी के पाले में है कि कंपनी आगे क्या रणनीति अपनाती है.