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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर संकट ने खड़ा किया गंभीर सवाल, अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का क्या होगा भविष्य?

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (New India Cooperative Bank) की समस्या ने बाकी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों (Urban Cooperative Banks) के लिए भी भरोसे का संकट खड़ा कर दिया है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी12:59 PM IST, 26 Feb 2025NDTV Profit हिंदी
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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (New India Cooperative Bank) के गवर्नेंस में खामियों के चलते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उस पर सख्त पाबंदियां लगा दी है. जिसके चलते मुंबई के कई जमाकर्ता अब सरकारी बैंकों (PSU Banks) में खाता खोल रहे हैं. NDTV Profit से बातचीत में दर्जनों लोगों ने ये जानकारी दी है.

सरकारी बैंकों की ओर बढ़ता भरोसा

मुंबई के मीरा रोड स्थित ट्यूलिप अपार्टमेंट्स के सचिव मोहम्मद जुल्फिकार ने कहा कि,

“पहले हाउसिंग सोसाइटी के खाते केवल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों में ही खोले जाते थे, क्योंकि रजिस्ट्रार का यही नियम था. लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए, हम SBI में खाता खोल रहे हैं, ताकि पानी और गैस के बिलों का भुगतान कर सकें.”

RBI की सख्ती और बढ़ता संकट

14 फरवरी को RBI ने बैंक के बोर्ड को खराब गवर्नेंस के कारण खत्म कर दिया था. इसके एक दिन पहले, RBI ने बैंक पर छह महीने तक नए लोन जारी करने पर रोक लगा दी और निकासी (withdrawal) पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

इस फैसले के बाद, बड़ी संख्या में ग्राहक बैंक की 28 शाखाओं पर जमा हो गए, जोकि ज्यादातर मुंबई में हैं.

मुंबई के निवासी जसप्रीत ने बातचीत में कहा, “हमारे परिवार के तीन खाते इस बैंक में हैं और हमारे पास इसमें बड़े फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भी हैं. हमने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन अब हम SBI या बैंक ऑफ इंडिया में नया खाता खोलेंगे.”

अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर भरोसा घटा

सरकारी बैंकों की ओर ये रुख दर्शाता है कि खासकर मेट्रो शहरों में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों को लेकर जमाकर्ताओं की चिंताएं बढ़ रही हैं.

RBI के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कुल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों का 79% हिस्सा है.

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिमन्यु भोआन (Abhimanyu Bhoan) को 122 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में गिरफ्तार किया है. साथ ही, पुलिस ने बैंक के पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता और एक बिल्डर धर्मेश पौन को भी गिरफ्तार किया है, जिन्होंने इस घोटाले में मदद की थी.

अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की स्थिति पर सवाल

ये घटना अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की वित्तीय स्थिति और गवर्नेंस को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है.

“जब भी कोई बैंक संकट में आता है, PSU बैंकों को 3-6 महीनों तक फायदा मिलता है.”
आशुतोष के मिश्रा, हेड ऑफ रिसर्च, अशिका स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड

2019 में PMC बैंक घोटाले के बाद से, RBI ने सेक्शन 35A के तहत 66 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें से 21 बैंक सिर्फ महाराष्ट्र में हैं.

PMC बैंक के अलावा, गुरु राघवेंद्र को-ऑपरेटिव बैंक (Guru Raghavendra Cooperative Bank), महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (Maharashtra State Cooperative Bank) और अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) भी परेशानियों में फंस चुके हैं.

सेक्शन 35A: RBI का हथियार

बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 का सेक्शन 35A, RBI को ये अधिकार देता है कि वो बैंकिंग प्रणाली, जमाकर्ताओं और बैंक के हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सके.

RBI की एक रिपोर्ट को देखें तो, पिछले कुछ दशकों में एक-तिहाई नए को-ऑपरेटिव बैंक आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं.

2004-05 से RBI ने इससे निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं. जैसे कमजोर को-ऑपरेटिव बैंकों को मजबूत बैंकों में मिलाया, असफल बैंकों को बंद किया और नए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया रोक लगाया है. इसका परिणाम ये हुआ कि पिछले दो दशकों में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की संख्या 1,926 से घटकर 1,472 रह गई है.

नए वित्तीय संस्थानों से चुनौती

अब छोटे वित्तीय संस्थान जैसे स्मॉल फाइनेंस बैंक, नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFC) और फिनटेक कंपनियां कोने-कोने तक लोन देने में आगे आ रही हैं, जिससे अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पीछे छूट रहे हैं.

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की समस्या ने बाकी अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के लिए भी भरोसे का संकट खड़ा कर दिया है.

अब जमाकर्ता भारत को-ऑपरेटिव बैंक (Bharat Cooperative Bank) और कोसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक (Cosmos Cooperative Bank) जैसे अन्य बैंकों से भी पैसा निकालकर PSU बैंकों की ओर रुख कर रहे हैं.

“सिर्फ न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की दिक्कतों की वजह से जमाकर्ताओं ने अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर से भरोसा नहीं खोया है. दरअसल जिनकी जोखिम सहने की कम क्षमता है वही बाहर निकल रहे हैं, जो कि स्वाभाविक भी है. वैसे ये अच्छा है कि जमाकर्ता रिस्क को पहचानकर रिएक्शन दे रहे हैं, बजाय इसके कि वे आंख मूंदकर भरोसा करते रहें. इससे सभी बैंकों को सतर्क रहने की सीख मिलती है.”
R. गांधी, RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर

बैंक की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी. 2023-24 के अप्रैल-मार्च में, बैंक ने 23 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो पिछले वर्ष 30.74 करोड़ रुपये था.

हालांकि, 31 मार्च 2024 तक बैंक की जमा राशि 1% बढ़कर 2,436 करोड़ रुपये हो गई, लेकिन इसके लोन करीब 12% घटकर 1,175 करोड़ रुपये रह गए.

बैंक का ग्रोस NPA (non-performing assets) रेश्यो 2023-24 में बढ़कर 7.96% हो गया, जो बीते साल 7.50% था. वहीं, शुद्ध NPA 5.26% से बढ़कर 5.43% हो गया.

निष्कर्ष

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक संकट ने अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों की मौजूदा स्थिति को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं.

भरोसे की कमी, वित्तीय अनियमितताएं और PSU बैंकों की ओर बढ़ता रुझान; इन सबके बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक अपनी साख बचा पाते हैं या नहीं.

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