कमजोर कंज्यूमर सेंटिमेंट और चुनौती भरी मैक्रोइकोनॉमिक परिस्थितियों ने FMCG इंडस्ट्री का स्वाद कुछ फीका कर दिया है.
लेकिन इस फीकेपन में अपना स्वाद बिखेर रहा है FMCG सेक्टर की ही वरुण बेवरेजेज, जिसने 2023 में अच्छी खासी 14% की वॉल्यूम ग्रोथ दर्ज की है.
वरुण बेवरेजेज ने नॉन-एल्कोहॉलिक बेवरेज के 91.4 करोड़ केसेज बेचे. ये भी कंपनी ने उस सीजन के बीच बेचे हैं, जब बारिश से कंपनी की डिमांड पर बड़ा प्रभाव पड़ा था. कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री में कंपनी की वॉल्यूम ग्रोथ सबसे अच्छी रही है. इस तेजी में स्टिंग एनर्जी ड्रिंक (Sting Energy Drink) का भी खासा योगदान रहा है.
2023 में इसके वॉल्यूम में 17% का उछाल आया और दिसंबर तिमाही में 25% की बढ़त नजर आई. कंपनी का अनुमान में है कि बढ़ती डिमांड के बीच कंपनी इस साल और भी शानदार नतीजे पेश कर सकती है.
ग्रोथ तो शानदार है, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है? वरुण बेवरेजेज के मैनेजमेंट का कहना है कि हम 3 चीजों के चलते इतना फायदे में हैं, नए इलाकों में हमारी पहुंच बढ़ रही है, हम अपनी क्षमता में भी लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं और डिस्ट्रीब्यूशन में पहुंच बढ़ा रहे हैं, इसके साथ ही लॉन्च किए गए नए प्रोडक्ट्स को भी भरपूर सपोर्ट मिल रहा है.
खराब साल में भी कंपनी ने स्थिरता के साथ कंपनी ने निवेश जारी रखा. इसके चलते अपनी कैपिसिटी को 2024 में पोटेंशियल अपसाइड में बदलने में फायदा कंपनी को मिला.
2023 में कंपनी का कुल कैपिटल एक्सपेंडिचर 2,100 करोड़ रुपये का था, जिसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान में ग्रीनफील्ड प्लांट्स में किया गया 850 करोड़ रुपये का निवेश, ब्राउनफील्ड एक्सपेंशन में 800 करोड़ रुपये का निवेश और भविष्य में क्षमता को बढ़ाने के लिए 150 करोड़ रुपये की जमीन की खरीद भी शामिल है. कंपनी इस साल 2024 में उत्तर प्रदेश और ओडिशा में ग्रीनफील्ड फैसिलिटी को जोड़ने का प्लान बना रही है.
नए प्लांट 2023 के पीक महीने की क्षमता में 45% की बढ़ोतरी करेंगे. दिसंबर में कैपिटल में निवेश किए 2,400 करोड़ रुपये के अलावा कंपनी कुल कैपिसिटी बढ़ाने पर भी 1,200 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है. इससे साल 2024 के लिए कंपनी अपने कैपिटल एक्सपेंडिचर में कुल 3,600 करोड़ रुपये का निवेश कर सकती है.
अब इससे सीधी सी बात समझ में आती है, भारत की कंजप्शन स्टोरी में कंपनी बड़ा दांव लगा रही है. और ये भी तब कर रही है, जब भारत का कंज्यूमर वर्ग पिज्जा और बर्गर की खुराक कम कर रहा है और बढ़ती महंगाई के बीच सस्ती ग्रॉसरी की ओर अपना रुख कर रही है. यही कहानी FMCG कंपनियों की आय में साफ नजर आ रही है.
बढ़ते निवेश में भी एक स्पष्ट बात समझ आती है. वरुण बेवरेजेज ने 2022 में 3,400 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. वहीं, साल 2023 में कंपनी ने इससे 38% ज्यादा 4,730 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. हालांकि, इस बढ़ते निवेश के बीच भी कंपनी का डेट-टू-इक्विटी रेश्यो बेहतर हो रहा है.
वरुण बेवरेजेज का डेट-टू-इक्विटी रेशियो 1.3 से घटकर 0.67 पर आ गया है. दक्षिण अफ्रीका में कंसोलिडेशन के बावजूद कंपनी इस रेशियो को बनाए रखने में कामयाब रही, क्योंकि अपनी कैपिसिटी बढ़ाने के साथ ही कंपनी अपने मुनाफे को भी बढ़ा पा रही थी.
मैनेजमेंट का मानना है कि कंपनी के पास एनर्जी ड्रिंक्स सेगमेंट में ग्रोथ को आगे भी बढ़ाए रखने के लिए डिस्ट्रिब्यूशन में एक्सपेंशन का स्कोप है. कंपनी अपनी प्रोडक्शन क्षमता को 3 गुना करने के साथ-साथ स्पोर्ट ड्रिंक्स गैटोरेड, जूस और डेयरी सेगमेंट में मजबूत ग्रोथ देख रही है.
फिलहाल, कंपनी का डेयरी बिजनेस में कुल वॉल्यूम का 0.5% हिस्सा आता है, लेकिन कंपनी 2024 में इसे दोगुना करने का अनुमान लगा रही है. मैनेजमेंट ने कहा, अब कंपनी ने भारत के पश्चिमी भाग में एक प्लांट कमीशन किया है और जल्द ही भारत के पूर्वी भाग में भी एक प्लांट लगा सकती है. जूस सेगमेंट भी कंपनी के ग्रोथ रेट के मुकाबले ज्यादा तेजी से ग्रो कर सकता है.
कंपनी सालाना आधार पर 4-5 लाख आउटलेट प्लान करती है. कंपनी के पास 1.2 करोड़ आउटलेट तक पहुंचने का बड़ा स्कोप है. वहीं, कंपनी का मौजूदा हेडकाउंट 35 लाख के करीब है.
दक्षिण अफ्रीका में पेप्सिको का मार्केट शेयर 1.5% है और द बेवरेज कंपनी ब्रैंड्स का मार्केट शेयर 12%. इससे पता चलता है कि कंपनी की मार्केट शेयर में बढ़ोतरी शानदार होगी. ये अधिग्रहण इस फरवरी महीने तक पूरा हो जाएगा.
सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Systematix Institutional Equities) के एनालिस्ट का मानना है, 'अगले कुछ साल के लिए वरुण बेवरेजेज की ग्रोथ 20% के ऊपर रहने वाली है. इसके साथ ही कंपनी के मार्जिन और रिटर्न रेशियो भी पॉजिटिव होंगे'.
मौसम में बदलाव, नई कैपिसिटी का उपयोग बढ़ाने और रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) व कैंपा कोला (Campa Cola) से मिलने वाली टक्कर कंपनी के लिए चुनौती का सबब बन सकती है.