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HUL से लेकर मैरिको, सभी FMCG कंपनियों का बड़े मार्जिन के लिए बड़े पैकेट पर फोकस

मैरिको ने निहार आंवला हेयर ऑयल के 10 रुपये वाले पाउच के मुकाबले 20 रुपये के पैकेट पर फोकस किया है. ज्यादातर कंपनियां इसी स्ट्रैटेजी पर काम कर रही हैं.
NDTV Profit हिंदीसेसा सेन
NDTV Profit हिंदी07:16 PM IST, 17 Nov 2023NDTV Profit हिंदी
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देश की सबसे बड़ी FMCG कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) अपने 20 रुपये के डिटर्जेंट को बेचने पर ज्यादा फोकस करती नजर आ रही है. नजर है बड़े रेवेन्यू पर.

BQ Prime ने देश के 5 अलग-अलग डिस्ट्रिब्यूटर्स से बात की, जिन्होंने माना कि कंपनी सर्फ एक्सेल (Surf Excel) के 160 ग्राम के पाउच की उपलब्धता को बढ़ा रही है. इसकी वजह है कि कंपनी को हर पाउच के लिए 20 रुपये मिलेंगे.

अपना नाम न छापने की शर्त पर BQ Prime को एक डिस्ट्रिब्यूटर ने बताया कि HUL को 160 ग्राम के पाउच पर बेहतर मार्जिन मिलता है. कंपनी 10 रुपये के पाउच की जगह 20 रुपए के पाउच को बेचने को ज्यादा प्राथमिकता दे रही है.

लेकिन ये स्ट्रैटेजी सिर्फ HUL की नहीं है, मैरिको लिमिटेड भी इसी तर्ज पर काम कर रही है. दूसरी FMCG कंपनियां भी इस स्ट्रैटेजी को अपना रही हैं

मैरिको अपने निहार शांति आंवला (Nihar Shanti Amla) हेयर ऑयल के 10 रुपये वाले पाउच के मुकाबले 20 रुपये के पैकेट के स्टॉक रखने पर ज्यादा फोकस कर रही है. पारले प्रोडक्ट्स प्राइवेट (Parle Products Pvt.) भी अपने कंज्यूमर्स को 20 रुपये वाले पैकेट खरीदने को लेकर प्रोत्साहित करती नजर आ रही है. ठीक ऐसी ही स्ट्रैटेजी पेप्सिको इंडिया की लेज (Lays) पोटैटो चिप्स को लेकर है.

कांतार वर्ल्डपैनल (Kantar Worldpanel) के डेटा के मुताबिक, पिछले साल अगस्त में कंपनी 20 रुपये के पैकेट की सेल्स ग्रोथ 3% थी, मगर इस साल ये ग्रोथ बढ़कर 5% हो गई है.

एनालिस्ट्स की राय

एनालिस्ट्स के मुताबिक बड़े पैकेट पर फोकस बढ़ाने की स्ट्रैटेजी लॉन्ग रन में कारगर साबित होगी, क्योंकि कंज्यूमर्स हमेशा ही अपने पैसे पर बेहतर वैल्यू पाना चाहता है. हालांकि, आने वाले समय में ये भी हो सकता है कि कंपनियां एक-दूसरे का मार्केट शेयर भी खा जाएं.

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज (Emkay Global Financial Services) के सीनियर रीसर्च एनालिस्ट नितिन गुप्ता (Nitin Gupta) का मानना है, HUL की स्ट्रैटेजी शॉर्ट टर्म में कंपनी को कुछ महंगी पड़ सकती है. उन्होंने बताया कि घड़ी डिटर्जेंट बनाने वाली कंपनी रोहित सर्फेक्टेंट्स (Rohit Surfectants) और प्रॉक्टर एंड गैंबल हाइजीन एंड हेल्थ केयर (Procter and Gamble Hygiene Health Care ) 10 रुपये वाले पैकेट की एग्रेसिव मार्केटिंग कर रहे हैं.

P&G अपने 10 रुपये के पैकेट में 60 ग्राम का प्रोडक्ट देता है. रोहित सर्फेक्टेंट्स अपने 10 रुपये के पैकेट पर ज्यादा जोर दे रही है, इसमें कंज्यूमर को 10 रुपये के 5 पैकेट पर 1 पैकेट फ्री मिलता है. नितिन गुप्ता ने आगे कहा कि कोविड-19 (Covid-19) के बाद के माहौल पर नजर डालें तो बड़े पैकेट की डिमांड में स्थिरता नजर आई है, जबकि कंज्यूमर के बीच कम पैसे वाले पैकेट का ही दबदबा रहा है.

कांतार वर्ल्डपैनल डेटा के मुताबिक 5 रुपये वाले पैकेट की ग्रोथ में कमी आई है, लेकिन दाम के हिसाब से ये अभी भी बड़ी आबादी में पॉपुलर है. ये कुल फूड कैटेगरी वॉल्यूम में करीब 32% का योगदान देता है.

अगस्त में 10 रुपये के पैकेट की ग्रोथ 6% रही. ये वो मौका था, जब ये नॉन-फूड कैटेगरी में भी कुल वॉल्यूम में करीब 22% हिस्सेदारी के साथ झंडे गाड़ रहा था.

कांतार वर्ल्डपैनल के दक्षिण एशिया रीजन के मैनेजिंग डायरेक्टर के रामकृष्णन ने कहा, 'बीते कुछ साल में 20 रुपये वाले पैकेट की ग्रोथ स्थिर रही, और ये 5 रुपये या 10 रुपये वाले पैकेट की तुलना में पॉपुलर भी नहीं है.'

साबुन से लेकर बिस्किट तक उन सभी ब्रिज पैकेट प्रोडक्ट्स को HUL और नेस्ले इंडिया ने बढ़ चढ़कर पुश किया है, जिसको हर आम खास अफोर्ड कर सके. हालांकि, इस दौरान महंगाई भी काफी देर तक बनी रही. ये ब्रिज पैकेट प्रोडक्ट 5 या 10 रुपये वाले सस्ते और 50 रुपये वाले महंगे पैक के बीच के गैप को भरने का काम करते हैं. कंपनियों के मुताबिक, सेल्स में दबाव बनाए जाने से इनकी बिक्री की रफ्तार में भी इजाफा हो रहा है. हालांकि, इन पैकेट्स का वॉल्यूम बढ़ाकर ज्यादा मार्जिन कमाने में अभी वक्त लगेगा.

के रामकृष्णन (K Ramakrishnan) ने कहा, '20 रुपये वाले पैकेट की खपत उतनी नहीं होगी, जितनी 5 रुपये और 10 रुपये वाले पैकेट की होती है'. उन्होंने आगे कहा, 'प्राइस प्वाइंट और वजन में 20 रुपये के ये पैकेट ब्रिज पैक की भूमिका निभाते नजर आते हैं.'

इसलिए, कंपनियों को 20 रुपये वाले पैकेट की सबसे ज्यादा बिक्री कराने पर जोर लगाने को बहुत सतर्क होकर देखना चाहिए. जहां तक बात आती है, 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये वाले पैकेट की, तो ये कुल वॉल्यूम में 35% की भूमिका अदा करते हैं. बीते कुछ साल में, ये मिक्स आमतौर पर बराबर रहा है, कांतार ने कहा.

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