मौजूदा वित्त वर्ष (FY25) में जीरोधा (Zerodha) की आय 30-50% तक कम हो सकती है. F&O पर SEBI के नए नियमों के लागू होने के बाद कंपनी ने खुद ही इस नुकसान की आशंका जताई है.
कंपनी के फाउंडर और CEO नितिन कामत (Nithin Kamath) ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि हम अभी रेवेन्यू और प्रॉफिट को फ्लैट होता देख रहे हैं और आने वाले महीनों में रेवेन्यू पर बड़ा झटका लगने की तैयारी कर रहे हैं.
कामत ने जिक्र किया कि 'SEBI के मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस के लिए ट्रू-टू-लेबल सर्कुलर से रेवेन्यू को 10% का झटका लगने की उम्मीद है. इंडेक्स डेरिवेटिव्स पर SEBI का कंसल्टेशन पेपर लागू होने के बाद रेवेन्यू में 30-50% की गिरावट और आ सकती है. ये नियम अगली तिमाही में लागू किए जा सकते हैं.'
आज इंडेक्स डेरिवेटिव्स हमारे रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा हैं और किसी भी बदलाव से हमें असर पड़ेगा. इसके अलावा F&Os पर सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स 1 अक्टूबर 2024 से बढ़ने की उम्मीद है, जिससे जीरोधा को फ्यूचर्स ट्रेडिंग पर बड़ा असर होने की आशंका है.नितिन कामत (in Blog Post)
कामत ने आगे कहा कि रेवेन्यू को झटका लगने की भी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि रेफरल प्रोग्राम के स्केल और मौजूदा समय में उनकी ओर से लगाए जा रहे सालाना मेनटेनेंस चार्ज में कटौती हो सकती है.
जीरोधा ने अपने ब्लॉग पोस्ट में FY24 फाइनेंशियल्स की भी जानकारी दी. उसने 8,200 करोड़ रुपये के रेवेन्यू और करीब 4,500 करोड़ रुपये के मुनाफे का जिक्र किया. FY23 के मुकाबले इन दोनों के आंकड़ों में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
कामत ने लिखा कि 'रेवेन्यू और मुनाफे दोनों के मामलों में FY23/24 बेहतरीन साल रहा. प्रॉफिट में ~1,000 करोड़ रुपये के अनरियलाइज्ड गेन को शामिल नहीं किया गया है, जो हमारे फाइनेंशियल्स में दिखेगा. पिछले तीन साल के मुनाफे को देखते हुए हमारी नेटवर्थ मैनेज किए जा रहे फंड्स की करीब ~40% रही. ये हमें सबसे सुरक्षित ब्रोकर्स में से एक बनाता है.'
कामत ने हालिया भविष्य में IPO की उम्मीद को भी खारिज कर दिया. उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा माहौल में रेवेन्यू का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.
उन्होंने कहा, 'जब रिटेल निवेशक कैप टेबल में प्रवेश करते हैं, तो कंपनी को कुछ स्तर तक रेवेन्यू का अनुमान लगा लेना चाहिए. पिछले 14 सालों में मैं रेवेन्यू ग्रोथ और गिरावट को लेकर अनुमान में एक बार भी सही नहीं रहा हूं.'
हमारा कारोबार जहां फाइनेंशियल्स के आधार पर अच्छा दिखता है. वहीं नियमों में बदलाव या बाजार में स्थिति बिगड़ जाने पर ये पल भर में बदल सकता है. हमें रेवेन्यू के अनुमान को लेकर और कुछ करने की जरूरत है और सिर्फ ब्रोकरेज बिजनेस के तौर पर ये करना असंभव है.नितिन कामत (in Blog Post)
उन्होंने आगे कहा कि जब जीरोधा के पास अपने खुद के मुनाफे से बनाया गया मजबूत नेटवर्थ है, तो उसे बाहरी कैपिटल जुटाने की कोई जरूरत नहीं है. उनके मुताबिक निवेशकों के उम्मीदों का बोझ क्यों लें, जब बिजनेस के लिए गेन करने के लिए कोई रणनीति नहीं है. एक बार लिस्ट हो जाने के बाद ज्यादातर कंपनियों को अपना फोकस तिमाही-दर-तिमाही ग्रोथ पर शिफ्ट करना पड़ता है.
कामत ने कहा कि चाहे वो कारोबार हो या प्रोडक्ट का चुनाव, हम ग्राहक को ध्यान में रखकर फैसला करते हैं, रेवेन्यू टारगेट के हिसाब से नहीं.
उन्होंने लिखा कि 'हर ब्रोकर को रेवेन्यू के हिसाब से असर पड़ता है और बिजनेस मॉडल्स को बदलने की जरूरत है. इसके अलावा हमारे मुनाफे के आकड़ों ने पिछले कुछ सालों में नई प्रतिस्पर्धा को आकर्षित किया है. तो नियमों से कारोबार घटता है, बाजार नीचे गिर सकता है और मुकाबला बढ़ेगा. हमारे लिए ये एक तूफान है.'