अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर, फार्मास्युटिकल आयात पर लगभग 25% टैरिफ लगाने की योजना से भारतीय दवा कंपनियों के शेयरों में एक बार फिर से गिरावट आई है.
हालांकि, ट्रंप ने ये स्पष्ट नहीं किया कि क्या ये ट्रैरिफ कुछ विशेष देशों पर लागू करेंगे या अमेरिका में आयात किए जाने वाले सभी वाहनों पर लागू होंगे. इससे पहले उन्होंने स्टील और एल्युमीनियम पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो मार्च में लागू होने वाले हैं.
ट्रंप की टैरिफ धमकियों से संभावित ट्रेड वॉर के कारण फार्मास्युटिकल शेयरों के लिए बेंचमार्क-निफ्टी फार्मा इस साल 13% से अधिक गिर गया है. पिछले सप्ताह जब ट्रंप ने अपनी टैरिफ योजनाओं का प्रस्ताव रखा, तो इंडेक्स लगभग 6% गिर गया, जिसका असर लगभग हर देश पर पड़ा, जिसमें भारत, जापान और यूरोपीय संघ सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल निफ्टी फार्मा में निवेशकों की 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति खत्म हो गई है, जिसका मुख्य कारण ट्रंप की टैरिफ धमकियां रही हैं. एबॉट लेबोरेटरीज, ल्यूपिन और अजंता फार्मा में गिरावट के कारण बुधवार को निफ्टी फार्मा में 3.19% की गिरावट आई है. सुबह 10:00 बजे तक इंडेक्स में गिरावट कम हुई और ये 1.03% नीचे कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 50 में 0.20% की बढ़त दर्ज की गई है.
जाइडस लाइफसाइंसेज में शुरुआती कारोबार में 6.45% की गिरावट आई, जबकि ल्यूपिन में बुधवार को 6% की गिरावट आई. डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज और अजंता फार्मा के शेयर सुबह के सेशन के दौरान 2% से अधिक की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे.
हालांकि, संभावित अमेरिकी टैरिफ पर चिंताओं के बावजूद, एनालिस्ट फार्मा कंपनियों के बारे में आशावादी बने हुए हैं. HSBC के मुताबिक, अमेरिकी हेल्थ केयर सिस्टम में जेनेरिक दवाओं की जरुरत को देखते हुए, ऐसे टैरिफ का प्रभाव बहुत कम होगा.
भारतीय दवा कंपनियां, जो अमेरिका को जेनेरिक दवाओं की 60% सप्लाई करती हैं, से हेल्थ सर्विस लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. HSBC का अनुमान है कि मार्केट इस सेक्टर की लॉन्ग टर्म ग्रोथ की संभावनाओं पर केंद्रित रहेगा.